स्मृति शेष : किसे पता था.………
⚫ हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. ओम प्रकाश एरन का निधन
⚫ ऐरन सर ने अपने जीवन में जिन संघर्षों को झेला वे कोई कम नहीं थे , मगर उन्होंने हर संघर्ष में एक नई खुशी ढूंढने की कोशिश की । एक ऐसे रचनाकार को आज हम खो कर बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।⚫
हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर, वरिष्ठ कवि एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनी डॉ. ओम प्रकाश ऐरन आज हमारे बीच नहीं रहे । किसे पता था कि इस तस्वीर का इस्तेमाल इस तरह भी करना पड़ेगा।
अभी फरवरी माह में जब ऐरन सर को उनके 81 में जन्मदिन पर बधाई देने के लिए उनके घर हम पहुंचे तो उनका स्वागत इस अंदाज़ में किया तो वे बोले, एक फोटो भी तुम्हारे साथ ले लो। याद रहेगी। उस वक़्त यह ख्याल नहीं आया था कि 2 माह बाद ही इस फोटो का इस्तेमाल इस तरह करना पड़ जाएगा।
ऐरन सर अपनी तरह के अलग ही रचनाकार थे । वे रचनाकार से कहीं अधिक एक मिलनसार व्यक्तित्व के धनी और हर नए रचनाकार के कांधे पर हाथ रख उन्हें आगे बढ़ाने वाले व्यक्ति थे।
अपने घर के सामने खेलते बच्चों से बतियाना, भीख मांगने वाले को दिल खोलकर दान दे देना, फल बेचने वाले से फल इसलिए ख़रीद लेना कि उसकी कुछ उम्मीदें पूरी हो जाएं, बाहर बारिश में नहाते हुए बच्चों की चहलकदमी को देख कर खुश होना या फिर एक तितली को देखकर मनुष्य से उसकी तुलना करना …..यह सब वही व्यक्ति कर सकता है, जो एक संवेदनशील रचनाकार हो। ऐरन सर ने अपने जीवन में जिन संघर्षों को झेला वे कोई कम नहीं थे , मगर उन्होंने हर संघर्ष में एक नई खुशी ढूंढने की कोशिश की । एक ऐसे रचनाकार को आज हम खो कर बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
⚫ आशीष दशोत्तर
सूचनार्थ – अंतिम यात्रा 16 अप्रैल शनिवार शाम 5:00 बजे उनके निवास शास्त्री नगर रतलाम से निकलेगी ।
ऊं शांति… शांति …..शांति।