कोर्ट का फैसला : केस दर्ज करने की धमकी देकर रिश्वत की मांग करने वाले सहायक उपनिरीक्षक को 4 वर्ष की सजा व जुर्माना
⚫ शिकायतकर्ता ने ही दे दी विपरीत गवाही
⚫ शिकायतकर्ता पर कार्रवाई के निर्देश दिए कोर्ट में
हरमुद्दा
शाजापुर, 9 सितंबर। सहायक उपनिरीक्षक में अवैध रूप से मोरम डलाने की धमकी देकर ₹10000 रिश्वत की मांग की। इसकी शिकायत की गई। लोकायुक्त ने सहायक उप निरीक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। मगर शिकायतकर्ता गवाही से पलट गया और विपरीत गवाही दी। कोर्ट ने उपनिरीक्षक को जहां 4 साल की सजा और जुर्माने से दंडित किया वहीं गवाही देने से पलटने पर शिकायतकर्ता पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
जिला मीडिया प्रभारी सचिन रायकवार ने हरमुद्दा को बताया कि विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जिला शाजापुर नीतूकांता वर्मा द्वारा आरोपी रामचरण नावरिया, तत्कालीन सहायक उपनिरीक्षक पुलिस थाना मोहन बडोदिया जिला शाजापुर को दोषी पाया। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000/- रुपए के जुर्मानें तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)बी सहपठित धारा 13(2) में चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000/- रू के जुर्मानें से दण्डित किया गया।
यह हुआ था घटनाक्रम
जिला मीडिया प्रभारी रायकवार ने बताया कि आरोपी रामचरण नावरिया सहायक उपनिरीक्षक पुलिस थाना मोहन बडोदिया ने 18 जुलाई 2018 को आवेदक उदय सिंह से, मकान में अवैध रूप से मुरम डलवाये जाने पर केस दर्ज करने की धमकी देकर 10,000/ रुपए रिश्वत की मांग की। इसके बाद 27 जुलाई 2018 को थाना मोहन बडोदिया में कक्ष के अंदर आरोपी रामचरण ने आवेदक उदय सिंह से 8000/ रुपए रिश्वत की मांग की और 2000/ रुपए रिश्वत में लिए जाने पर सहमत हुआ। इसके बाद 01 अगस्त 2018 को दोपहर के लगभग 02:35 बजे देवकिशन राठी के मकान के पास सारंगपुर रोड़, मोहन बड़ोदिया जिला शाजापुर में आवेदक उदय सिंह से आरोपी रामचरण ने केस दर्ज न करने के एवज में 2,000/ रुपए रिश्वत राशि प्राप्त की।
लोकायुक्त पुलिस ने किया चालान प्रस्तुत
लोकायुक्त पुलिस उज्जैन द्वारा सम्पूर्ण अनुसंधान पश्चात चालान विशेष न्यायालय शाजापुर में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी सचिन रायकवार, विशेष लोक अभियोजक जिला शाजापुर द्वारा की गई।
किया अंतिम तर्क प्रस्तुत
न्यायालय के समक्ष विशेष लोक अभियोजक सचिन रायकवार के द्वारा लिखित में अंतिम तर्क भी प्रस्तुत किए। अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी को न्यायालय द्वारा दण्डित किया गया।
शिकायतकर्ता ही पलट गया गवाही से, होगी उस पर कार्रवाई
आवेदक उदय सिंह के द्वारा स्वयं विपुस्था लोकायुक्त उज्जैन में उपस्थित होकर आरोपी के विरूद्ध कार्रवाई किए जाने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया एवं सभी कार्यवाहीयों में भाग लिया गया। फिर भी प्रकरण में न्यायालयीन साक्ष्य के दौरान विपरीत कथन देकर आवेदक उदय सिंह ने न्यायालय के समक्ष मिथ्या साक्ष्य दी व गढ़ी गई होने पर, अभियोजन के निवेदन पर न्यायालय द्वारा आवेदक उदय सिंह के विरूद्ध कार्रवाई किए जाने का निर्देश भी दिया गया।