जीत ली है दुबई ने कोरोना जंग : दुबई विकास की राह पर तेजी से दौड़ने को तैयार : सिद्धार्थ त्रिवेदी

 विश्व के लोग कोरोना से डरे नहीं और आ सकते भारत में घूमने फिरने

वीरेंद्र त्रिवेदी
सैलाना (रतलाम), 16 फरवरी। हमारे देश दुबई में पर्यटन स्थल व होटल व्यवसाय की अपार संभावना है। ना केवल महानगरों में ही बल्कि सैलाना जैसे छोटे कस्बे में भी पर्यटन स्थल की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। भारत में केंद्र व राज्य सरकारों ने कोरोना से अच्छी तरह से निपटा है। फिर भी इस बात का व्यापक प्रचार-प्रसार बहुत जरूरी है कि विश्व के लोगों कोरोना से डरे नहीं और भारत में घूमने फिरने आ सकते हैं। दुबई में कोरोना से अच्छी तरीके से निपटकर विकास की राह पर दौड़ लगा दी है। 15 फरवरी से वहां सब कुछ सामान्य हो चला है।

यह बताया दुबई के एक प्रसिद्ध पांच सितारा होटल के असिस्टेंट मैनेजर सिद्धार्थ त्रिवेदी ने। मूलत: सैलाना निवासी सिद्धार्थ वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय कैलाश नारायण त्रिवेदी के पोत्र व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रतलाम में हेडक्लर्क के रूप में पदस्थ जे.एन त्रिवेदी के पुत्र हैं। इन दिनों अवकाश पर अपने घर आए सिद्धार्थ ने हरमुद्दा से चर्चा में अनेक प्रश्नों के बेबाकी से उत्तर दिए।

लीक से हटकर कुछ करने की थी इच्छा

सिद्धार्थ त्रिवेदी

ह राज तो नहीं है हमको रमुद्दा से चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में सिद्धार्थ ने बताया कि 2011 में इंदौर के एक महाविद्यालय से बीबीए करने के पश्चात उनके मन में लीक से हटकर कुछ अलग कुछ नया करने की इच्छा थी। और उदयपुर के एक विश्वविद्यालय से उन्होंने “मास्टर इन टूरिज्म एंड होटल मैनेजमेंट” में एमबीए किया। तब इस लाइन में छोटे शहरों या कस्बों के छात्र जाते ही नहीं थे। पर वे कुछ नया करना चाहते थे। सो यह चुनौतीपूर्ण पढ़ाई व जॉब स्वीकार लिया।

अंग्रेजी पर होना जरूरी है अच्छी पकड़

सिद्धार्थ बताते हैं कि इस क्षेत्र में जाने के लिए वाकपटुता तथा अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ होना बहुत जरूरी है। इन दोनों चीजों की कमी इस क्षेत्र में सफलता नहीं दिला सकती है। शुरू से ही वे वाकपटुता में माहिर रहे हैं। अंग्रेजी विषय पर भी अच्छी खासी पकड़ रही। इसलिए वे इस चुनौतीपूर्ण पढ़ाई में आगे बढ़ते रहे हैं।

टॉप रहे 2013 में

2013 में उदयपुर के कॉलेज से जब डिग्री लेकर निकले तो वह अपने कॉलेज के टॉपर रहे। उस कॉलेज का प्रबंधन तब से लगाकर अब तक सिद्धार्थ को इंगित कर अपना प्रचार प्रसार करता रहा है। इस चुनौतीपूर्ण पढ़ाई के इच्छुक कई विद्यार्थी बाद में सिद्धार्थ से संपर्क करते रहे। बहरहाल दिल्ली और बेंगलुरु, उदयपुर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले सिद्धार्थ 2015 में दुबई पहुंच गए। वहा वे विश्व के 3 टॉप होटल में से एक में उच्च पद पर कार्यरत है। कई बड़े फिल्मी सितारे, राजनीतिज्ञ, विश्व के दिग्गज दुबई के इस होटल में आते हैं, ठहरते हैं, और सिद्धार्थ की कार्यशैली से प्रभावित होकर उनके पक्ष में “कमेंट” भी लिखते है। सिद्धार्थ अब तक कई अवार्ड से भी नवाजे जा चुके हैं। चर्चा में प्रश्नों के उत्तर देते हुए सिद्धार्थ कहते हैं कि उनकी दिली इच्छा है कि वे भविष्य में कभी भी भारत आकर अपनी सेवाएं दे और अपनी मातृ भुमिका ऋण चुकाएं।  पर अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है और अच्छा अनुभव हासिल कर जब वे भारत लौटेगें तो देश के ही होटल प्रबंधन व पर्यटन विकास में अपना बेस्ट से बेस्ट देंगे।

