मुद्दे की बात : साल चुनावी, अधिकारियों की मनमानी, समस्या लोगों की जुबानी, ऊपर से पानी, जल भराव की जन्मजात परेशानी
⚫ हेमंत भट्ट
रतलाम, 30 जून। मध्य प्रदेश के गांव की चौपाल से लेकर राजधानी तक चुनाव का माहौल बना हुआ है। राजनीतिक दल अपने अपने क्षेत्र में धुआंधार प्रचार प्रसार कर रहे है। खास बात यह है कि चुनावी साल में अधिकारियों की मनमानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। नतीजतन आम जन समस्याओं से परेशानी में है। ऊपर से मानसून की दस्तक ने समस्या और बढ़ाई है ऐसे में मतदाताओं के बीच में जाने में उम्मीदवार हिचक भी रहे हैं। खासकर वह जिन्होंने पिछला कार्यकाल पूरी और पूरी तरीके से मक्कारी में गुजारा है और मलाई उड़ाई है।
प्रदेश के नगरी निकाय क्षेत्रों में जहां भाजपा की सरकार थी वहां पर कैसा कार्य हुआ है वह तो वहां के लोग ही जानते हैं लेकिन मुद्दे की और सच बात यह है कि रतलाम नगर में डेढ़ दशक से नगर निगम में भाजपा की सरकार काबिज है लेकिन आम जनता की परेशानी की समस्या का समाधान करने में जिम्मेदारों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। चाहे वह पार्षद हो, महापौर हो या फिर अधिकारी हो। सभी के सभी बंदरबांट में लगे रहे। दशकों से शहर में जलभराव की दिक्कत शास्त्री नगर, न्यू रोड, ओझा खाली, विनोबा नगर सहित कई क्षेत्रों के लोग उठा रहे हैं मगर जिम्मेदारों ने इसका आज तक कोई समाधान नहीं किया। बस आश्वासन, आश्वासन और आश्वासन ही देते रहें। शहर में दो-तीन बड़ी-बड़ी सीसी रोड बना दी गई लेकिन सीवरेज लाइन बनाने में इंजीनियर ने अपनी भूमिका नहीं निभाई। नतीजतन सभी सड़कें पानी से लबरेज हो गई। नगर निगम के इंजीनियर तो कोई लेना देना नहीं है। ठेकेदार ने जैसा काम किया है वह सर्वमान्य हैं। अपना तो बस दाम बनना चाहिए, काम कैसा भी हो हमारी बला से। सड़कों और कालोनियों में जलभराव के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिसमें समस्याएं दिखाई गई।
काम हुआ नहीं और चाहिए इनाम
मुद्दे की बात यह है कि शहर के सभी वार्डों में एक ही गीत बज रहा है कि सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। नालियां जाम पड़ी हुई है। समय पर पानी नहीं मिलता है। सड़के बनाई नहीं है। सीसी रोड बनाए हैं उनका ढाल ही सही नहीं। जगह-जगह आधा आधा इंच पानी भरा हुआ है। दोनों ओर जो नालियां थी, उसको पूरी तरीके से जीम गए। जो नालिया है, वह सड़क के समतल हो गई है। नालियों का गंदा पानी सड़क पर जमा हो रहा है। इतना ही नहीं सीवरेज लाइन की घरों से निकलने वाली पाइप लाइन भी नालियों में डाल दी गई जिससे नालियों का पानी का आवागमन और अवरुद्ध हो गया। जहां पर न केवल कचरा फस रहा है, अपितु पानी भी रुक रहा है और पानी सड़क के बाहर निकल कर अपना रास्ता बना रहा है। गंदगी, नाली, सड़क की समस्या को लेकर लोगों का कहना है कि ना तो नगर निगम के कर्मचारी और नहीं पूर्व पार्षद लोगों की समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बावजूद अधिकारी आमजन को डरा धमका रहे हैं। ऐसे में काम तो किया ही नहीं और इनाम यानी कि वोट मांगने फिर से आ गए हैं। शहर के मतदाताओं में खासा आक्रोश नजर आ रहा है।
जिम्मेदारों की फौज केवल और केवल करती मौज
