नुक्कड़ नाटकों ने जनतांत्रिक मूल्यों को मज़बूत किया : प्रो.चौहान
जनवादी लेखक संघ की विचार गोष्ठी आयोजित
हरमुद्दा
रतलाम 2 जनवरी। नुक्कड़ नाटकों ने जनतांत्रिक मूल्यों को मज़बूत किया है। सफदर हाशमी ऐसे नाटककार रहे जिन्होंने वर्षों से चली आ रही लोकनाट्य की परंपरा को जनपक्ष धरता से जोड़कर उसे जनप्रिय बनाया। जनता की आवाज़ को बुलंद कर जनता से जुड़ी समस्याओं को सभी के सामने प्रस्तुत किया। इसीलिए नुक्कड़ नाटक आम जनता में काफी लोकप्रिय हुए।
यह विचार वरिष्ठ कवि एवं विचारक प्रोफेसर रतन चौहान ने व्यक्त किए। प्रोफेसर चौहान जनवादी लेखक संघ द्वारा सफदर हाशमी की याद में ‘नाट्य परंपरा में नुक्कड़ नाटकों की भूमिका‘ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सफदर हाशमी की शहादत हमें यह प्रेरणा देती है कि जब जब जनपक्षधरता को नज़रअंदाज़ किया जाता रहेगा। तब लोक संस्कृति और लोक परंपरा के जनतांत्रिक स्वरूप सामने आते रहेंगे।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे सफदर हाशमी : जावेदी
इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी युसूफ जावेदी ने कहा कि सफदर हाशमी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । वे रंगकर्मी होने के साथ ही कवि, विचारक एवं संगठनकर्ता भी थे। उन्होंने मंच परंपरा को जनता के बीच लाने का जो कार्य किया ,वह उन्हें अधिक लोकप्रिय बनाता है। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध परंपरा में नुक्कड़ नाटकों ने अपनी जड़ों को सींचने का कार्य किया । सफदर हाशमी इसके अगुआ बने और उन्होंने नुक्कड़ नाटकों के मंचन के माध्यम से जनजागृति पैदा की।
बहुत मजबूत है भारतीय नाट्य परंपरा : रंगकर्मी व्यास
रंगकर्मी कैलाश व्यास ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय नाट्य परंपरा बहुत मज़बूत है। हमारी लोक संस्कृति और देश के विभिन्न हिस्सों में परंपराओं के साथ जोड़कर नाट्य मंचन का कार्य हमेशा कायम रहा है। इसे गति प्रदान करने में सफदर हाशमी का योगदान अविस्मरणीय है।
नाटकों को प्रेक्षागृह से पब्लिक तक लाने का कार्य किया हाशमी ने : दशोत्तर
कार्यक्रम में आशीष दशोत्तर ने कहा कि सफदर हाशमी एक ऐसे रंगकर्मी थे जिन्होंने नाटकों को प्रेक्षागृह से पब्लिक तक लाने का कार्य किया। उनके नाटकों को देखने के लिए हज़ारों की संख्या में लोग मौजूद रहते थे। वे नाटक न सिर्फ को करते थे बल्कि वहां उपस्थित लोगों से चर्चा भी करते थे और उनसे कुछ सीखते भी थे । उनकी यही शैली नुक्कड़ नाटकों को अधिक प्रभावित करती चली गई ।
यह थे मौजूद
कार्यक्रम में रंगकर्मी ओम प्रकाश मिश्र, जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष रमेश शर्मा, वरिष्ठ कवि श्याम महेश्वरी, रंगकर्मी ललित चौरड़िया, भूपेंद्र व्यास, श्याम सुंदर भाटी, सुनील व्यास, लता बक्षी, प्रकाश हेमावत, फ़ैज़ रतलामी, कीर्ति शर्मा, मांगीलाल नगावत, जवेरी लाल गोयल सहित साहित्य प्रेमी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन आशीष दशोत्तर ने किया