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पति ने निकाल दिया घर से तो बिगड़ गई इमरोज़ की मानसिक स्थिति, बेटी को लेने आए जबलपुर से पिता और भाई के छलके आंसू

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 युवाओं की “नई पहचान बनी” माध्यम

हरमुद्दा
रतलाम, 14 अक्टूबर। 45 वर्षीय इमरोज शादीशुदा है। पति ने उसे घर से निकाल दिया है। कई बार इमरोज यह कहकर घर से निकल गई कि अकरम के पास जाना है, लेकिन अकरम रखने को तैयार नहीं। मानसिक स्थिति बिगड़ने पर यत्र तत्र भटकती रहती है, हालांकि उपचार चल रहा है। गत दिनों इमरोज रतलाम पहुंची। समाजसेवी संस्था सृष्टि के प्रयासों से माता-पिता की खोज की और बेटी को उनसे मिलाया तो परिजनों के आंसू छलक गए।

सृष्टि समाज सेवा समिति के अध्यक्ष सतीश टाक ने हरमुद्दा को बताया सोमवार शाम सात बजे करीब मैजिक चालक आजम कुरैशी ने सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सिंह देवड़ा को सूचना दी कि एक महिला डरी सहमी भूख प्यासी हैं जिन्हें हमने खाने की व्यवस्था कर दी है। करीब दो दिनों से महू रोड बस स्टैंड पर बैठी हुई है। जिसके पास एक थैली है जिसमे कुछ कपड़े एवं दस्तावेज है।

संस्था सदस्यों से की चर्चाकर इमरोज ने दी जानकारी

संस्था सदस्यों से चर्चा करती हुई इमरोज़

श्री देवड़ा से जानकारी मिलते ही संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष दिव्या श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष शुभम सिखवाल तेजस्वी दल उपाध्यक्ष काजल टाक पहुंचे।  सदस्य द्वारा इन दिनों “नई पहचान” प्रकल्प चलाया जा रहा है जिसमें बिछड़ों को मिलाने का जतन होता है। महिला से कॉउंसलिंग करने पर अपना नाम इमरोज उम्र 45 वर्ष बताया। माता पिता जबलपुर में रहते हैं। उनके पिता के फ़ोन नंबर लेकर संपर्क कर पूरी घटना की जानकारी से अवगत करवाया।

30 अगस्त को घर से निकली है इमरोज

इमरोज के पिता ने बताया कि ये मेरी बेटी है जो कि 30 अगस्त 2021 से घर से निकल चुकी हैं जिसकी गुमशुदगी की सूचना आगरताल थाना जबलपुर में दर्ज है। उन्होंने थाने पहुंच कर संस्था सदस्यों से बात करवाई  एवं परिजनों ने जल्दी रतलाम आने की बात कही।

इमरोज को भेजा वन स्टॉप सेंटर

संस्था सदस्यों ने दो दिन तक इमरोज को सुरक्षित स्थान की दृष्टि से वन स्टॉप सेंटर की प्रशासिका शकुंतला मिश्रा से चर्चा कर, वहाँ भिजवाया गया। गुरुवार सुबह इमरोज के पिता शमी उल्ला व भाई वकील एहमद जबलपुर राजकोट एक्सप्रेस ट्रेन से रतलाम पहुंचे। उन्हें वन स्टॉप सेंटर ले जाकर आवश्यक खानापूर्ति कर पिता शमी उल्लाह एवं उनके भाई वकील एहमद के सुपुर्द करवाया। पिता भाई को देख इमरोज़ भावुक हुई तो परिजनों के भी आंसू छलक गए।

21 साल पहले हुआ है इमरोज का निकाह

पिता एवं भाई ने संस्था के कार्यकर्ताओं को बताया कि बेटी का विवाह जौनपुर उत्तर प्रदेश के पास  अकरम से निकाह सन 2000 में किया था। पति द्वारा आए दिन मारपीट की जाती थी। करीब चार वर्ष पहले दूसरा निकाह कर लिया एवं इमरोज के गहने आदि लेकर घर से निकाल दिया, जिसका तलाक भी नहीं हुआ। तभी से मानसिक स्थिति बिगड़ी हुई है। जबलपुर उपचार चल रहा है। 12 वीं तक पढ़ी हुई है। हिंदी उर्दू भाषा का ज्ञान है। पढ़ लिख भी लेती हैं। अभी हमारे साथ ही रह रही हैं। घर मे 5 भाई 3 बहन इनकी मम्मी सभी साथ रहते हैं। आए दिन घर से निकल जाती हैं। बस एक ही बात करती हैं। मुझे अकरम के पास जाना है। अकरम से जब बात की तो उन्होंने सदस्यों को इमरोज को नहीं रखने की बात कही। इमरोज को समझाइश देकर रतलाम रेलवे स्टेशन तक परिजनों को पहुंचाया। शमी उल्ला ने संस्था के इस नेक कार्य को देख कर कहा कि आपने हमारी बिटिया को मिलने के लिए जो प्रयास किया, ध्यान रखा उसके लिए हम आपके निस्वार्थ उद्देश्यों में कामयाबी की दुआ करते हैं।

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