यह पोल तो गुरुवार को हुई 1 घंटे की बारिश ने पूरे शहर में खोल कर रख दी। चाहे सीसी रोड बने हुए हो या फिर डामरीकरण किया हो। बीच बाजार हो अथवा कॉलोनी हो, जलभराव की दिक्कत चारों ओर नजर आई। चाहे वह दीनदयाल नगर के पास हिम्मत नगर का क्षेत्र हो, ओझा खाली हो, चांदनी चौक, दो बत्ती, चौमुखी पुल, न्यू रोड सहित कई क्षेत्रों में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हुई। लोगों ने उसे स्विमिंग पूल और वाटर पार्क तक की संज्ञा दे डाली लेकिन जिम्मेदारों की फौज केवल और केवल मौज करती रही।
तब भी नहीं दिया ध्यान
पहली बारिश में ही क्षेत्र की नालियों सड़कों पर बहने लगी थी। उसके बावजूद 10 दिन निकल गए लेकिन जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। बस नाला साफ करने के फोटो और खबरें अपने विभाग से जारी करते रहे। यहां तक कि शहर विधायक ने भी इस ओर रुचि नहीं दिखाई कि उस दिन बाद जब शहर भर में वोट मांगने जाएंगे तो क्या मुंह दिखाएंगे? वह तो बस लॉलीपॉप दिखा रहे हैं कि यह विकास होगा, वह विकास होगा। जिम्मेदार यह भूल गए कि लोगों को तो मूलभूत सुविधा चाहिए। समस्या का समाधान चाहिए। और आम मतदाताओं की यह जरूरत पूरी करने में डेढ़ दशक से भाजपा सरकार नाकारा ही सिद्ध हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा पार्षद का चुनाव भी जीतना चाहती है। सच बात यह है कि आम मतदाता साफ सफाई व्यवस्था का जिम्मा देने के लिए पार्षद तो ऐसे को ही चुनेंगे जो कि काबिल हो। ऐसा शहर के लोगों का कहना है। इसी का परिणाम है कि इस बार वार्ड पार्षद के चुनाव में जिन लोगों ने कार्य किया है, वह निर्दलीय होकर आम जनता के बीच हैं।
जिम्मेदारी है उसका निर्वाह नहीं किया पार्षदों ने
वैसे देखा जाए तो पार्षदों का काम क्षेत्र की साफ-सफाई, लोगों की समस्याओं का समाधान, कचरे का समय पर निपटान और सड़कों का डामरीकरण ही है लेकिन हमारे यहां के पार्षद तो अपने आप को प्रधानमंत्री से कम नहीं समझते हैं। जैसे ही वे क्षेत्र से जीते, उसके बाद उन्होंने मुंह नहीं दिखाया। नहीं आमजन की सुध ली। बावजूद फोन तक नहीं उठाना तो यह उनकी आदत में शुमार है।
… और वह करते रहे मतदाताओं से संपर्क
गुरुवार को सुबह हुई झमाझम बारिश के चलते उम्मीदवारों का जनसंपर्क अभियान भी ठंडा पड़ गया। खासकर भाजपा महापौर प्रत्याशी का। भाजपा ने तो घोषित कर दिया था कि आज जनसंपर्क जिन क्षेत्रों में होना था, उसे निरस्त कर दिया गया है। जबकि कांग्रेस महापौर प्रत्याशी भारी बारिश में भी मतदाताओं से रूबरू हो रहे थे। लोगों का कहना था कि सुविधा होगी भाजपा बारिश में पकोड़े का मजा ले रही है जबकि कांग्रेस की विचारधारा को मानने वाले समस्याओं के बीच मतदाताओं से रूबरू हो रहे हैं।
यह जोश जुनून और साथ ही लोगों को प्रेरित भी करेगा और मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए जागरूक भी करेगा। ऐसा आमजन बातों ही बातों में चाय की चुस्की लेते हुए चर्चा कर रहे हैं।
खामियाजा तो भुगतना होगा
भाजपा के पार्षदों ने क्षेत्र में जरा भी ध्यान नहीं दिया। नहीं आम लोगों की सुध ली। जब कोरोना काल था, तब उन्होंने वार्ड में झांक कर देखा भी नहीं और अब गिड़गिड़ा रहे हैं कि उन्हें मतदाता वोट देकर जीत दिलाएं लेकिन मतदाता हैं कि अभी मौन धारण किए हुए हैं। मतदाता किस से कुर्सी से उतारते हैं और किस को उस पर बिठाते हैं। इसका फैसला जुलाई के दूसरे पखवाड़े में हो जाएगा।
फोटो : राकेश पोरवाल सहित अन्य स्रोत