लंपी वायरस : 38 पशुओं में लंबी वायरस के लक्षण की संभावना, टीका द्रव्य के लिए गुजरात से चर्चा, जिला प्रशासन अलर्ट

⚫ गोवंश के उपचार और बचाव में कोई कोर कसर नहीं रखे बाकी

⚫ पशुओं की बिक्री और प्रदर्शनी पर रोक

⚫ कलेक्टर ने डॉक्टर्स के बनाए दल

⚫ मैदानी क्षेत्रों में सतत निरीक्षण के दिए निर्देश

हरमुद्दा
रतलाम, 6 अगस्त। गोवंश को लंपी वायरस से बचाने के लिए रतलाम जिला प्रशासन अलर्ट है। कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने पशु चिकित्सा सेवा विभाग के डॉक्टर्स के दल बनाकर उनको जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचकर निरीक्षण के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर गोवंश के उपचार और बचाव में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखने के लिए निर्देशित किया गया। इस संबंध में कलेक्टर द्वारा पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक को तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं।

उप संचालक पशु चिकित्सा डॉक्टर आरके शर्मा ने बताया कि रतलाम जिले के सीमावर्ती राजस्थान राज्य की सीमा बांसवाड़ा में बीमारी से 16 पशु ग्रसित है। प्रतापगढ़ में कोई पशु बीमारी से ग्रसित नहीं है। रतलाम जिले से मंदसौर, उज्जैन, धार, झाबुआ जिलों की सीमा लगी है, जहां पर इस रोग से ग्रसित होने की पुष्टि नहीं हुई है। रतलाम जिले में कुल 38 पशु इस बीमारी से ग्रसित होने की संभावना है जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।

टीका द्रव्य के लिए गुजरात से चर्चा

बताया गया है कि बीमारी की रोकथाम के लिए टीका द्रव्य शीघ्र उपलब्ध कराने की व्यवस्था गुजरात की कंपनी से चर्चा करके की जा रही है। वायरस से गोवंश के बचाव के लिए विकासखंड स्तरीय आरआरटी टीमों का गठन किया गया है। इनमें डॉक्टर्स के साथ-साथ वीएफओ तथा अन्य कर्मचारियों को शामिल किया गया है जिनके द्वारा स्थलों पर पहुंचकर पशुओं का उपचार किया जा रहा हैं।

निकल आती है बीमारी में गठाने

डा. शर्मा ने बताया कि वायरस एक वायरल बीमारी है जो पायस वायरस द्वारा पशुओं में मच्छर, मक्खी, जुओं के काटने से तथा एक पशुओं से दूसरे पशु में फैलती है। इसकी शुरुआत में हल्का बुखार 2 से 3 दिन के लिए रहता है, इसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में गठानें निकल आती है। इस बीमारी के लक्षण गले, श्वास नली तक देखे जाते हैं। ज्यादा समय इंफेक्शन रहने से दुग्ध उत्पादकता में कमी हो जाती है। अधिकतर संक्रमित पशु 2 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं किंतु दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है। सुरक्षा एवं बचाव के संबंध में कहा गया है कि संक्रमित पशु को स्वस्थ्य पशु से तत्काल अलग कर देना चाहिए। संक्रमित पशु को स्वस्थ पशुओं के झुंड में शामिल नहीं करना चाहिए।

पशुओं की बिक्री और प्रदर्शनी प्रतिबंधित

डॉ. शर्मा ने बताया कि संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलने वाले व्यक्ति की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु प्रशासन द्वारा नगर परिषद, ग्राम निकायों को निर्देशित किया गया है। संक्रमित क्षेत्र के बाजारों में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी आदि पूर्णता प्रतिबंधित रहेगी। क्षेत्र के केंद्र बिंदु से 10 किलोमीटर की परिधि क्षेत्र में पशु बिक्री कार्य नहीं किया जाना चाहिए। पशु बांधने की जगह तथा आसपास साफ सफाई रखना अत्यंत आवश्यक है। पशु में संक्रमण की दशा में सबसे पहले पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग करके पशु चिकित्सक की उपस्थिति में एंटीपायरेटिक एंटी इन्फ्लेमेटी दवाई 5 दिन तक लगवाना चाहिए।

38 पशु बीमारी से ग्रसित

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