विद्यापीठ में हो रहा संस्कारवान पीढ़ी का निर्माण
पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके जोशी ने पुरस्कार एवं विदाई समारोह में कहा
हरमुद्दा
रतलाम 5 मार्च। विद्यापीठ विगत डेढ़ दशक से निरंतर संस्कारवान पीढ़ी का निर्माण कर रही है। निरंतर परिश्रम से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। असफलता सफल होने की पहली सीढ़ी है। जिन्हें पुरस्कार नहीं मिला उन्हें निराश नहीं होकर और मेहनत करना चाहिए।
यह विचार अग्रणी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके जोशी ने शनिवार को ब्राह्मणवास स्थित श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ में व्यक्त किए। डॉ. जोशी वार्षिक पुरस्कार वितरण व कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों के विदाई समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई लेकिन अब स्थिति में सुधार है। इसलिए विद्यार्थियों को अत्यधिक मेहनत कर नुकसान की भरपाई करना चाहिए।उन्होंने कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की। अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ अध्यक्ष कन्हैयालाल तिवारी ने कहा कि लगातार विद्यालय बंद रहने से विद्यार्थियों का मनोबल टूटा है। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की । विशेष अतिथि के रुप में श्री सिखवाल समाज देवस्थान न्यास के अध्यक्ष अशोक पांडया मंचासीन थे।
तस्वीर पर माल्यार्पण से शुरुआत
प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती व श्री महर्षि श्रृंग के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों का स्वागत प्रधानाध्यापक सुशील दुबे ने किया। स्वागत उद्बोधन विद्यापीठ सचिव सतीश त्रिपाठी ने दिया । संचालन शिक्षिका मुक्ता गादिया ने किया। आभार श्री दुबे ने माना।
मिले पुरस्कार, खिले चेहरे, विदाई पर छलके आंसू
समारोह में दीपावली व बाल दिवस पर आयोजित विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। 48 विद्यार्थियों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार दिए गए। कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों ने कक्षा नर्सरी से आठवीं तक के अपने अनुभव साझा किए और विदाई की बेला पर उनके आंसू छलक आए। इस अवसर पर विद्यापीठ की समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित थी ।