मंशा व्यापारिक-सी ना बना के रखो, संबंधों की नैतिक नींव दृढ़ दबा के रखो…
शिक्षक दिवस पर विशेष
मंजुला पांडेय
हे ! सर्वग्य सभी को
सर्वथा विदित यही….
गुरु ज्ञान का गहन
आधार है होता…
सभी पदों से परे
महान है होता….
गरिमा इसकी…
बना के रखो…
ज्ञान से हुनर
बढ़ा के रखो….
नैतिकता में जो है उठा भँवर
फंसे न उसमें,ऐसी क्षमता रखो…
सच ! सुनने की थोड़ी आदत
हिम्मत सहेज कर रखो..
मन साफ और
सोच उजली रखो…
कड़ुआ सच बड़ा
बुरा है लगता…
आज गुरु दिवस, बस!
नाम का है लगता….
फकत स्याह काग् इक
त्यौहार-सा है लगता……
बड़ा ही श्रृद्धापरक
भाव था इसका…
अन्तर्मन को था बड़ा
छूता -सा लगता….
औपचारिकता वश
मना रहे हैं…
परम्पराओं को मात्र
निभा रहे हैं……
आज ह्रदय से इतनी
यही मैं बात कहूं……
बस ! इतना -सा ही
मैं अरमान धरूँ….
मूल में इसके जो
भाव छिपा है….
उस भाव को थोड़ा
बना कर रखो…
द्रोण-एकलव्य-सा
सजा कर रखो…….
माना अब ना!
द्रोण-एकलव्य रहे…
गुरु-शिष्य में ना!अब वो
प्रगाढ़ सम्बंध रहे….
फिर भी स्नेह-मान
बना कर रखो….
कलम में धार
लगाकर रखो….
सुनो!गुरु-शिष्य स्तर को
थोड़ा ऊँचा उठा के रखो..
गुरू शिष्य का,शिष्य गुरू का
मान जरा बना के रखो…
मंशा व्यापारिक -सी
ना बना के रखो…..
सम्बन्धों की नैतिक नींव
दृढ़ दबा के रखो…
दरम्यान अपने भय-अहम
भाव हटा कर रखो…
गुरू-शिष्य की मिशाल
बना कर रखो….
सभी को सर्वपल्ली राधाकृष्णन
जी के जन्मदिवस वो शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं…
मंजुला पांडेय
पिथौरागढ