गंदगी, कीचड़ तथा जल जमाव के कारण अंतिम यात्रा पर भी लोगों को चेन नसीब नहीं

 जिम्मेेदारों की लापरवाही से स्कूली बच्चों को भी इसी गंदगी से गुजरने को मजबूर

 जनपद की सबसे बड़ी पंचायत सुखेड़ा

शरद भट्ट
पिपलौदा, 23 सितंबर। देश भर में स्वच्छता को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन जनपद पंचायत के ग्राम सुखेड़ा में व्याप्त गंदगी, कीचड़ तथा जल जमाव के कारण अंतिम यात्रा पर भी लोगों को चेन नसीब नहीं है। जिम्मेेदारों की लापरवाही का आलम यह है कि स्कूली बच्चों को भी इसी गंदगी से होकर गुजरना पड़ रहा है।

मुद्दे की बात यह है कि स्वच्छता को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर जिला प्रशासन तक जागरूकता के दावे कर रहा है, लेेकिन इस स्वच्छता अभियान की हकीकत ग्रामों में उजागर हो रही है। जहां नौनिहालों से लेकर अपनी जीवन यात्रा पूर्ण कर चुके लोगों को अंतिम विश्राम तक पहुॅंचाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों जमा पानी के कारण डेंगू, मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों के कारण मौते हो रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन के सामने आम लोेगों के जीवन का कोई मोल नही है। जनपद की सबसे बड़ी पंचायत सुखेड़ा के नागरिकों का जीवन इन दिनों गंदगी के कारण दुभर हो गया है।

सड़क पर पसरी गंदगी

ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों का भगवान ही रखवाला

गुरुवार को अजीब स्थिति उस समय पैदा हो गई जब ग्राम में लोधा समाज के एक व्यक्ति की मौत हो गई। अंतिम यात्रा का पथ इतना कठिन था कि पानी के गड्ढों से बचो तो कीचड़ में पैर फिसलने का डर तथा कीचड़ से बच कर निकलने का प्रयास करो तो गंदगी के ढेर से मुकाबला हो जाता। इसी मार्ग पर कन्याओं के लिए शाला भी है, जहां अब पढ़ाई प्रारंभ हो जाने के कारण बच्चों का आना जाना भी शुरू हो गया है। जिला प्रशासन के आला अधिकारी शहरों में गंदगी को दूर करने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों का भगवान ही रखवाला है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि देशभर में सरकार गंदगी व कचरा उठाने के लिए विभिन्न प्रयोग कर रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इसका कोई बजट नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होने के कारण घरों के सामने ही नालियों में पानी भरा रहता है। यहां बारह मास गंदगी तथा कीचड़ का आलम फैला रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वच्छता का प्रचार प्रसार तक ही सीमित है, हकीकत में कोई देखने वाला नहीं है।

सीमित बजट के कारण कोई हल नहीं

लगभग 9 हजार की जनसंख्या वाली जनपद की सबसे बड़ी पंचायत की देखभाल का जिम्मा सहायक सचिव को सौंप रखा है, इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है। जनपद सदस्य ज्ञानचंद जैन का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था को लेकर कईबार जनपद पंचायत की बैठकों में समस्या को रखा गया, लेकिन सीमित बजट के कारण कोई हल नहीं हो पाया। ग्रामीणों को वास्तव में परेशानी है, इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन ग्रामों को सुविधा नहीं मिल पा रही है।

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