जैसे भाव होंगे, वैसा बर्ताव होगा और उसका वैसा ही प्रभाव होगा- श्री राजेश मुनिजी

हरमुद्दा
रतलाम,3 मई। भगवान और सेठ में अंतर होता है। सेठ हमेशा सोचता है नौकर, नौकर ही बना रहे और वह सेठ बना रहे, जबकि भगवान सभी प्राणियों को अपने समान बनाना चाहते है। जिसका जैसा भाव होता है, वैसा ही बर्ताव होता है और उसका वैसा ही प्रभाव भी होता है।
यह बात अभिग्रह धारी, तप केसरी श्री राजेश मुनिजी ने कही। नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन देते हुए मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी महाराज एवं आचार्य प्रवर श्री उमेशमुनिजी के कृपापात्र, घोर तपस्वी श्री कानमुनिजी के सुशिष्य श्री राजेश मुनिजी ने चार भावों से बचने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोग क्या कहेंगे, मुझसे नहीं होगा, अभी मेरा मूड नहीं है और मेरी किस्मत ही खराब है। इन भाव से बचना जरूरी है। भगवान को अंग्रेजी में गाड कहते है। इसके पहले अक्षर जी का मतलब गो, ओ का मतलब ऑन और डी का मतलब ड्यूटी अर्थात गो ऑन ड्यूटी से आशय यह है कि जो अपने कर्तव्य का पालन करता है, वहीं भगवान बनता है। भगवान बनने के लिए भगवान का स्मरण करना जरूरी है।
झुकने वाले का मंगल
तपकेसरीजी ने कहा कि नवकार मंत्र का पहला अक्षर नमो और अंतिम अक्षर मंगलम है। इसका तात्पर्य यह है कि झुकने वाला अंत में मंगल को ही प्राप्त करता है। उसे बीच में भले ही थोड़ी परेशानियां आए, लेकिन कहते है कि सत्य परेशां हो सकता है, पराजित नहीं। उसी प्रकार झुकने वाले का मंगल होता है। ग्रहण सूर्य और चंद्रमा को लगता है, तारों को नहीं। चोरी का भय साहूकार को होता है, चोरों को नहीं। सतित्व का भय कुलीन महिलाओं को होता है, वेश्या को नहीं। इसी प्रकार जिनका नाम होता है, लोग बदनाम उन्हें ही करते है। सन्मार्ग और सत्य मार्ग का पथिक कभी बदनामी का भय नहीं खाता है।
व्यक्तिगत नाम हमेशा नहीं चलते
उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र में किसी का भी नाम नहीं है, इस कारण इसका प्रभाव बहुत अधिक है। अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ों के लिए जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चालू की, वह आज भी चल रही है। यदि वे अटल बिहारी नाम से योजना चलाते, तो मनमोहन सिंह के कार्यकाल में बंद हो जाती। प्रधानमंत्री चूंकि सार्वजनिक नाम है, इसलिए ये योजना हमेशा चलती रहेगी। व्यक्तिगत नाम लंबे समय तक नहीं चलते। नवकार मंत्र में भी किसी का नाम नहीं होने से यह महाप्रभावक है।
तो वह मुक्त नहीं होगा बंधन से
मुनिश्री ने संसार के बंधनों से मुक्त होने का आह्वान करते हुए कहा कि कोई चिड़िया लोहे के पिंजरे में बंद है, तो कोई चिड़िया सोने के पिंजरे में बंद है। दोनो ही जिस प्रकार बंधन में है, उसी प्रकार व्यक्ति चाहे अमीर हो अथवा गरीब, यदि वह संसार के पदार्थों से लगाव रखता है, तो वह बंधन से मुक्त नहीं होता। सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा. इस दौरान मौन साधना में रहे।
1583 वां अभिग्रह पूर्ण किया
अभिग्रह धारी, तप केसरी श्री राजेश मुनिजी ने शुक्रवार को अपना 1583 वां अभिग्रह (संकल्प) पूर्ण किया। इसके तहत उन्होंने सुबह तय किया था कि 35 नम्बर की पर्ची निकले,वहां से शुरू करेंगे और वहां द्वार पर पीला कुर्ता-पजामा पहने व्यक्ति हो। कोई व्यक्ति हाथ मे घड़ी पहने हो,वहां ऐसी कोई वस्तु किसी के हाथ में हो,जिस पर 35 से अधिक बार एक ही शब्द लिखा हो और कोई के हाथ मे स्टील का बर्तन हो। इस संकल्प के साथ मुनिश्री जब निकले,तो 35 नम्बर टोकन विपिन पितलिया का निकला। पीले कुर्ते-पजामे में राकेश गांधी और कविता छाजेड़ के यहां स्टीकर पर 35 से अधिक बार जे लिखा मिला। विपिन पुंगलिया के हाथ मे स्टील बर्तन था। इससे नजरबाग कालोनी में सुबह 7.25 बजे सुरेन्द्रजी के यहां अभिग्रह पूरा हो गया।
ज्ञान शिविर में उत्साह से शामिल हो रहे शिविरार्थी
श्री राजेशमुनिजी एवं श्री राजेंद्रमुनिजी की निश्रा में अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव के तहत ज्ञान शिविर सतत जारी है। श्री सौभाग्य नवयुवक मंडल द्वारा आयोजित इन शिविरों में हर वर्ग बड़े उत्साह से भाग ले रहा है। बच्चों का उत्साह तो देखते बनता है। शिविर के दौरान शुक्रवार को भक्तामर का जाप किया गया। शनिवार को उपवास दिवस मनेगा। रविवार को सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी के जन्म दिवस पर एकासना दिवस के साथ शिविरों का समापन होगा। शिविरों का संचालन गुरू श्री सौभाग्य प्रकाश युवक मंडल द्वारा किया जा रहा है।

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