आदिवासियों की अनुकरणीय पहल : दोषी ने खिलाया गांव को गुड़ चना तो विवाद खत्म, नहीं पहुंचा एक भी प्रकरण पुलिस के पास

 जुर्माने की राशि से होते हैं सामाजिक कार्य

 पुलिस और कोर्ट का कोई काम नहीं

हरमुद्दा
डिंडौरी, 12 नवंबर। यह तो सर्वविदित है कि जिला आदिवासी बहुल है। इसी जिले के एक गांव के आदिवासियों ने अनुकरणीय पहल शुरू की है। अव्वल तो यह कि विवाद होता नहीं है और विवाद हो भी जाए तो दोषी गांव वालों को गुड़ चने खिलाता है और विवाद पर विराम लग जाता है। जुर्माना राशि जो ली जाती है, उसका उपयोग सामाजिक कार्य में किया जाता है। गांव वालों का यही मानना है कि पुलिस और कोर्ट जाने से कोई मतलब नहीं। गांव के लोगों का विवाद गांव में ही खत्म, बस।

हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले डिंडौरी की। यहां का वनग्राम सिमरधा, एक ऐसा गांव हैं जहां से आज तक एक भी विवाद पुलिस तक नहीं पहुंचा।

बना रखी है सब ने ऐसी सहमति

पंचायत में बैठे ग्रामीण जन

ग्रामीणों ने आपसी सहमति बना रखी है कि किसी भी विवाद को लेकर पुलिस के पास नहीं जाएंगे, सारे विवाद गांव में ही सुलझाए जाएंगे। गांव वाले सामूहिक तौर पर जो भी निर्णय लेते हैं, वह फैसला सभी को मानना होता है। यदि गांव में कोई विवाद होता है तो उसके लिए पंचायत बैठती है। मामले में यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे पूरे गांव के लोगों को गुड़ और चना का प्रसाद खिलाता है।

गलती वाला देता है जुर्माना भी

गुड़ और चना जो कि खिलाया जाता है दोषी द्वारा

जिसकी गलती होती है, उससे मामूली जुर्माना 51 या 101 रुपए लिया जाता है। यह जुर्माना गांव की पंचायत में जमा कर दिया जाता है। यदि किसी के पास जुर्माने का पैसा नहीं होता है तो प्रसाद खिलाकर विवाद सुलझा लिया जाता है। सरपंच सरोज बाई ने बताया कि गांव के लोग विवाद को सुलझाने में समझदारी से काम लेते हैं, इसीलिए मामले पुलिस तक नहीं पहुंचते। सभी निर्णय सामूहिक सहमति से होते हैं, इसलिए विवाद आसानी से सुलझ जाते हैं। 30 फीसद साक्षरता वाले गांव में विवाद होने पर पंचायत बैठती है। गांव के फागुन यादव, समारू बैगा बताते हैं कि दोनों पक्षों को सुनकर जिम्मेदार निर्णय सुनाते हैं। जिस पक्ष की गलती होती है उससे जुर्माना 51 या 101 रुपए लिया जाता है। जुर्माना पंचायत में सामाजिक कार्य के लिए जमा कर दिया जाता है।

लोगों को प्रोत्साहित करने की की जाएगी पहल

सिमरधा गांव के लोगों की यह अच्छी पहल है। मैंने जिले के सभी ऐसे गांव की सूची तैयार करने के निर्देश सभी थाना प्रभारियों को दिए हैं, जहां के मामले विगत तीन वर्षों में थाना तक नहीं पहुंचे हैं। यहां के लोगों को प्रोत्साहित करने पहल की जाएगी।

संजय सिंह, पुलिस अधीक्षक, डिंडौरी

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