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धर्म की छत्रछाया में ही जीवन सुरक्षित

🔲 आचार्य महिधर शास्त्री ने कहा

🔲 श्रीमद् भगवत गीता पूजन के साथ हुआ जयंती महोत्सव शुरू

🔲 धर्मालु महिला पुरुषों ने बैठकर फलाहार प्रसादी ग्रहण की

हरमुद्दा
रतलाम, 14 दिसंबर। धर्म है तो हम सभी हैं। धर्म नहीं तो हम भी कुछ नहीं। धर्म की रक्षा हम करेंगे तो हमारी सुरक्षा धर्म करेगा। धर्म की छत्रछाया में ही हम सभी सुरक्षित हैं। इसलिए मनुष्य को धर्म का साथ विपत्ति के समय भी नहीं छोड़ना चाहिए और नहीं संपत्ति के समय। सुख दुख में धर्म का पालन निहायत जरूरी है। धर्म की मर्यादा का पालन करेंगे तो मोक्ष की प्राप्ति होगी और जीवन में मोक्ष से बढ़कर कोई बड़ा फल नहीं है। धर्म अनुरूप आचरण ही लोगों को पापों से मुक्त करता है।

आचार्य महिधर शास्त्री

यह विचार आचार्य महिधर शास्त्री ने व्यक्त किए। आचार्य शास्त्री मंगलवार को हनुमान बाग अमृत सागर पर आयोजित श्रीमद् भगवत गीता जयंती महोत्सव में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद थे। मंच पर डॉ. मंगलेश्वरी जोशीआचार्य सत्यव्रत शास्त्री मौजूद थे।
गीता जयंती महोत्सव समिति के बैनर तले 18 वां श्रीमद् भगवत गीता जयंती महोत्सव का एक दिवसीय श्री हनुमान बाग अमृत सागर पर हुआ।

कोई अंत नहीं है अभिलाषाओं का

आचार्य शास्त्री ने कहा सत्य का निवास वही होता है, जहां पर अहिंसा होती है। जीवन में जितनी इच्छा बढ़ेगी उतने ही कष्ट बढ़ेंगे। इसलिए अत्यधिक लालसा ना रखें। संतुष्टि पूर्ण जीवन ही प्रेरणादाई जीवन होता है। जो प्रभु ने दिया है, उसमें संतोष करना सीखें। अभिलाषाओं का कोई अंत नहीं है।

जीवन को संवारना और बिगाड़ना दोनों मनुष्य के हाथ में

डॉ. मंगलेश्वरी जोशी

आयोजन में शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. मंगलेश्वरी जोशी ने कहा कि जीवन में कभी भी अहंकार का भाव नहीं आना चाहिए। हमेशा व्यक्ति यही कहता है कि मैंने किया। मैं हूं। मेरे अलावा कुछ नहीं। मैं मैं तो केवल पशु ही करता है, मनुष्य नहीं। मनुष्य में केवल हम का भाव होना चाहिए अहम का नहीं। प्रभु शक्ति के सामने आपका अस्तित्व कुछ भी नहीं है। प्रभु तो अच्छे कार्य ही व्यक्तियों से करवाते हैं। लेकिन जो व्यक्ति अच्छे कार्यों को छोड़कर बुरे कार्यों में लग जाते हैं, उनका अंत बुरा ही होता है। प्रभु ने मनुष्य को पूरी छूट दे रखी है कि उन्हें क्या करना है। जीवन को सवारना है अथवा बिगाड़ना दोनों मनुष्य के हाथ में है। जीवन को सवारना है और मोक्ष प्राप्त करना है तो धर्म आचरण जरूरी है।

गीता पूजन से शुरुआत

आचार्य सत्यव्रत शास्त्री दंपत्ति पूजन करते हुए

मंगलवार को सुबह गीता जयंती महोत्सव की शुरुआत में आचार्य सत्यवती शास्त्री एवं धर्मपत्नी श्रीमती पूजा शास्त्री ने विधि विधान से धर्म ग्रंथ श्रीमद् भागवत गीता की पूजा अर्चना की। आरती पश्चात प्रसाद वितरण हुआ। तत्पश्चात 11 भूदेव द्वारा गीता पाठ का पारायण शुरू किया गया। पंडित हरीश चतुर्वेदी, भानु प्रकाश शर्मा, नरेंद्र परसाई, नंदकिशोर व्यास, शैलेंद्र जोशी, भरत शर्मा, विजय जोशी, दुर्गेश रावल सहित अन्य ने गीता पाठ किया।

आरती के पश्चात बैठकर किया प्रसाद ग्रहण

श्रीमद भगवत गीता की आरती करते हुए धर्मालुजन

प्रवचन के पश्चात भुवनेश पंडित ने भजन की प्रस्तुति दी। धर्मनिष्ठ बाबूलाल शर्मा, सुरेंद्र सुरेका, वीरेंद्र वाफगांवकर, अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र शर्मा, डॉ. मुकेश राठौर, सुरेश मजावदिया, सहित महिला पुरुष धर्मालुओं ने आरती पूजन किया। तत्पश्चात लोगों ने बैठकर फलाहार प्रसाद ग्रहण की। मनोज शर्मा, सतीश राठौर, शांतु गवली, विशाल शर्मा, मोहन गोधा, मुकेश कृष्णात्रे, संतोष सोनी के मार्गदर्शन में नवयुवक मंडल के प्रवीण शर्मा, रत्नोंद्भव द्विवेदी, मनीष दीक्षित, अजय टाक, अजय मौर्या, संदीप परमार, राजेश मेहरा, सिद्धार्थ द्विवेदी, श्याम सोनी, अमिताभ पवार, मोहित जैन, दिनेश धाकड़, रक्षित मेहता, योगेश शर्मा, हरे कृष्णा शर्मा, केशव द्विवेदी, गर्वित गुप्ता, किशन मीणा, राजेश वर्मा, हिमांशु गुप्ता, कमल माली, संदीप शर्मा ने प्रसाद की परोसगारी करते हुए व्यवस्था की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। संचालन शरद वर्मा ने किया। गीता जयंती महोत्सव समिति के संस्थापक एवं संयोजक पंडित पुष्पोद्भव शास्त्री ने आभार माना।

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