कोरोना की आहट : डर अभी भी नहीं, क्यूंकि अब इस महमारी को जोड़ा जाने लगा चुनावों से

 नए वेरिएंट की फौज के सामने पुराने सेनापति!

 दावे नहीं लगेंगे लाशों के ढेर

अनिल पांचाल
रतलाम, 1 जनवरी।  कोविड-19 का ओमिक्रोन वेरिएंट इन दिनों हर किसी की जान हलक से निकाल रहा है। इन्दौर सहित आसपास के जिलों व राज्यों में इसकी भयावहता के चलते हमारे यहां भी हर कुछ लोग भयभीत है तो कई लोगों को इसका डर अभी भी नहीं है। क्यूकि अब इस महमारी को चुनावों से जोड़ा जाने लगा है। बहरहाल मुद्दे की बात यह है कि कोरोना की तीसरी लहर फरवरी तक धारदार हो सकती है। जिस तरह से इन्दौर में इस लहर का असर दिनों दिन बढ़ रहा है वैसे-वैसे हमारे यहां इसका खतरा तेज होता जा रहा है। क्यूकि रतलाम से लगभग 200 – 300 लोग विभिन्न प्रयोजनों से डेली अप डाँउन करते है।

रतलाम के लोगों को  कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट से बचाने के लिए टीमों का गठन किया गया है और शनिवार को बिबड़ौद रोड पर कोविड केयर सेंटर का श्री गणेश भी किया जा चुका है। दांवे बड़े किए जा रहे है और इनके दांवों पर भरोसा किया जाए कयास लगाए जा सकते है कि दूसरी लहर की तरह इस बार लाशों के ढेर नहीं लगेगे।

दूसरी लहर में फेल रहा सरकारी सिस्टम

दूसरी लहर में सरकारी सिस्टम पूरी तरह से फेल रहा है और अपरिपक्व नेतृत्व ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया तो कईयों के घरों को बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया। क्या नेता और क्या अभिनेता ? क्या समाजसेवी और क्या जनप्रतिनिधि ? हर कोई सिर्फ बैठकों में झांकी जमाने घर से बाहर निकलता और वापस दड़बे में पैक हो जाता।

वह करती थी उनसे बात जिसके मन में था जान बचाने का भाव

कोरोना की संभावित तीसरी लहर के दौरान हमारे जिले में शिराली जैन जैसी महिला अधिकारी और उनकी टीम का अभाव है। अगर आज वे होती तो इस बार गठित की गई टीम के माजने उजागर कर ऐसे जिम्मेदारों की टीम गठित करवाती जो नोट देकर सम्मान कराने या नोट देकर छपने की बजाय 24 घड़ी मुस्तैद रह सकती थी। सुश्री शिराली किसी चिकित्सा विभाग के अफसर के बात करने की बजाय, उस कर्मचारी से चर्चा करती थी जिसके मन में जनता की जान बचाने का भाव हो। मगर इस बार वो नही है ऐसे में जिम्मेदारी का जामा उन्हे ही औढ़ाया गया है, जो कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान खुद को कथित रूप से क्वारंटीन कर के लोगों को इलाज के नाम पर बुरी तरह तड़पा रहे थे। 

तो जिम्मेदारी दे दी उसे

जानकारों का मानना है कि जो जितना ज्यादा फकर-फकर (वाचाल) करे उस पर भरोसा कर जिम्मेदारी दे दी जाती है। अब ये फकर-फकर करने वाले सिस्टम को किसी तरह सफल बना पाएगे ये आने वाला समय ही बताएगा। इसे सरल भाषा में यू समझे कि पहली लहर में कलेक्टर रुचिका चौहान थी, जिन्होने लोगों की जान बचाने के लिए जी जान लगा कर अपरिपक्व जिम्मेदारों को उनकी औकात में रखा। दूसरी लहर में गोपालचंदजी डांड आए, जो अपरिपक्वों के काकस में घिर कर पैवेलियन लौट गए। अब तीसरी लहर में उनके बाद वाले है। दूसरी लहर में आँक्सीजन की कमी थी, तो तीसरी लहर के लिए आँक्सीजन के भंडार भर दिए गए है। बिस्तरों की पर्याप्त व्यवस्था के दांवे किए जा रहे है। एम्बुलेंस की व्यवस्था को लेकर भी गोपाल गांठ तैयार की जा रही है। अतिरिक्त स्टाँफ की स्वीकृति के लिए भोपाल पत्र भेजा गया है, जिसका जवाब फिलहाल आया नहीं है।

सिस्टम से परिचित हैं सभी, तो तभी निकले बाहर जब हो जरूरी

आज संकट निदान समूह की बैठक हो चुकी है। इस बैठक के फोटो में आए है, जिसमें चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार ही बगैर मास्क के बैठे होकर रविवार से मास्क की सख्ती पर जोर दे रहे थे। बहरहाल मुद्दे की बात यह है कि कोरोना की तीसरी लहर फरवरी तक धारदार हो सकती है। जिस तरह से इन्दौर में इस लहर का असर दिनों दिन बढ़ रहा है वैसे-वैसे हमारे यहां इसका खतरा तेज होता जा रहा है। क्यूकि रतलाम से लगभग 200 – 300 लोग विभिन्न प्रयोजनों से डेली अप डाँउन करते है। दांवे करने वाला सिस्टम किस तरह से काम करता है ये कोरोना महामारी के दौरान जग जाहिर हो चुका है। ऐसे में समय आ गया है कि जरूरी होने पर ही घर से अपने श्रीचरण बाहर निकाले, मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करते हुए जितना जरूरी हो एक दूसरे से दूरी बनाए रखे।

ओमिक्रोन वेरिएंट गब्बर नहीं बचा पाएगा ठाकुर और जय वीरू

सैनेटाईजर की शीशी अगर दीपावली की सफाई में फेंक दी हो तो बाजार से दूसरी खरीद ले। वरना इस बार  कोरोना का ओमिक्रोन वेरिएंट गब्बर की तरह प्रहार करेगा। जिससे कोई ठाकुर-वाकुर,जय-वीरु नहीं बचा पाएगा।

सैंपल के नतीजे जगजाहिर

कोरोना सैंपल की जांच के नतीजे क्या होते है? ये पूरे रतलाम जिले के साथ ही पूरा प्रदेश और देश उस समय जान ही गया है। जब जावरा विधायक राजू भय्या की जांच रिपोर्ट पहले दिन पॉजिटिव और दूसरे ही दिन नेगेटिव आ गई थी।

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