आंखों देखी : जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण होते हैं सब के हौसले बुलंद, हाथ दिखाने भर से हो गया पौधारोपण
🔲 अमृत सागर उद्यान के अंकुर अभियान में सबको नजर आ रहा था, बस कलेक्टर, एसपी और विधायक को नहीं
हरमुद्दा
रतलाम, 5 मार्च। अवसर था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन पर स्थानीय अमृत सागर उद्यान में पौधारोपण का। अंकुर अभियान के तहत 1 से 5 मार्च तक आयोजन चला।
🔲 तय समय 10 बजे का था
🔲 जनप्रतिनिधि शहर विधायक 11:00 बज कर 23 मिनट पर आए। पौधे का रोपण किसी और ने किया उन्होंने केवल हाथ दिखाया और हो गया पौधारोपण।
यह पहुंचे समय पर और किया अपना अपना पौधारोपण
अमृत सागर उद्यान में शहर के एसडीएम राजेश शुक्ला जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जमुना भिड़े, शहर विकास प्राधिकरण के प्रभारी अरुण पाठक, आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक हिमांशु शुक्ला, जनसंपर्क विभाग के शकील खान, जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा सहित कुछ अन्य समय पर पहुंच गए थे। इन्होंने तो पौधारोपण कर एप पर फोटो लोड करना भी शुरू कर दिए थे। कई सारे पौधों को लगा दिया गया था।
🔲 11 बजे कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी उद्यान परिसर में आए। प्रवेश द्वार से लेकर अमृत सागर उद्यान पर बनाए गए वोटिंग स्थल तक पैदल चलते हुए गए। साथ में नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया भी थे।
कर दिया नजरअंदाज लापरवाही को
जिस रास्ते पर जिले के जिम्मेदार पैदल चल रहे थे, उसके दोनों ओर पौधारोपण के लिए गड्ढे खोदे गए थे लेकिन उनको यह नजर नहीं आया कि पौधारोपण के लिए गड्ढे की गहराई, गोलाई और दो गड्ढों के बीच की दूरी कितनी होना चाहिए। पेड़ के नीचे गड्ढे क्यों खोदे गए? यह सब कुछ अंकुर अभियान के जिम्मेदारों को नजर नहीं आया। जबकि यहां पर पास-पास गड्ढे खोदे गए। न गहराई देखी गई, न ही गोलाई देखी गई। पास-पास पौधारोपण का औचित्य समझ से परे है।
बिना दस्ताने के गंदगी निकालते रहे वे
पौधारोपण के पश्चात कलेक्टर एसपी वोटिंग वाले स्थान पर गए जहां पर सीढ़ियां बनी हुई है काफी देर तक वहां पर समय व्यतीत किया लेकिन वहां की गंदगी नजर नहीं आई। पास में ही नगर निगम के कुछ कर्मचारी हाथों से ही गिला कचरा उठाकर थैले में डाल रहे थे। कर्मचारियों के दस्ताने नहीं। न ही मास्क लगा रखा था ताकि कीटाणुओं से बचा जा सके। यह सब सबको नजर आ रहा था केवल निगम प्रशासक को नहीं।
बिजली का बोर्ड और खुले तार नीचे वाले नहीं आए नजर
उद्यान में वोटिंग क्षेत्र केपास में ही बिजली के वायर का बोर्ड खुला पड़ा था, जो कि जमीन से मात्र 2 फीट की ऊंचाई पर ही था। जहां से बाहर लटक रहे थे, वह भी उनको नजर नहीं आया जबकि उद्यान में बच्चे और बड़े सभी आते हैं। बच्चे दौड़ भाग कर कहां किधर चले जाते कोई पता नहीं हो चल पाता है लेकिन इस तरफ भी जिम्मेदारों का ध्यान नहीं गया। बस उनका उद्देश्य मात्र ही गड्ढे में पौधा डाल दो, हो गई इतिश्री अंकुर अभियान की।
विधायक तो पौधारोपण करने की जहमत भी नहीं उठा पाए। केवल पौधे को स्पर्श करने की कोशिश की और 11:30 हो गया पौधारोपण। कुछ लोग वह बैनर लेकर खड़े हो गए जो 1 मार्च को बनाया गया था अंकुर अभियान की शुरुआत में। वही समापन के दौरान भी कागज की चिट्ठी चिपकाकर तारीख बदल दी गई। वार बदल दिया गया। मीडिया को विधायक जी ने पर्यावरण प्रकृति से प्रेरित करने वाला संदेश दे दिया।
जबकि होना यह चाहिए था
जबकि जिम्मेदार जब उद्यान परिसर में आए तो उनको चारों तरफ देखना चाहिए था कि क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए? वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदारों को निर्देश देते। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो फिर भला निचले स्तर के कर्मचारियों क्यों कर कार्य करेंगे? अधिकारी का डर तो कतई नहीं।