शक्ति पाना बहुत आसान, लेकिन उसे नियंत्रित करना कठिन: पन्यास प्रवर

हरमुद्दा
रतलाम, 22 अप्रैल। दिल्ली में जब हिन्दू साम्राज्य खत्म हुआ और मुस्लिम शासक के रूप में नादिर शाह गद्दी पर बैठा, तो उसे हाथी पर बैठाया गया। हाथी पर बैठते ही उसने लगाम मांगी, तो कहा कि हाथी की लगाम आपके पास नहीं महावत के पास रहेगी, तो बादशाह तत्काल हाथी से उतर गया। उसने कहा जिसकी लगाम मेरे पास नहीं हो, उस पर नहीं बैठ सकता। जीवन में भी यही बात लागू होती है। सिर्फ गति बढ़ाने से काम नहीं चलता, उस पर नियंत्रण भी होना चाहिए। आचार्य के 36 गुणों में भी इसीलिए सबसे पहले लाइफ कंट्रोल की बात कही गई है। शक्ति पाना बहुत आसान है, लेकिन उसे नियंत्रित करना अति कठिन होता है।
यह बात पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न पन्यास प्रवर श्री पदमबोधी विजयजी म.सा. ने कही। वे श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी द्वारा रुद्राक्ष कालोनी,लक्ष्मी नगर,हरमाला रोड़ पर आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव को संबोधित कर रहे थे।
पांच नियंत्रण जरूरीScreenshot_2019-04-22-14-32-38-828_com.google.android.gm
महोत्सव के दूसरे दिन आचार्य के 36 गुणों की विवेचना में लाइफ कंट्रोल की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नदी अथवा समुद्र का किनारा नहीं हो, तो वह तबाही मचा सकते है। उसी प्रकार जीवन में नियंत्रण नहीं हो, तो वह किसी भी दिशा में जा सकता है। लाइफ कंट्रोल के लिए पांच तरह के नियंत्रण आवश्यक है। ये नियंत्रण इच्छा, विचार, अपेक्षाओं, आवेश और अहंकार पर होना चाहिए।
तो विचार पर नियंत्रण संभव
उन्होंने कहा कि हमारा मन इच्छाओं की फैक्ट्री है, इसलिए सबसे पहले इसे नियंत्रित करना होगा। आचार्य का सिंहासन यूं नहीं मिलता, इसके लिए बहुत कंट्रोल करना पड़ता है। जीवन में आगे बढऩे के लिए इच्छाएं नियंत्रित होना बहुत जरूरी है। इच्छा के पहले विचार नियंत्रण हो, क्योंकि विचारों का स्थिर होना ही इच्छा है। मानव मन में विचार कई आते है, लेकिन निर्णय एक होता है और वहीं इच्छा बन जाती है। विचार नियंत्रित करने के लिए आंखों का उपयोग कम करना जरूरी है। एक शोध के मुताबिक मानव मन में प्रतिदिन 60,000 सोच आती है, इनमें केवल 1000 ही पाजीटिव होती है। यदि व्यक्ति इच्छा नियंत्रित कर ले, तो विचार पर नियंत्रण स्वयं आ जाएगा।
सुविधा से आता अहंकार
पन्यास प्रवरजी ने कहा कि इच्छा, विचार के बाद अपेक्षाओं को रोकना जीवन को नियंत्रित करता है। विचार का स्थिर होना इच्छा होती और इच्छा में जब आग्रह बढ़ता है, तो वह अपेक्षा बन जाती है। आचार्य के लिए लाइफ कंट्रोल के लिए अपेक्षा पर नियंत्रण भी जरूरी होता है। अपेक्षा पूरी नहीं होने पर आवेश आता है, इसलिए उस पर भी नियंत्रण जरूरी है। व्यक्ति को जितना वैभव और सुविधाएं मिलती है, उतना अहंकार आता है। इसलिए इसे नियंत्रित करना भी आवश्यक है।
किया बहुमान
आरंभ में दूसरे दिन के लाभार्थी लालचंद मूणत, सुशीला मूणत परिवार एवं जवाहरलाल पोरवाल, रौनक पोरवाल का बहुमान किया गया। श्री संघ की और से अध्यक्ष सुनील ललवानी, विनोद मूणत, पियुष भटेवरा, भूपेंद्र कोठारी, अंगुरबाई ललवानी, सीमाबेन मेहता, दलपत सुराना, प्रकाश मूणत एवं संतोष सुराना ने बहुमान किया। इस मौके पर अभिषेक जैन ने संगीतमय प्रस्तुतियां दी। संचालन श्री संघ उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने किया।
“लाइन आफ कंट्रोल ” पर प्रवचन 23 को
महोत्सव में 23 अप्रैल को सुबह 9 बजे लाइन आफ कंट्रोल पर पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा.मार्गदर्शन देंगे। शाम 6.30 बजे श्री मोतीपूज्य जिनालय में भव्य अंगरचना होगी तथा सेठजी का बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन में कुमारपाल महाराजा की आरती का आयोजन किया जाएगा।
आकर्षण का केंद्र बनी 36 गुण दर्शाने वाली आर्ट गैलरी
पन्यास प्रवर श्री युगसुन्दर विजयजी म.सा.को आचार्य पद प्रदान करने के प्रसंग पर आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव का मुख्य आकर्षण आचार्य के 36 गुणों को दर्शाने वाली आर्ट गैलरी बनी हुई है। रूद्राक्ष कालोनी मे लगी यह प्रदर्शनी 28 अप्रैल तक प्रतिदिन सुबह 10.30 से 11.30 बजे एवं शाम 6 से 10 बजे तक खुली रहेगी। रूद्राक्ष कालोनी में बच्चों के लिए भी किड्स झोन बनाया गया है, जिसमें शाम 6 से रात्रि 10 बजे तक खेल-खेल में ज्ञान की बाते सिखाई जा रही है।

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