प्रवर्तकश्री से महामांगलिक श्रवण करने नीमचौक स्थानक में लगां तांता
हरमुद्दा
रतलाम,02 अप्रैल। नववर्ष में पहले दिन मालव केसरी प्रसिद्ध वक्ता पूज्य गुरुदेव सौभाग्यमल जी मसा के सुशिष्य श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी मसा एवं अन्य साधु-साध्वी मंडल के श्रीमुख से मांगलिक सुनने नीमचौक स्थानक में बडी संख्या में गुरूभक्त पहुंचे। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा आयोजित धर्मसभा में महामांगलिक हुई। इससे पहले व्याख्यान एवं जाप हुए। श्री संघ ने मुमुक्षु भाई-बहनों का अभिनंदन भी किया।
धर्मसभा में श्री धर्मदास जैन श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश मूणत ने 6 अप्रैल को आयोजित दीक्षा महोत्सव के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए सबकों आमंत्रण दिया। नीमचौक श्री संघ के महेन्द्र बोथरा ने स्थानक पधारने पर प्रवर्तकश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। श्री संघ ने मुमुक्षु शांतिलाल गांधी,ज्योति चैहान, वल्लभ सकलेचा, वर्षा बहन सकलेचा एवं केेजल सकलेचा का बहुमान किया। श्री संघ के पीके जैन, मणिलाल कटारिया, ललित पटवा, सुरेश कटारिया, इंदरमल जैन, जयंतीलाल डांगी, रितेश मूणत, विनोद बाफना, अमृत कटारिया, मणिलाल कटारिया, अजय खिमेसरा एवं गुणवंत मालवी सहित महिला मंडल के कुसुम रांका, बहु मंडल के मीना गांधी व अन्य सदस्यों ने मुमुक्षुगण को शाल ओढाकर अनुमोदना की। दीक्षार्थी वल्लभ सकलेचा परिवार ने श्री संघ को 11 हजार एवं गौशाला को 10 हजार की राशि भेंट की। संचालन विनोद बाफना द्वारा किया गया।
धर्मसभा से पूर्व महासती श्री धर्मलताश्रीजी आदि ठाणा का नगर में मंगल प्रवेश हुआ। जय-जयकार के बीच उन्हें नीमचौक स्थानक पर लाया गया। इससे पूर्व केसर छिंठाई के आयोजन के साथ श्री सौभाग्य अणु प्रकाश दीक्षा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। व्याख्यान के बाद पाट बिठाई का आयोजन किया गया। इस दौरान रतलाम के अलावा कई स्थानों से आए गुरूभक्त मौजूद रहे। श्री सौभाग्य अणु प्रकाश दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक संदीप चौरड़िया एवं रखब चत्तर नेे बताया कि 3 अप्रैल को दोपहर 2 बजे नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में मेहंदी रस्म का कार्यक्रम होगा। महिला मंडल द्वारा चोबीसी का आयोजन भी किया जाएगा।
नाम चाहते हो तो विक्रमादित्य जैसे बनो : प्रवर्तकश्री
श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी मसा ने नीमचौक स्थानक में व्याख्यान देते हुए कहा कि राजा विक्रमादित्य का जीवन आदर्शमय रहा। उन्हें इसी कारण आज भी जाना जाता है। उनके नाम से विक्रम संवत चल रहा है। वर्तमान युग में नाम सभी चाहते है, लेकिन उसके लिए कडे पुरूषार्थ की आवश्यकता है। व्यक्ति के जीवन में अंदर से विरक्ति का भाव हो, तभी संसार की सभी चीजों के प्रति विरक्ति आएगी। राजा विक्रमादित्य के पास समस्त चीजे थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने विरक्ति कर ली थी। नववर्ष का दिन उन्हें याद कर जीवन में परिवर्तन लाने का दिन हैं। इस दिन सभी को कुछ नया करने का संकल्प कर अपने जीवन को सार्थक करने का प्रयास करना चाहिए।
कुछ ना कुछ नया करने की दी प्रेरणा
अभिग्रहधारी, उग्र विहारी तपस्वी श्री राजेश मुनिजी मसा ने नए वर्ष में कुछ ना कुछ नया करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि रतलाम में 5 मुमुक्षुगण आगामी दिनों में संयम जीवन में प्रवेश करने वाले है। उनके निमित्त हर घर में एक व्यक्ति ऐसा बने, जिससे साधु-संतो को संयमी जीवन का पालन करने में मदद मिले। मुनिश्री की प्रेरणा से कई गुरूभक्तों ने रात्रि भोजन त्याग एवं अन्य नियमों के प्रत्याख्यान लिए। आंरभ में महासती रमणीककुंवर जी, चेतना जी, धर्मलताजी एवं चंदनबालाजी ने विचार रखे। महासती श्री महिमाजी ने गीत प्रस्तुत किया। इस दौरान सेवाभावी पूज्य श्री दर्शन मुनिजी मसा, श्री राजेन्द्रमुनिजी मसा, पूज्या महासती श्री रमणीककुंवरजी दमू, श्री नूतनप्रभाजी, श्री वंदना जी, श्री कल्पना जी, श्री चंदना जी, श्र्री लाभोदया जी आदि उपस्थित रहे। प्रवर्तकश्री के व्याख्यान 3 अप्रैल को सुबह 9 बजे नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में होंगे।