श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान एवं विष्णु यज्ञ के साथ 31 वे पुण्य स्मृति महोत्सव का श्रीगणेश आज से

⚫ महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी करवाएंगे  श्रीमद् भागवत कथा श्रवण

हरमुद्दा
रतलाम, 19 मई। ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के 31 वे पुण्य स्मृति महोत्सव  का श्रीगणेश आज से अखंड ज्ञान आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान एवं विष्णु यज्ञ के साथ होगी। श्रीमद् भागवत कथा  का श्रवण महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज 19 से 26 मई तक करवाएंगे। ज्ञान यज्ञ में देशभर से आये साधु-संत एवं भागवत कथारसिक धर्म लाभ लेंगे।

ज्ञानानंद जी महाराज

पुण्य स्मृति महोत्सव के शुभारम्भ समारोह की अध्यक्षता चित्रकूट पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. श्री स्वामी दिव्यानंद जी महाराज करेंगे। जबकि आश्रम संचालक महामंडलेश्वर स्वामी श्री स्वरूपानन्द जी महाराज का पावन सान्निध्य रहेगा। आश्रम सहसंचालक स्वामी श्री देवस्वरूपानन्द जी महाराज ने बताया की मुख्य यजमान श्रीमती मैनाबाई बसंतीलाल अग्रवाल पोथी जी के साथ व्यासपीठ पर पहुंचकर पूजन करेंगे। इसके पहले आश्रम से पोथीजी की यात्रा कथा स्थल तक निकाली जाएगी।

पूर्णाहुति पर 26 मई को भंडारा

उन्होंने बताया कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रहेगा। कथा की पूर्णाहुति 25 मई को होगी जबकि  विष्णु यज्ञ  की पूर्णाहुति पर 26 मई को भंडारा रखा गया है । इस अवसर पर देश भर से महोत्सव में पधारे साधु संतों के प्रवचन होंगे । करीब पांच हजार भक्तों की बैठक सुविधा वाला पांडाल बनाया गया है । गर्मी में कथा सुनने आने वाले भक्तों को असुविधा नहीं हो इसके लिए पांडाल में ठंडे पानी की बौछार करने वाले फव्वारों के साथ कूलर भी लगाये गये है। आश्रम परिसर में कथा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए जाएंगे।

65 साल पहले आए थे स्वामी जी रतलाम

उन्होंने बताया ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज अवधूत महाप्रभु श्री स्वामी अखंडानन्द सरस्वती जी महाराज के परम शिष्य थे। वे 1961 में पहली बार रतलाम पधारे थे, तब वे रत्नेश्वर में विराजे थे । उनकी सरल सहज वेदांती प्रवचनशैली ने भक्तों के बीच गहरी छाप छोड़ी। 1962 में उन्हें संत निवास के लिए श्रीमती राजबाई बावरी ने भूमि दान दी थी, जिसके बाद सैलाना रोड पर अखंड ज्ञान आश्रम की स्थापना हुई। महाराज श्री की निश्रा में यहां देशभर से आये साधू संत प्रतिदिन प्रवचन-भजन-सत्संग करते थे। यही क्रम आज 65 साल बाद भी जारी है । स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज इसी आश्रम की भूमि पर वर्ष 1991 में ब्रह्मलीन हुए थे, तभी से उनकी पावन स्मृति में यह महोत्सव मनाया जाता है। यहां गुरु  मन्दिर में पूज्य गुरु भगवंत की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की गई। आज भी गुरु मन्दिर में पूजन आरती के साथ महोत्सव का श्री गणेश होगा।

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