सर चढ़कर बोल रहा डेंगू : तीन की मौत, इसे माना जाता है हेमरेजिक फीवर

 डेंगू का यह कहर कोविड-19 की दूसरी लहर की तरह डरा रहा

 डेंगू का डीईएन-2 का रूप सबसे ज्यादा खतरनाक

 दो उल्टी होते ही पहुंच जाएं अस्पताल

हरमुद्दा/अनिल पांचाल
रतलाम, 23 सितंबर। शहर सहित जिले भर में डेंगू का प्रकोप सिर चढ़ कर बोल रहा है। हर दिन सुबह से लेकर शाम तक सोशल मीडिय़ा पर आने वाले दुख:द संदेश हमारे मन में भगवान वाले विचार ला रहे है। डेंगू का यह कहर कोविड-19 की दूसरी लहर की तरह डरा रहा है। डेंगू का डीईएन-2 का रूप सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसे हेमरेजिक फीवर माना जाता है, जो मौत का कारण बनता है। शहर 2 दिन में तीन महिलाओं की मौत हुई है। तीनों काफी संपन्न परिवार से हैं। जिम्मेदार प्रशासन डेंगू जांच की केवल दर तय करने में लगे हैं।

डेंगू की भयावता आज वो चेहरे भी बता रहे थे, जिन्हे कलेक्ट्रेट में आयोजित एक बैठक में बुलाया गया था। निजी अस्पताल व लैब वालों की बैठक के दौरान सामने आई जानकारी चौकाने वाली होकर जिले के हर परिवार को सावधान और सर्तक करने वाली बाहर आई है। जिलाधीश को मिले आंकड़ों के बाद उन्होने ने भी सभी से कहां है कि इस विपदा से सभी को मिलकर निपटना होगा।

दो उल्टी होती है सात के बराबर तत्काल पहुंचे अस्पताल

बैठक में मौजूद वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि डेंगू के दौरान अगर किसी रोगी को दो मर्तबा उल्टी होती है (डेंगू के दौरान दो उल्टी आना, सात मर्तबा उल्टी आने के बराबर है) तो तुंरत अस्पताल पहुच जाना चाहिए। ऐसे रोगियों को तीन दिन अस्पताल में भर्ती होना जरुरी होकर उसे प्लेटलेंट भी चढ़ाया जा रहा है।

तो पाया जा सकता है डेंगू पर काबू

हल्का बुखार, सर्दी आदि के लक्षण होते ही अगर पहले दिन से उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो काफी हद तक डेंगू पर काबू पाया जा सकता है। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में डेंगू के 600 और सीवीसी के 250 लोग प्रभावित है।

समाज के मुद्दे पर मानवीयता का दें परिचय

इस मौके पर जिलाधीश ने कहां कि ये समाज का मुद्दा है और ऐसी आपदा में अवसर चुनने की बजाय मानवीयता का परिचय देकर सभी अपना-अपना फर्ज निभाए ताकि जिलेवासियों को इस बीमारी से बचाया जा सके। उन्होने कहां कि हमे कोविड-19 की तरह डेंगू से लडऩा है।

ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा

बैठक में जांच की दरे भी तय की गई मगर इन निर्देश व दरो का पालन होना- जाना नहीं है, क्योंकि रोगी की हालत मरता क्या नहीं करता?  और लैब व अस्पताल वालो की स्थिति ये है कि.. ऐसा मौका.. फिर कहां मिलेगा… वाली हैं।

कई मौतों के आंकड़े सरकारी रिकार्ड में दाखिल ही नहीं

इधर शहर सहित जिलेभर में हालात ये है कि सरकारी और निजी अस्पताल सभी हाऊसफुल की स्थिति में है। हर दिन 47 लैबों में आने वाली जांच रिपोर्ट में कई लोग डेंगू प्रभावित मिल रहे है। हर दिन किसी युवा और बच्चे की मौत हो रही है। कई मौतों के आंकड़े सरकारी रिकार्ड में दाखिल ही नहीं हो पा रहे है। 2 दिन में तीन महिलाओं की मौत हुई है तीनों संपन्न परिवार से हैं। जाने माने पोरवाल परिवार, झालानी परिवार एवं बोराणा परिवार से है। तीनों की उम्र 25 से 35 के बीच है। इन परिवारों पर क्या बीत रही है, यह तो वही जाने, लेकिन जिम्मेदार अंजान बने हुए हैं।

बाल रोगियों से खचाखच भरा है अस्पताल

बाल चिकित्साल के जिस दिन शुभारंभ किया वो अस्पताल दूसरे ही दिन से बाल रोगियों से खचाखच भरा पड़ा है। निजी अस्पतालों में भी हालात ये है कि अतिरिक्त बिस्तर लगाना पड़ रहे है। जानकारों की माने तो आने वाले 20 दिन डेंगू वायरल का प्रकोप चरम पर रहेगा। ऐसे में सर्तकता जरूरी है, और डेंगू से बचाव के तरीकों को सभी पालन करें। सरकारी और निजी अस्पताल मरीजों से खचाखच भरे हैं।

डेंगू की चरम स्थिति है हेमोरेजिक फीवर

डेंगू के साथ ही चिकनगुनिया और एच-3एन-1 का प्रकोप भी जारी है। डेंगू का डीईएन-2 का रूप सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसे हेमरेजिक फीवर माना जाता है। इसमें ब्लड पतला होता है और गति बढ़ जाती है। मस्तिष्क में तेजी से जाता हैं। नतीजतन ब्रेन हेमरेज होता है, जो मौत का कारण बनता है।

 डॉ. अमित कुशवाह

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