मुद्दा तरणताल शुरू करने का : कलेक्टर ने 5 मार्च को दिया आदेश, विधायक ने 9 मार्च को दिए निर्देश, कांग्रेस ने की मांग, सब पर भारी मनमानी, 18 दिन बाद भी लगे हैं तरणताल पर ताले
11 को होना थी पैरालंपिक तैराकी ट्रायल ग्वालियर में
24 मार्च से उदयपुर में शुरू होना है राष्ट्रीय पैरालंपिक प्रतियोगिता
27 मार्च को है खुली राज्य स्तरीय तैराकी स्पर्धा
खिलाड़ियों को हो रही प्रैक्टिस की दिक्कत
हरमुद्दा
रतलाम, 22 मार्च। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन 5 मार्च के अवसर पर सुबह 10 बजे स्थानीय अमृतसागर उद्यान में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन था। जहां पर कलेक्टर और नगर निगम प्रशासक कुमार पुरुषोत्तम, एसपी अभिषेक तिवारी, नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया सहित निगम के कई आला अफसर मौजूद थे।
पौधारोपण के पश्चात प्रशासनिक अमला वोटिंग प्वाइंट पर विधायक जी के आने का इंतजार कर रहा था। इस दौरान तैराक प्रशिक्षक राजा राठौर ने कई मेडल अपने नाम कर चुके अब्दुल कादिर के साथ कलेक्टर को बताया कि तरणताल शुरू नहीं होने के कारण प्रैक्टिस नहीं हो पा रही है इसके लिए अब्दुल को नीमच जाना पड़ता है लेकिन वहां पर यह दिक्कत है कि वे अब्दुल कादिर का नाम रतलाम की बजाय नीमच के खाते में लिखेंगे और नीमच के लिए ही वह खेलेगा। यदि ऐसा होता है तो रतलाम को मेडल नहीं मिल पाएगा। कलेक्टर व एसपी दोनों ने बात को गंभीरता से सुना।
ठीक है शुरू कर देते हैं तरणताल
नगर निगम आयुक्त झारिया जी को आवाज लगाई। वे तत्काल आए कलेक्टर ने आदेश दिया कि नगर निगम का कुशाभाऊ ठाकरे तरणताल शुरू कर दिया जाए, ताकि खिलाड़ी प्रैक्टिस कर सकें। उस समय आयुक्त ने भी एक-दो दिन में तरणताल शुरू करने की बात कही। तब राजा राठौर और अब्दुल कादिर के खुशी का ठिकाना नहीं था कि यदि प्रैक्टिस कर पाएंगे 11 मार्च को ग्वालियर में होने वाले पैरालंपिक ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
कांग्रेस की मांग
कलेक्टर के आदेश 5 मार्च के बाद 9 मार्च को सुबह कांग्रेस के महेंद्र कटारिया ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर तरणताल शीघ्र शुरू करने की मांग की।
और विधायक के निर्देश
इसी दिन दोपहर बाद विधायक चैतन्य काश्यप ने आयुक्त को फोन कर निर्देश दिए कि खिलाड़ियों और आमजन के लिए तरणताल शीघ्र शुरू कर दिया जाए ताकि खिलाड़ी प्रतियोगिता में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके।
10 मार्च को समाचार पत्रों में फोटो के साथ प्रकाशित हुआ और लिखा गया कि कोरोना कॉल के प्रारंभ में बंद होने के बाद तरणताल में खिलाड़ी प्रैक्टिस कर सकेंगे। तरणताल की सफाई के फोटो भी प्रकाशित हुए।
और तरणताल शुरू नहीं हो पाया
कलेक्टर के आदेश के 18 दिन बाद और विधायक के निर्देश के 14 दिन बाद भी तरणताल शुरू नहीं हो पाया। अब इसे क्या कहा जाए आदेश और निर्देश पर मनमानी ही हावी है। कोई क्या बिगाड़ लेगा हमारा? खिलाड़ी मेडल आएंगे तो उनके होंगे हमें क्या मिलेगा? शायद यही सोच है जिम्मेदारों की।
10 मार्च से अब्दुल है ग्वालियर में
उल्लेखनीय है कि करंट लगने से दोनों हाथ गंवाने वाला अब्दुल कादिर तैराकी में माहिर है लेकिन रतलाम में प्रैक्टिस की उसे कोई सुविधा नहीं मिल रही। कुछ दिन नीमच में प्रैक्टिस की। इसका सारा खर्च परिवार में ही वहन किया। अब जब ग्वालियर में 11 मार्च को पैरालंपिक को ट्रायल हुआ, वहां पर गया और 3 मेडल हासिल किए। राष्ट्रीय प्रतियोगिता 24 मार्च से उदयपुर में होना है। इसके लिए वह ग्वालियर में ही अपनी मम्मी के साथ होटल में रुक कर प्रैक्टिस कर रहा है। इसका सारा खर्च भी परिवार ही उठा रहा है। अब्दुल कादिर के प्रशिक्षक राजा राठौर का कहना है कि राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय पदक जीतने के बावजूद खेल विभाग से उसे कोई मदद नहीं मिल रही है। न ही स्कॉलरशिप शुरू हुई है। जबकि राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने के बाद डेड लाख रुपए मिलते हैं अन्य स्कॉलरशिप शुरू होती है। प्रैक्टिस के लिए अन्य सुविधाएं मिलती है लेकिन अब्दुल कादिर के मामले में कुछ भी शुरू नहीं हुआ। उसके माता-पिता ही सारा खर्च वहन कर रहे हैं।
सक्रिय क्यों नहीं है जिम्मेदार
मुद्दा यही है कि आखिर तैराकी में अपना दमखम दिखाने वाले खिलाड़ियों के लिए सक्रिय क्यों नहीं है जिम्मेदार। जबकि दंभ भरते हैं खेल को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने का। आदेश और निर्देश देकर भूल गए हैं कि उन्होंने कुछ किसी को कहा भी था।