हर-हर महादेव और अग्नि नारायण के जयकारों के बीच 68 वां महारुद्र यज्ञ शुरू, संस्कृत, संस्कृति और संस्कार करते हैं सबका कल्याण : स्वामीजी द्वय

🔲 संत के सान्निध्य में हुआ त्रिवेणी तट पर ध्वजारोहण

🔲 मुख्य यजमान से कराया अग्नि प्रवेश

हरमुद्दा
रतलाम, 24 दिसंबर। प्राचीन त्रिवेणी के तट पर शुक्रवार को हर हर महादेव और अग्नि नारायण के जयकारों के साथ 68 वां महारुद्र यज्ञ प्रारंभ हुआ। संत के सानिध्य में ध्वजारोहण हुआ। तत्पश्चात कुंड में अग्नि प्रवेश वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ।

ध्वजारोहण कर आयोजन का शुभारंभ करते हुए स्वामी जी। फोटो : हेमेंद्र उपाध्याय

श्री सनातन धर्म सभा एवं महारुद्र यज्ञ समिति के तत्वावधान शुरू हुए 68 वें महारुद्र यज्ञ के यजमान विजय पद्मादेवी कड़ेल है। परम पूज्य स्वामी श्री कृष्णानंदजी महाराज एवं प.पू. स्वामी आत्मानंदजी सरस्वती के सान्निध्य में ध्वजारोहण एवं यज्ञ अग्नि प्रवेश यज्ञाचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा एवं 21 भूदेवों के माध्यम से कराया गया।

यह थे मंचासीन

मंचासीन स्वामीजी द्वय के साथ अतिथि एवं स्वस्ति वाचन करते हुए भूदेव

मां बगलामुखी शक्तिपीठ खाचरोद के पीठाधीश्वर परम पूज्य स्वामी श्री कृष्णानंद महाराज, श्रृंगेरी मठ कांचीपुरम के परम पूज्य स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती महाराज, भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष राजेंद्र सिंह लुनेरा, उद्योगपति एवं समाजसेवी प्रमोद कुमार व्यास, श्री सनातन धर्म महासभा एवं महारुद्र यज्ञ समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल मौर्य मंचासीन थे। यज्ञ आचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा,अवध नरेश दुबे, मनीष परसाई, तरुण द्विवेदी, भूपेंद्र जोशी स्वस्तिवाचन किया। स्वागत भाषण श्री मौर्य ने दिया। स्वामीजी द्वय, श्री व्यास एवं श्री लुनेरा का शाल श्रीफल से सम्मान किया। संचालन बृजेंद्रनंदन मेहता ने किया। आभार नवनीत सोनी ने माना।

स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज का अभिनंदन करते हुए समिति के पदाधिकारी
स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती जी का अभिनंदन करते हुए समिति के पदाधिकारी
समाजसेवी श्री व्यास का सम्मान करते हुए समिति के पदाधिकारी
श्री लुनेरा का सम्मान करते हुए समिति के पदाधिकारी

स्वामी जी ने की निराश्रितों को भोजन की परोसगारी

पंडित श्री रामचंद्र जी डोंगरे महाराज को माल्यार्पण के बाद आरती करते हुए स्वामी जी

पंडित श्री रामचंद्र डोंगरे जी महाराज की प्रेरणा से त्रिवेणी तट पर संचालित श्री बद्रीनारायण सेवा ट्रस्ट द्वारा निराश्रित को भोजन कराया जाता है। स्वामी श्रीद्वय ने महादेव पर माल्यार्पण कर आरती की। तत्पश्चात परोसगारी कर भोजन कार्य का श्रीगणेश किया।

