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शरद पूर्णिमा पर विशेष गीत : ये पूनम का चांद

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🔲 आशीष दशोत्तर

इतराता, बलखाता आए ये पूनम का चांद
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।

उजला-उजला रूप है इसका निखरा -निखरा रंग
देखके इसको खूब निखारे गोरी अपने अंग।

शरमाता, भरमाता आए ये पूनम का चांद ।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।

काली-काली रात निखर कर गोरी गट्ट हुई
चांद को लेकर सब लोगों में लट्ठम- लट्ठ हुई

उलझाता, सुलझाता आए ये पूनम का चांद।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।

दादुर -झिंगुर मौन हुए हैं ,जुगनू है खामोश
फूल,कली,तितली, भंवरों ने खोये अपने होश

सबके मन में आग लगाए ये पूनम का चांद।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।

देख कलाएं सोलह इसकी हम सब हैं अभिभूत,
माना है ‘आशीष’ इसे ही श्यामसखा का दूत,

अमृत रस को जब छलकाए ये पूनम का चांद,
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद ।

🔲 आशीष दशोत्तर, 12/2, कोमल नगर बरवड रोड रतलाम- 457001 मो. 9827084966

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