जीव दया से जुड़े लोगों का कहना : मूक प्राणियों के लिए नायक है हम, प्रशासन समझता खलनायक

🔲 पत्रकार वार्ता में बताया सभी ने अपना दर्द

हरमुद्दा
रतलाम, 19 अक्टूबर। यह बात सच है कि शहर में श्वानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। डॉग बाइट की घटना में रतलाम मध्य प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। यही स्थिति चिंतनीय है। मूक प्राणियों के साथ निगम प्रशासन द्वारा किए जा रहे अमानवीय और क्रूर व्यवहार से हम दुखी हैं। हम मूक प्राणियों के नायक हैं और जिम्मेदार प्रशासन हमें खलनायक समझता है, यह उचित नहीं है। हम तो प्रशासन के साथ भी नायक वाली भूमिका अदा करना चाहते लेकिन वे हमें समझे तब ना।

प्रेसवार्ता में मौजूद प्रकाश लोढ़ा, आशा गुप्ता, अदिति दवेसर

मूक प्राणियों के प्रति संवेदना रखने वाली पूर्व पार्षद एवं प्रबल सामाजिक संस्था की अदिति दवेसर, सरोज गुप्ता, एनिमल लवर्स ग्रुप की शिल्पा जोशी, जीव मैत्री परिवार के प्रकाश लोढ़ा, दीपक कटारिया, भरत सोनी, हेल्पिंग हैंड के विशाल उपाध्याय, ह्यूमन को ऑपरेशन की आशा गुप्ता, वेद प्रकाश सिंह ने दर्द साझा करते हुए कहा कि निगम प्रशासन द्वारा श्वान के प्रति जो कार्रवाई की जा रही है, वह तरीका काफी क्रूरतम है जो कि प्राणियों के जीवन की रक्षा के लिए कतई उचित नहीं है।

डॉग्स का बंध्याकरण हो, लेकिन तौर-तरीके तो सही हो

प्रेस क्लब भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्त सभी संस्थाओं के जिम्मेदारों का कहना है कि हम भी चाहते हैं कि डॉग्स का बंध्याकरण हो, लेकिन तौर-तरीके तो सही होना चाहिए। कोई योजना नहीं है। नहीं नियमों का पालन किया जा रहा है। बस डॉग्स को वाहन में भरकर ले जाया जा रहा है, लेकिन पुनः वहीं पर कैसे छोड़ेंगे, इस की कोई योजना नहीं है। जिस क्षेत्र से डॉग्स को ले जा रहे हैं उन्हें उन्हीं क्षेत्र में पुनः छोड़ना है। अन्य क्षेत्रों में छोड़ने पर वे उद्वेलित हो जाते हैं और परेशान भी रहते हैं।

वार्ड समितियां बनाएं

जीव प्राणियों के प्रति दया भाव रखने वालों का कहना है कि वार्ड के अनुसार डॉग्स के लिए समितियां बनाएं और एकत्र करके ले जाएं। बंध्याकरण किया जाए। पुनः उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ा जाए। इसके लिए हम सभी कार्य करने को तैयार है। तन, मन, धन से हम सेवा देने को तत्पर हैं।

पुणे बेंगलुरु में हो रहा है सिस्टम के साथ कार्य

श्रीमती दवेसर का कहना है कि पुणे, बेंगलुरु सहित अन्य बड़े बड़े शहरों में सिस्टम के साथ कार्य किया जा रहा है। योजनाबद्ध तरीके से कार्य को मूर्त रूप दिया जा रहा है, लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है, बस तानाशाही चल रही है। मूक प्राणियों के हित में यह कतई उचित नहीं है। एबीसी प्रोग्राम का भी पालन नहीं किया जा रहा है। संसाधन भी सही नहीं है। कैंची से डॉग्स को पकड़ना क्रूरतम व्यवहार है।

ट्रेनिंग और सेवा देने को तैयार है डॉक्टर पवन माहेश्वरी

श्रीमती दवेसर ने बताया कि देवास के डॉक्टर पवन माहेश्वरी रतलाम में सेवा कार्य के लिए तैयार हैं। उनके पास संसाधन भी उपलब्ध हैं। पशु प्रेमी और भी कार्य करने को तैयार है लेकिन प्रशासन ने पशु प्रेमियों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है जबकि हमारे सहयोग के बिना हल संभव नहीं है। डॉग्स को कैसे पकड़ना इसकी भी ट्रेनिंग डॉ माहेश्वरी देते हैं। योजना को अंजाम देने वाले इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

यह कहा है कलेक्टर ने जीव दया रखने वालों के लिए

जनसंपर्क विभाग के माध्यम से कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा कि रतलाम शहर डाग बाइट के मामले में प्रदेश मे द्वितीय स्थान पर है। शहर में 1700 व्यक्तियों को श्वानों द्वारा काटा जा चुका है जो चिन्तनीय है। नगर निगम इस मामले में शीघ्र एक्शन लें। आवारा श्वानों की धरपकड करें। इस कार्य में कोई बाधा डालता है तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई करे।

नहीं है इतना संभव 1 दिन में

जुलवानिया में भले ही श्वान बंध्याकरण केंद्र बना दिया गया है मगर सुविधाओं का अभाव है। 12 कॉटेज बनाए गए हैं लेकिन 1 दिन में जब 80 श्वान का बंध्याकरण होगा तो उन्हें कहां रखा जाएगा? 1 दिन में इतना संभव नहीं है भले ही इसमें समय लगे लेकिन सही तरीके से योजना को अंजाम दिया जाना चाहिए। यही हम सभी की अभिलाषा है।

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