जीवन में कषाय और विषय दोनों से बचना जरूरी-पन्यास प्रवर
हरमुद्दा
रतलाम, 24 अप्रैल। कषाय जीवन में चार बुरी चीजे संताप, संकलेष, संदेह और सभ्रम लेकर आता है जबकि विषय चार अच्छी चीजे शीतलता, संतोष,समाधान व सद्भाव ले जाता है। वायरस जिस तरह कम्प्युटर को बिगाड़ देता है, उसी प्रकार विषय, कषाय मन को बिगाड़ते है। जीवन में नियंत्रण की परते रखना हो, तो इनसे बचना जरूरी है।
यह बात पन्यास प्रवर श्री पदमबोधी विजयजी म.सा.ने कही। वे पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा.की निश्रा में रुद्राक्ष कालोनी (लक्ष्मी नगर,हरमाला रोड़)पर आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी द्वारा आयोजित महोत्सव में चौथे दिन लायर्स ऑफ कंट्रोल (नियंत्रण की परतें) की व्याख्या करते हुए उन्होंने विषय और कषायों के परिणामों पर प्रकाश डाला।
कषाय बाहर दिखता व विषय रहता अंदर
पन्यास प्रवरजी ने कहा कि क्रोध,मान,माया व लोभ कषाय है। व्यक्ति यदि कषाय से मुक्त होता है, तो विषय से खुद मुक्त हो जाता है। कषाय यदि वृक्ष है, तो विषय उनकी जड़ है। कषाय बाहर से दिखता है, लेकिन विषय अंदर छुपा रहता है। कषाय यदि शरीर है, तो विषय उसका भोजन है। कषाय यदि आग है, तो विषय उसे जलाने वाली तिली है। भगवान महावीर ने इसीलिए विषय और कषाय दोनों को शांत रखने का संदेश दिया है।
इसी का परिचायक हमला
उन्होंने कहा कि कषाय मौत बिगाड़ते है और विषय जीवन बिगाड़ते है। कषाय घातक और विषय संहारक है। श्रीलंका में हुए बम विस्फोट और पुलवामा का आतंकी हमला इसी का परिचायक है।
छाता बचाता बारिश से
उन्होंने कहा कि बारिश में छाता खोलने से बारिश रूकती नहीं है, लेकिन छाता बारिश से बचा लेता है। धर्म क्रियाओं से भले ही मौत रूकती नहीं है, लेकिन सुधर सकती है। इसलिए विषय-कषायों से मुक्त रहकर धर्म आराधना करना चाहिए। पन्यास प्रवरजी ने कहा कि कषाय मन को बिगाडऩे का काम करते है, जबकि विषय शरीर को बिगाड़ते है। कषाय पर नियंत्रण किया जावे, तो शरीर अपने आप बच सकता है। कषाय से विनय को हानि पहुंचती है और विषय से विवेक को पहुंचती है। विनय अच्छी चीजों के पास ले जाने का काम करता है और विवेक से हम बुरी चीजों से दूर हो सकते है। शरीर की आसक्ति विषय है, लेकिन विचारों की आसक्ति कषाय होती है। विषय साधना को खंडित करता है और कषाय समाधि को खंडित करता है। इसलिए विषय और कषाय दोनो से बचना ही सर्वथा हितकर होता है।
किया बहुमान
इस मौके पर पन्यास प्रवरजी की निश्रा में समूह सामायिक की गई। बुधवार को लाभार्थी अशोक कुमार बम्बोरी, रमेशकुमार बम्बोरी, सुनील मूणत, आशीष राणावत, एकेंद्र गांधी और श्री पाश्र्वनाथ मित्र मंडल टीआईटी रोड़ का बहुमान किया गया। श्री संघ की और से अध्यक्ष सुनील ललवानी, पियुष भटेवरा, अंकित सकलेचा, मांगीलाल गांधी, अभय लुणावत, भूपेंद्र मालवी, पंकज कांसवा, हितेष वागमार, उत्तम कटकानी, अभय औरा, मोहन कांसवा एवं विनोद मूणत आदि ने बहुमान किया। गायक एवं संगीतकार विजय दोशी ने संगीतमय प्रस्तुतियां दी। संचालन श्री संघ उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने किया।
आयंबिल कर मनाएंगे जयंती
श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी द्वारा 25 अप्रैल को दादा गुरूदेव आचार्यश्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म.सा. की 108 वीं जयंती जप, तप और धर्म आराधना के साथ मनाई जाएगी। इस मौके पर सामूहिक आयंबिल का आयोजन किया गया है। सुबह 9 बजे रूद्राक्ष कालोनी में पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा. लीगल कंट्रोल पर प्रवचन देंगे। इसके बाद दोपहर 12 बजे आयंबिल होगा।