हस्तशिल्प मेला : 50 हजार की कटान सिल्क बनारसी साड़ी देखते ही आंखों में समाए, खरीदने को जी ललचाए, एक से बढ़कर एक सजावटी सामग्रियां कर रही है आकर्षित
500 साल पुरानी ठप्पा छपाई वाली बेडशीट भी मिलेगी
हस्तशिल्प प्रदर्शनी-2021 में दाबु और इंडिगो प्रिंट वाला ड्रेस मटेरियल
हरमुद्दा
रतलाम, 21 अक्टूबर। हस्तशिल्प मेला में चार किलो वजनी 50 हजार की कटान सिल्क बनारसी साड़ी महिलाओं और युवतियों ही नहीं पुरुषों के मन में भी जगह बना रही है। आकर्षक लुभावनी सारी खरीदने को हर कोई लालायित है। एक से बढ़कर एक सजावटी सामग्रियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
रोटरी हॉल में चल रहे हस्तशिल्प मेले में घर और घरवाली ही नहीं पुरुषों की पसंद का भी ध्यान में रखा है। सभी की सुंदर सजीला बनाने के लिए उम्दा सामग्रियों का संग्रह मेला प्रभारी दिलीप सोनी ने किया है। मेला प्रभारी श्री सोनी ने हरमुद्दा बताया कि देशभर के हस्तशिल्पी अपने हुनर से तैयार की गई एक से बढ़कर एक सामग्रियों को लेकर आए हैं। कॉलिन, लेदर जर्किन, चीनी मिट्टी की आकर्षक सामग्रियां, चूड़ी झुमके अन्य बहुत कुछ एक छत के नीचे के नीचे मौजूद है।
50 हजार की साड़ी 50 साल तक रहेगी वैसी की वैसी
साड़ी की कीमत (SAREE cost 50 thousand) सुनकर यकीन नहीं हुआ न आपको ? हमें भी नहीं हुआ था जब तक कि हमने खुद अपनी आंखों से देख और हाथों से छू नहीं लिया था। साड़ी की यह कीमत इसको बनाने में लगे मटेरियल और मानव श्रम के कारण है। इसके निर्माता का दावा है कि यदि इस साड़ी को 50 साल तक भी सहेज कर रखा जाए तो इसका न तो रंग फीका पड़ेगा और न ही कीड़े इसे नुकसान पहुंचाएंगे। बनारस के परंपरागत बुनकरों द्वारा कटान शिल्क से तैयार पांच लेयर वाली इस साड़ी को पचमीना साड़ी भी कहते हैं। इसका वजन करीब 4 किलोग्राम है।
कई पीढ़ियां रही है बुनकर
28 वर्षीय बुनकर मो. सूफियान ने बताया वे और उनके परिवार की कई पीढ़ियां बुनकर ही हैं। वे खुद 8 साल से बनारसी साड़ियां बना रहे हैं। एक पचमीना साड़ी तीन ट्रेंड कारीगर एक माह में तैयार कर पाते हैं। इसलिए इऩका महेनताना हजारों में होता है। सूफियान के अनुसार उनके यहां बनारसी साड़ियों की 1 हजार से लगाकर 50 हजार रुपए (SAREE cost 50 thousand) तक की रेंज की साड़ी हैं। एक दिन पूर्व ही एक ग्राहक ने 14 हजार रुपए वाली साड़ी खरीदी।
ठप्पा प्रिंट का विदेशों में भी है ठप्पा
नीमच जिले के जावद तहसील के तारापुर की ठप्पा प्रिंट वाली बेडशीट भी आप हस्तशिल्प प्रदर्शनी 2021 से खरीद सकते हैं। यह ठप्पा प्रिंट लगभग 500 साल पुरानी है। इसकी मांग देश ही नहीं, विदेशों तक में है। यह स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण के भी अनुकूल है। बेडशीट, स्टॉल, साड़ियां और ड्रेस मटेरियाल भी विभिन्न डिजाइनों में उपलब्ध हैं।
ऐसे होती है ठप्पा प्रिंट, मिट्टी और वनस्पति के रंगों का होता है उपयोग तारापुर की खास ठप्पा छपाई करीब 500 साल पुरानी है। इस प्रकार की ठप्पा छपाई में मिट्टी और वनस्पति के रंगों का उपयोग किया जाता है। इससे तैयार की जाने वाली डाई की प्रिंट वाली साड़ियों, ड्रेस मटेरियल, बेडशीट की मांग मृगनयनी द्वारा महानगरों में संचालित शोरूम और प्रदर्शनियों में काफी मांग रहती है। रतलाम के रोटरी हॉल में आयोजित प्रदर्शनी में नील के पौधे से बने रंग से तैयार वस्त्रों की भी अच्छी रेंज है जिसे इंडिगो प्रिंट के रूप में जाना जाता है।
सिलाई की कीमत में कॉटन की शर्ट और कुर्ते
प्रदर्शनी में शुद्ध काटन की शर्ट, कुर्ते और पायजामे भी आकर्षण का केंद्र हैं। शर्ट और कुर्ते सिलाई की कीमत पर ही उपलब्ध हैं। हाफ शर्ट जहां महज 200 रुपए की है तो फुल शर्ट सिर्फ 250 रुपए में मिल जाएगी।
महंगे जूतों को मात दे रहे लेदर शू
इसके अलावा देवास के प्रमोद पल्ले द्वारा लाए गए लेदर के जूते और चप्पल जो शोरूम में मिलने वाले महंगे जूतों को दे रहे मात। मृगनयनी द्वारा आयोजित प्रदर्शनी के प्रभारी सोनी ने बताया हस्तशिल्प में जिले भर के आमजन 11 से रात 9 बजे तक खरीदी कर सकते हैं। कुछ सामग्रियों पर डिस्काउंट भी दिया जा रहा है।