सामाजिक सरोकार : घर से भटके बुजुर्ग बीमार है कृपया कीजिए मदद और पहुंच गए वे, बनाया नक्शा, फिर हंसराज को मिलवाया परिवार से
⚫ आत्मीयता जताई तो रोना हुआ उनका बंद
⚫ मोबाइल पर आया संदेश बुजुर्ग है बीमार
हरमुद्दा
रतलाम, 10 मई। 11 अप्रैल रात्रि 8 बजे समाजसेवी बंधु का मोबाइल आया। एक वृद्ध 75 साल के लगभग जावरा रोड पर बीमारी की हालत में है। सुबह से कुछ खाया नहीं। बीमार है। कृपया आप मदद करें। समाजसेवी गोविंद काकानी ने उन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय रिक्शा से बुलवा लिया। डॉक्टर रक्षित अग्रवाल ने परीक्षण कर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया। बड़ी आत्मीयता के साथ आग्रह पूर्वक बिस्किट खिलाएं। तब जाकर लगातार रोना बंद हुआ। उन्हें दवा देने पर नींद आ गई।
होने लगी इशारों में बातें
फिर प्रतिदिन सुबह नाश्ते के समय वृद्ध बाबा से इशारों में बात होने लगी क्योंकि वह बोल नहीं पाते थे| साफ-सफाई प्रेमी दादा जी हाव भाव से जरूर किसी बड़े गुजराती परिवार से नजर आ रहे थे। उसी अनुसार उनके घर के पते की खोज शुरू कर दी गई। ना बोलने के कारण समस्या को हल करने के लिए उन्हें दवाई के डिब्बे का कागज और पेन दिया। उन्होंने उस पर एक नक्शा बना दिया।
नक्शे से मिला संकेत
जिसमें रेल की पटरी, स्वयं का मकान और दोनों के बीच 8 किलोमीटर का अंतर इंजीनियरिंग ड्राइंग जैसा बनाया। इसी संकेत से वार्ड सिस्टर प्रियंका पाटीदार ने इंटरनेट के माध्यम से भाई पृथ्वी वाघासिया निवासी सूरत के परिचित मित्र अनिकेत डोबरिया जोकि दादाजी के परिवार को जानते थे। उन्हें तत्काल रतलाम जिला चिकित्सालय में भर्ती होने की जानकारी से अवगत कराया।
मेहनत रंग लाई
दादा जी का छोटा लड़का भरत भाई सियानी, बड़े भाई का लड़का (पोता )कौशल सियानी कार लेकर शाम 6:00 बजे रतलाम पहुंचे। इंचार्ज सिस्टर ने तत्काल समाजसेवी रोगी कल्याण समिति सदस्य गोविंद काकानी को बुलवाकर दादा जी को परिवार के सदस्यों से मिलवाया।
तब जाकर घर की ओर हुए रवाना
भरत भाई सियानी ने बताया कि 10 अप्रैल सुबह 8 बजे रामनवमी के दिन अहमदाबाद से हंसराज पिता पोपट भाई सियानी उम्र 75 साल निवासी शिव कृपा सोसाइटी, सुंदरवन पार्क के पास, निकोल रोड ,अहमदाबाद (गुजरात) से कहीं चले गए। बहुत अधिक खोजबीन करने के बाद नहीं मिलने पर उनकी गुमशुदा की रिपोर्ट पुलिस थाने में की गई। समाचार मिलते ही हम लोग पोते को साथ लेकर तत्काल कार से रतलाम पहुंचे हैं। हमें वापस जल्दी भी निकलना है ताकि समय पर वापस अहमदाबाद पहुंच सके। आइसोलेशन वार्ड में जब हंसराज जी से परिवार को मिलाया तो वे श्री काकानी से लिपट गए और घर जाने को तैयार नहीं हुए। बड़ी मुश्किल से पोते को आगेकर उनसे वादा करवाया कि वे काकानी से मिलवाने रतलाम वापस लाएंगे। तब जाकर हंसराज जी घर की ओर रवाना हुए।
हंसराज जी है डिप्लोमा इंजीनियर
श्री काकानी ने जब भरत भाई से पूछा की इन्हें अपना नाम तक पता नहीं। वह इंसान इतना अच्छा नक्शा कैसे बना सकता है? तब उन्होंने बताया हंसराज जी ने डिप्लोमा किया हुआ है और वे कपड़ा मिल में वर्षों तक कार्य करते थे। इसी कारण यह संभव हुआ।
सभी के प्रति किया आभार व्यक्त
दादी, भरत भाई, पोता कौशल भाई सियानी, दो बहने व उनका परिवार सदस्यों ने काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव एवं रोगी कल्याण समिति सदस्य काकानी, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, अस्पताल प्रशासन, डॉक्टर, सिस्टर पुष्पा गुर्जर, अर्चना परमार, पुष्पा डोडियार, निशा जीजोटे, सोनी बनावा, आरती कुशवाहा, वर्षा पटेल, लक्ष्मी डोडियार, प्रियंका पाटीदार, कमीला बाबेरिया, कांतामाल, वार्ड बॉय गजेंद्र, जितेंद्र सहित सभी समाजसेवी बंधुओं के सराहनीय सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद प्रकट किया।