निराश्रितों को परोसगारी करते हुए स्वामी जी

स्वामी जी का स्वागत कर लिया आशीर्वाद

मां बगलामुखी शक्तिपीठ खाचरोद के पीठाधीश्वर परम पूज्य स्वामी श्री कृष्णानंद महाराज, श्रृंगेरी मठ कांचीपुरम के परम पूज्य स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती महाराज का संरक्षक पूर्व विधायक कोमल सिंह राठौर, रामचंद्र शर्मा, यज्ञ आचार्य दुर्गाशंकर ओझा, उपाध्यक्ष रमेश व्यास, लालचंद टाक, गोपाल जवेरी, यज्ञ के मुख्य यजमान दंपत्ति विजय कुमार सोनी एवं पदमादेवी सोनी, महामंत्री नवनीत सोनी, मंत्री पुष्पेंद्र जोशी, बालूलाल त्रिपाठी, डॉ. राजेंद्र शर्मा, प्रेम उपाध्याय, मनोहर पोरवाल, राजेश दवे, संगठन मंत्री मनोज शर्मा, नारायण पाटीदार, दिनेश दवे, सत्यनारायण पालीवाल, गेंदालाल राठी, प्रचार मंत्री राजू केलवा, सत्यदीप भट्ट, सूरजमल टाक, प्रहलाद पटेल, अरुण राव, सुरेश पापटवाल, अशोक देवड़ा, बलवंत भाटी, जनक नागल, जगदीश परिहार, कन्हैयालाल राठौर, भैरू पहलवान, सतीश राठौर पूर्व सरपंच, पत्रकार हेमंत भट्ट, भंडार प्रमुख विजय, सोहनलाल व्यास, बजरंग पुरोहित, अनिल झालानी, पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा, चेतन शर्मा नाथूलाल शर्मा, महिला मंडल की संरक्षक तारा देवी सोनी, पूर्व महापौर आशा मौर्य, अध्यक्ष राखी व्यास उपाध्यक्ष आशा शर्मा, सचिव हंसा व्यास, सह सचिव रजनी व्यास कोषाध्यक्ष सावित्री सोनी, सांस्कृतिक सचिव जया सोमानी, सांस्कृतिक सचिव वंदना पोरवाल, प्रचार मंत्री निर्मला बराडिया, सह प्रचार मंत्री माया सोनी, सदस्य संध्या कोटिया, किरण सोनी, राधा पोरवाल, सरोज सोनी, शशि अग्रवाल, चेतना सोनी, प्रेमलता देवड़ा, शांता सकलेचा, नीना निरंजनी, शांति बाई राठौर, सुशीला सोनी, नमिता शुक्ला, नूतन भट्ट, गीता शर्मा, शशि सनगट, संगीता गोयल, किरण भट्ट, कलाबाई राठौर सहित अन्य ने स्वागत कर आशीर्वाद लिया।

आयोजन में उपस्थित धर्मालुजन

यह थे मौजूद

आयोजन में जगदीश पहलवान, सतीश राठौर जानी, राजू हॉकी, कपूर सोनी, राजा राठौर, अरुण राव, अरविंद सोनी, तेजराम प्रजापति, सतीश भारतीय, मोहनलाल धभाई, एडवोकेट सतीश त्रिपाठी, प्रवीण सोनी, प्रदीप उपाध्याय, मुन्ना लाल शर्मा, देवशंकर पांडे आदि धर्मालुजन उपस्थित थे।

चिंता नहीं चिंतन करें, मिलेगा मोक्ष

स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती जी महाराज

वर्तमान समय में हर व्यक्ति की यही आकांक्षा रहती है कि वह सुखी रहे। संपन्न में रहे। स्वतंत्रता मिले। जिंदगी बेहतर हो। प्रभुता मिले। पॉवर मिले। जिंदगी में चिंता ही बनी रहती है, अपने लिए लेकिन चिंतन नहीं करते हैं। मनुष्य के जीवन में चिंतन का बदलाव जरूरी है। चिंतन प्रभु का, सनातन संस्कृति का, संस्कार का, धर्म का करें।
चिंता से चिंतन का बदलाव ही मोक्ष का मार्ग तय करता है। यह सभी को पता है कि जो दुख आया है, वह जाएगा ही, सुख भी आएगा, लेकिन सुख को पकड़े रहना चाहता है जोकि संभव नहीं है। परिवर्तन प्रकृति का ही नहीं जीवन का भी नियम है। अग्नि में जो आहुति देते हैं, उसमें भांति भांति की समिधा होती है, इससे पॉवर बढ़ जाती है और जहां देवता प्रसन्न होते हैं वही यज्ञ करने वाले शुद्ध होते हैं।

🔲 स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती जी महाराज

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सनातन संस्कृति के संत आशीर्वाद देते हैं चॉकलेट नहीं

स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज

सनातन धर्म सनातन है। इसका कॉल या गणना में आकलन नहीं किया जा सकता। सनातन धर्म के साथ ही संस्कृत, संस्कार और संस्कृति की ध्वज पताका विश्व में में फहरा रही है। संस्कृत भाषा तो सभी के कल्याण की भाषा है यह किसी धर्म विशेष की भाषा नहीं है। संस्कृत वाणी देव वाणी होती है और देव वाणी से सभी का भला ही होता है। विश्व का मंगल ही करती है। देववाणी धर्म में मतभेद नहीं करती। व्यक्ति भी किसी भी धर्म का हो उसका मोक्ष ही करती। लेकिन यह भी सच है कि सनातन धर्म यह भी नहीं चाहता कि धर्म परिवर्तन किया जाए। धर्म परिवर्तन करने आने वाले आततायियों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे जब तक सनातन धर्म की ध्वजा लहराती रहेगी। सनातन संस्कृति के संत सभी को आशीर्वाद देते हैं, अन्य धर्म की तरह चॉकलेट नहीं।

🔲 स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज

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