धर्म संस्कृति : बेलड़ी आचार्य श्री का बाजना में 55 वर्ष बाद हुआ भव्य मंगल प्रवेश
⚫ नूतन बालमुनि एवं साध्वीजी के प्रथम बाजना आगमन को लेकर समाजजनों में विशेष उत्साह
⚫ मध्यप्रदेश में 40 दिनों तक रहा उनका आशीर्वाद
⚫ गुजरात की ओर हुआ उग्र विहार
हरमुद्दा के लिए नीलेश सोनी
बाजना, 4 जून। बंधु बेलड़ी प.पू.आचार्य देव श्री जिनचंद्रसागरसूरिजी म.सा. आदि सुविशाल श्रमण श्रमणी वृन्द का 55 वर्ष बाद बाजना में मंगल प्रवेश हुआ । सकल श्रीसंघ द्वारा आयोजित भव्य प्रवेश सामैया में समाजजनों ने हर घर प्रतिष्ठान के बाहर गहुली सजाकर आचार्यश्री के दर्शन वंदन किये। नूतन बालमुनि एवं साध्वीजी के प्रथम बाजना आगमन को लेकर समाजजनों में विशेष उत्साह रहा।
ढोल ढमाके और बैंड बाजे के साथ आचार्य श्री के प्रवेश सामैया की शुरुआत सांवरिया गार्डन से हुई । नगर के प्रमुख मार्गों पर पालरेचा परिवार सहित विभिन परिवारों ने स्वागत द्वार सजाए थे। समाजजनों ने आचार्य श्री के पूरे 55 साल बाजना में आगमन पर उत्सव पूर्वक उत्साह प्रकट किया।
गहुली करते हुए किया दर्शन वंदन
मार्ग में जगह जगह गहुली करते हुए दर्शन वंदन किया गया। प्रमुख मार्गो पर भ्रमण करते हुए सामैया उपाश्रय में पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ । यंहा सकल श्री संघ की ओर से आचार्य श्री को काम्बली भेंट की गई ।
श्रद्धा भाव बना रहे हमेशा
यंहा आचार्यश्री ने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि इसके पूर्व हम बाजना में सन 1966 में आये थे । तब हम पूज्य श्री धर्मसागरजी म.सा. की निश्रा में विहार करते हुए यंहा पहुंचे थे । उस समय का बाजना और आज का बाजना बहुत बदल गया है । लेकिन गुरु भगवंतों के प्रति श्रीसंघ का अहोभाव ज्यों का त्यों है । यही श्रद्धा भाव हमेशा बना रहना चाहिए । श्रद्धा के बिना धर्म के मार्ग पर आए नहीं बढ़ा जा सकता है।
पुण्य भूमि का प्रताप
गत वर्ष दीक्षा के पश्चात पहली बार बाजना आये मुनिराज श्री पुण्यचन्द्रसागरजी म.सा. ने बताया कि इसी पावन भूमि से मुझे धर्म और आराधना के संस्कार मिले थे। सांसारिक पक्ष से यह मेरे मामा का गाँव है। मैंने अपने जीवन का प्रथम उपधान तप यही किया था और यही से संयम जीवन के भाव जागे थे । इस भूमि का पुण्य प्रताप है कि यंहा गुरु भगवंत आते है। यहां पू.पदमचन्द्रसागरजी म.सा. एवं पू आनंदचन्द्रसागर जी म.सा. ने भी व्याख्यान दिए। संचालन रवि पालरेचा ने किया ।
गुजरात की ओर विहार
आचार्य श्री बाजना से कुशलगढ़ की ओर विहार कर तत्पश्चात लिमडी होकर गुजरात में प्रवेश करेंगे। मध्यप्रदेश में उनकी करीब 40 दिन का इंदौर, रतलाम, सैलाना एवं बाजना में अभूतपूर्व निश्रा का लाभ श्रीसंघ को मिला। इस दौरान इंदौर,रतलाम और सैलाना में दीक्षा के भव्य आयोजन सम्पन्न हुए।