द्वारका पुराण : चांदी की थाली में अनुमति परोसने वाले भी जांच और कार्रवाई के घेरे में आएंगे क्या ?

 अगर न्यायालय ने इमारत निर्माण करने वाले के पक्ष में निर्णय दिया तो भी बच जाएंगे वो बागड़ बिल्ले

 संभवतया सभी अनुमतियां होगी या हो गई निरस्त

 15 हजार, 16 घंटे और 2.40 हर्जाना

अनिल पांचाल/हरमुद्दा
रतलाम, 26 अक्टूबर। जिला प्रशासन ने जो सोचा था,  वो कर दिया और  सैलाना औव्हर ब्रिज के नीचे बनी इमारत के बाहर की सड़क की बैड बज गई। अब नगर द्वारा उखाड़ी गई सड़क का हर्जाना कालोनाईजर से वसूले जाने की तैयारी शुरू हो गई।
यह राशि दो दिन में जमा नहीं हुई तो आगे की कार्रवाई भी की जाएगी। द्वारका पुराण से जुड़ी सभी अनुमतियां निरस्त की गई है या की जा रही है। आने वाले दिनो में यह इमारत बगैर अनुमति का ढांचा होगा। मुद्दे की बात यह है कि चांदी की थाली में अनुमति परोसने वाले भी क्या जांच और कार्रवाई के घेरे में आएंगे। अगर न्यायालय ने इमारत निर्माण करने वाले के पक्ष में निर्णय दिया तो वो बागड़ बिल्ले भी बच जाएंगे।

सड़क उखाड़ने के 2.40 लाख

उधर सड़क उखाड़े जाने का काम नगर निगम ने 16 घंटे तक किया था। ऐसे में 15 हजार रुपए के मान से कुल जमा 2 लाख 40 हजार रुपए हुए हैं। इस राशि की वसूली के लिए कालोनी से जुड़े दो जिम्मेदारों को नोटिस दिया रहा हैं।

पूरा ध्यान उन अधिकारी- कर्मचारियो पर

इधर इमारत की सड़क उखाड़ने और अनुमतियां निरस्त किए जाने के बाद जनता का पूरा ध्यान उन अधिकारी- कर्मचारियो पर है जिन्होने इमारत बनाने वाले का कागजी सहयोग गुलाबी कागजों के बंडल लेकर किया था।

… और इमारते बनाने वालो की निर्माण की अनुमति चुटकियों

घोर आश्चर्य ये भी है कि एक आम आदमी को दो रुम, एक हाँल निर्माण की अनुमति के कई माह और यहां तक की साल-साल भर लग जाता है, वही इस तरह की इमारते बनाने वालो के लीज रेट जमा कराने, नामांतरण कराने और निर्माण की अनुमति चुटकियों में मिल जाती है। किस-किस ने सहयोग किया था ये सर्वविदित है। जनता का मत है कि सोना खरीदने जितनी राशि लेकर चांदी की थाली में अनुमति परोसने वाले भी जांच और कार्रवाई के घेरे में आए।

जिन्होने इमारत को कदम-कदम पर दी क्लीन चिट दी

बहरहाल इमारत बनाने वाले इन दिनो न्यायालय की शरण में अगर न्यायालय ने इमारत निर्माण करने वाले के पक्ष में निर्णय दिया तो वो बागड़ बिल्ले भी बच जाएंगे जिन्होने इमारत को कदम-कदम  पर क्लीन चिट दी थीं।

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