बात मुद्दे की : भाजपा में बजा बगावत का बिगुल, नर पर भारी पड़ रही नारी

⚫ टिकट वितरण में वंशवाद और परिवारवाद भाजपा को कहीं दे न दें पटकनी

हरमुद्दा
रतलाम, 17 जून। गुरुवार रात को जैसे ही भाजपा प्रत्याशियों की सूची जिले में घोषित होती गई, वैसे वैसे भाजपा कार्यकर्ताओं के तेवर तीखे होने लगे। जो टिकट के अभिलाषी थे, उन्हें दरकिनार कर दिया गया। वंशवाद और परिवारवाद को बढ़ावा दिया गया। इससे पटरी पार की नेत्री का पारा शुक्रवार को गर्म हुआ और बगावत का बिगुल बजा दिया। नेत्री द्वारा ताल ठोकने के बाद अन्य लोगों के भी स्वर मुखर हो गए और नेत्री के साथ हो गए हैं। कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहे दिया कि यदि परिवर्तन नहीं किया गया तो शनिवार को महापौर का निर्दलीय फॉर्म भरने के साथ ही करीब डेढ़ दर्जन पार्षद के प्रत्याशी भी आवेदन करेंगे। यदि नेत्री की बात आलाकमान ने नहीं मानी तो आसान राह कांटो भरी साबित हो सकती है।

मीडिया से चर्चा करती हुई भाजपा नेत्री टाक

शुक्रवार को दोपहर बाद से ही भाजपा नेत्री सीमा टांक के तेवर देखकर भाजपा में अंदर ही अंदर उथल-पुथल मची हुई है। भाजपा नेत्री के समर्थन में कई महिलाएं विधायक चैतन्य काश्यप के निवास विसाजी मेंशन पहुंची और धरना दिया। रघुपति राघव राजा राम के स्वर बुलंद हुए। लेकिन भाजपा नेत्री की विधायक से मिलने की मंशा पूरी नहीं हो पाई। विधायक के निजी सचिव मणिलाल जैन ने उन्हें बताया कि विधायकजी बाहर गए हुए हैं। इस बात को लेकर भी काफी बहस बाजी हुई। अंततः सभी वहां से लौट गए।

निर्दलीय महापौर के साथ पार्षद पद के उम्मीदवार भी ठोकेंगे शनिवार को ताल

मीडिया के समक्ष भाजपा नेत्री ने कहा कि यदि टिकट वितरण की सूची पुनः जारी नहीं की गई तो शनिवार को महापौर पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में न केवल वे फॉर्म भरेंगे अपितु तकरीबन डेढ़ दर्जन पार्षद पद के प्रत्याशी भी अपनी ताल ठोकेंगे। भाजपा नेत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि टिकट वितरण में परिवारवाद और वंशवाद हावी रहा है यह भाजपा की गाइडलाइन के विपरीत निर्णय लिया गया है।

कहीं ऐसा ना कर ले वह

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यदि भाजपा आलाकमान ने तुरंत इस पर विचार-विमर्श करके संशोधन नहीं किया तो भाजपा की जनमत वाली नेत्री कमल को छोड़कर सूपड़ा साफ करने का साधन ना अपना लें। और वैसे भी पटरी पार क्षेत्र में नेत्री का ही वर्चस्व ज्यादा है। और भाजपा को लीड भी पटरी पार क्षेत्र से ही मिलती है। बगावत की यह लड़ाई पद और प्रतिष्ठा के लिए है, गांधी दर्शन के लिए नहीं।

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