विदेशों में जॉब करना प्रतिभा पलायन नहीं

जब सिद्धार्थ से सवाल किया गया कि भारत की प्रतिभाएं यहां पर पढ लिखकर विदेशों में अपनी सेवाएं देकर अपना सर्वस्व विदेशों पर न्योछावर कर देती है, तो क्या यह अपने भारत देश के साथ अन्याय नहीं है? तो सिद्धार्थ ने दो क्षण सोंच कर उत्तर दिया कि विदेशों में जॉब करना प्रतिभा पलायन के रूप में ना देखा जाना चाहिए। जब कोई भारतीय विदेशों में जॉब करता है, तो विदेशी करेंसी भारत में आती है और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। दूसरा भारत में यदि रोजगार के अवसर कुछ कम है तो यह समस्या भी विदेशों में काम करने से स्वत: ही हल हो जाती है। यह जरूर है कि कहीं पर भी रहकर व्यक्ति को अपने देश के लिए कुछ करते रहना चाहिए या कभी अवसर मिले तो देश को कुछ देना चाहिए।

दुबई ने जीत ली है जंग

एक प्रश्न के उत्तर में सिद्धार्थ कहते हैं कि कोरोना का सर्वाधिक नुकसान इन वर्षों में होटल व्यवसाय व टूरिज्म को हुआ है। फिर भी दुबई ने सारी लहरों से धीरे-धीरे जंग जीतकर सब कुछ सामान्य स्थिति में ला दिया है। अचानक से सब बंद करने से दहशत पैदा होती है। लेकिन दुबई में जब भी कुछ बंद हुआ तो धीरे-धीरे, स्टेप- टू स्टेप बंद हुआ। अभी 15 फरवरी से वहां सब कुछ नॉर्मल है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सिद्धार्थ कहते हैं कि विश्व के ज्यादातर पर्यटक भारत आकर घूमना फिरना चाहते हैं। भारत सरकार को अपनी मार्केटिंग पर और ज्यादा ध्यान देना होगा। हमें विश्व स्तर पर और अधिक सकारात्मक प्रचार करना होगा कि हम लोग भी कोरोना से अच्छे खासे तरीके से जंग जीत चुके हैं। हालांकि केंद्र व राज्य सरकारें बहुत कुछ कर रही है पर युद्ध स्तर पर और अधिक किया जाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सैलाना में भी कैक्टस गार्डन, केदारेश्वर, कीर्ति स्तंभ जैसे दर्शनीय स्थल है। यहां भी पर्यटन स्थल घोषित करने के गंभीर प्रयास की जरूरत है।

यूएइ के टॉप 13 चित्रों में से एक चित्र सिद्धार्थ का भी हुआ प्रकाशित

एक माह के अवकाश पर आए सिद्धार्थ को लिखने का भी बहुत शौक है। फोटोग्राफी भी उनके शौक में शुमार है। दुबई के प्रसिद्ध अखबार गल्फ न्यूज़ में पर्यटन व होटल व्यवसाय पर उनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं। दुबई के पर्यटन स्थलों के साथ ही उनके लेखों में भारतीय पर्यटन स्थल पर भी फोकस रहता है। गल्फ न्यूज़ में तो नेशनल डे के अवसर पर यूएइ के टॉप 13 चित्रों में से एक चित्र सिद्धार्थ का भी छपा है।

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