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जन्मदिन पर सौगात : साहित्यकार प्रो. हाशमी की पुस्तक ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ का विमोचन

 डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने किया वर्चुअल विमोचन

हरमुद्दा
रतलाम, 13 जनवरी। प्रसिद्ध साहित्यकार व चिंतक प्रो. अजहर हाशमी द्वारा ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ शीर्षक से लिखी गई पुस्तक का गुरुवार की दोपहर लेखक डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने वर्चुवल विमोचन किया। इस अवसर पर लेखक चतुर्वेदी ने कहा कि संस्मरण हिंदी साहित्य की वह विधा है जिसमें कवयित्री महादेवी वर्मा से लेकर अज्ञेय तक ने नूतन आयाम रचे है।

प्रो. हाशमी ने संस्मरण पर लेखन कर संस्मरण की दिशा व दशा बदल दी है। उनके लिखे संस्मरण पढ़कर ऐसा लगता है कि वे बोलते हुए संस्मरण है। पुस्तक का प्रकाशन संदर्भ प्रकाशन भोपाल ने किया है। पुस्तक में देश के कई प्रसिद्ध साहित्यकारों, लेखकों, गीतकारों, योग विशेषज्ञ आदि से संबंधित संस्मरण व समीक्षाएं है।

पुस्तक के बारे में

प्रो. हाशमी ने 296 पृष्ठ की इस पुस्तक में अनेक साहित्यकारों, लेखकों आदि से हुई उनकी मुलाकातों व यादों का साहित्यिक भाषा में बेहतर तरीके से विवरण किया है। पुस्तक में साहित्यकार सत्यनारायण सत्तन, डॉ. मोहन गुप्त, कहानीकार हरिमोहन बुधोलिया, पद्मश्री मेहरुन्निशा परवेज, चिंतक डॉ. प्रेम भारती, बाल साहित्य के विशेषज्ञ डॉ. विकास दवे, कवि प्रदीप पंडित, लेखिका प्रवीणा दवेसर व शब्द शिल्पी जगदीश चतुर्वेदी से लेकर व्यंगकार शरद जोशी तक के बारे में कई जानकारियां दी गई है। संस्मरण व समीक्षा विधा पर प्रो. हाशमी की यह दूसरी पुस्तक है।

प्रोफेसर हाशमी का लेखन एकांकी नहीं

प्रकाशक राकेश सिंह ने पुस्तक के बारे में कहा है कि प्रो. हाशमी के लेखन की एक विशेषता है। उनकी लेखन दृष्टि एकांकी नहीं है। जो बात उनके दिल तक पहुंचती है, वही शब्दों में रुपाकार हो उठती है। पाठको के दिलों में घुसपैठ करने की उनकी रचना प्रक्रिया इतनी प्रबल है कि उन्हें विषय तलाशने नहीं पढ़ते। विषय तो उनके हृदय से गुजरते हुए उनकी कलम से झरने लगते हैं। इस पुतस्क को पढ़कर पाठकों को कुछ ऐसा ही एहसास होगा।

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