तलाक ने बनाया कंचन को मनोरोगी

गोविंद काकानी
रतलाम, 29 मई। जिंदगी के सुहाने सफर में इंसान शादी कर भविष्य के सपने देखता है परंतु छोटी अनबन में तलाक तक नौबत पहुंच जाती है। इंसान मनोरोगी बन जाता है। यह घटना है काकन पुर निवासी कंचन भाई की।
कंचन भाई जेठाभाई सुतारिया। उम्र लगभग 42 साल निवासी काकनपुर, जिला पंचमहाल। गुजरात।

यह मानसिक रूप से कमजोर है। इन्हें तुषार कोठारी एवं डॉ दिनेश राव ने जिला चिकित्सालय में समाजसेवी एवं रोगी कल्याण समिति सदस्य गोविंद काकानी के सहयोग से 8-10 दिन पूर्व भर्ती कराया था। आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल है।

किए प्रयास और जुटाई जानकारी
प्रतिदिन जानकारी इकट्ठी कर गुजरात पुलिस के माध्यम से इनके परिवार वालों से संपर्क किया। आज इनके परिवार के बड़े भाई जयंतीभाई बड़ौदा से एवं हरीश भाई बहनोई सेवानिवृत्त पुलिस विभाग, आनंद से कंचन भाई को लेने आए ।
20 साल पहले हुआ विवाहScreenshot_2019-05-29-18-45-43-817_com.yahoo.mobile.client.android.mail
बड़े भाई जयंती ने बताया कि कंचन की शादी 20 साल पहले हो चुकी है। शादी के दो-तीन साल बाद ही तलाक हो गया। इसकी एक बेटी भी है। तलाक के बाद से ही कंचन की दिमाग हालत बिगड़ गई। माता-पिता का साया भी बीते 15 सालों में उठ गया। इस कारण दिमाग की हालत और ज्यादा बिगड़ गई और वह 2 वर्ष पूर्व घर से निकल गया। उसके बाद आज उससे मुलाकात हुई है। मुलाकात में कंचन ने सभी रिश्तेदारों के हालचाल पूछे एवं जानकारी भी ली।
परिवार में दो भाई, सात बहनेंIMG_20190529_184953
कंचन के परिवार में दो भाई बड़े एवं सात बहने हैं। सभी की शादी हो चुकी हैं। दिमाग की खराब हालत के कारण इस को घर पर रखना बहुत मुश्किल हो जाता है।
जयंती भाई ने काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव श्री काकानी से इसे एक माह यहीं पर रखने के लिए निवेदन किया। जिस पर उन्होंने अस्पताल प्रशासन से चर्चा कर उसके ठीक होने तक यही रखने का निवेदन स्वीकार किया। फिलहाल कंचन भाई आइसोलेशन वार्ड में स्टाफ की देखरेख में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।
एक और बिछड़े को मिलाया परिवार से
इस तरह पूज्य गुरुदेव स्वामी सत्यमित्रानंद जी गिरी के आशीर्वाद ,डॉक्टर ,मीडिया कर्मी एवं अस्पताल स्टाफ के सहयोग से एक और बिछड़े व्यक्ति को परिवार से मिलाने का सुखद अनुभव मिला।
तो वे भी ठीक हो सकते है जन जागृति से
इस प्रसंग में एक बात देखने को मिली जिसे रास्ते चलते हम पागल समझते हैं। थोड़ी सी समाज जन मेहनत करें तो वह ठीक होकर अपने परिवार वालों तक पहुंच सकता है। जरूरत है मानवता की। जन जागृति की। इस पूरी घटना के कुछ फोटो शुरुआत से घर पहुंचने तक की कहानी बयां करते हैं।

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