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मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त किए राज्य निर्वाचन आयोग ने

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 दो दिन से आयोग विधि विशेषज्ञों से ले रहा था परामर्श

हरमुद्दा
भोपाल, 28 दिसंबर। मध्य प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को राज्य निर्वाचन आयोग ने मंगलवार देर शाम निरस्त कर दिया। राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश वापस लिए जाने के बाद चुनाव का आधार समाप्त होने से आयोग ने यह निर्णय लिया। इसके लिए दो दिन से आयोग विधि विशेषज्ञों से परामर्श रहा था। चुनाव प्रक्रिया निरस्त होने के बाद अब अभ्यर्थी अपनी निक्षेप राशि वापस ले सकेंगे। उधर, निर्वाचन से जुड़ी अन्य सभी प्रक्रियाओं को आयोग ने रोक दिया है।

आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश-2021 के आधार पर चार दिसंबर को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया था। इसमें वर्ष 2019 में पंचायतों के परिसीमन को निरस्त करके पुराने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराए जा रहे थे, जिसे विभिन्न् याचिकाकर्ताओं द्वारा न्यायालयों में चुनौती दी गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों के चुनाव पर रोक लगाते हुए शेष प्रक्रिया को जारी रखने के आदेश दिए थे।

राज्य निर्वाचन आयोग ने मांगा था विधिक अभिमत

इससे बने हालात को देखते हुए सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने का संकल्प पारित कराया और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, ताकि ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हों। सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इन्कार कर दिया। इसके बाद सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश को वापस लेने का निर्णय लिया। एक दिन में पूरी कार्रवाई करके इसकी अधिसूचना भी राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई लेकिन आयोग ने चुनाव निरस्त करने के लिए विधिक अभिमत मांगा था।

जब आधार ही खत्म हो गया तो चुनाव कैसे

विधि विशेषज्ञों ने अभिमत दिया कि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव प्रक्रिया संचालित की जा रही थी, जब वो ही समाप्त हो गया तो फिर चुनाव कराने का कोई औचित्य ही नहीं बचा था। दरअसल, अध्यादेश वापस लेने से वह परिसीमन पुन: लागू हो गया, जिसे निरस्त किया गया था। 1200 से ज्यादा पंचायतें पुन: अस्तित्व में आ गईं। ऐसी स्थिति में चुनाव कराया जाना संभव ही नहीं था। आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में दी गई शक्ति और मध्य प्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 18 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव कार्यक्रम और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया।

चुनाव की प्रक्रिया में काफी विलंब

राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने आदेश में कहा है कि त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल मार्च, 2020 में समाप्त हो चुका है और चुनाव की प्रक्रिया में काफी विलंब हो चुका है। आगामी चुनाव प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17 दिसंबर 2021 को पारित आदेश का पालन करते हुए जल्द प्रारंभ की जाएगी।

निर्वाचन प्रक्रिया जारी रहे, नहीं करें परिणाम घोषित

राज्य निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विचार-विमर्श किया। दरअसल, ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिए थे कि ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य में पुन: अधिसूचित कराया जाए। शेष पदों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया जारी रहे लेकिन परिणाम घोषित न किए जाएं।

ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई 3 को

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाए जाने के आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर तीन जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित है। वहीं, सरकार द्वारा मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से 2019 के परिसीमन को निरस्त करने और पुराने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने के विरुद्ध जो याचिकाएं दायर हुई थीं, वे अगली सुनवाई में निराकृत हो जाएंगी।

पंचायत चुनाव घटनाक्रम पर एक नजर

 21 नवंबर को मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश जारी हुआ ।

 चार दिसंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया।

 13 दिसंबर से चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करना प्रारंभ हुआ ।

 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य के लिए पुन: अधिसूचित करने के आदेश दिए। राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी वर्ग के आरक्षित पदों के नामांकन पर रोक लगाई।

 20 दिसंबर को नामांकन पत्र जमा करने का अंतिम दिन था ।

 23 दिसंबर को नामांकन पत्र वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हुई और अभ्यर्थियों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन कर दिया गया।

 23 दिसंबर को विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव न कराए जाने को लेकर संकल्प पारित।

 26 दिसंबर को कैबिनेट ने अध्यादेश को वापस लेने का निर्णय किया। राज्यपाल ने दी अनुमति।

 28 दिसंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव निरस्त किए।

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