खुद को न्यायालय से भी उपर मानते है हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी, हठधर्मिता के चलते फैसला मानने को तैयार नहीं

⚫ न्यायालय का आदेश मानने को तैयार नहीं

⚫ फर्ज रजिस्ट्रीयां कराने से लेकर कई तरह के भ्रष्टाचार को लेकर चर्चित रहे गृह निर्माण मण्डल के अधिकारी

⚫ परिवादी ने न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर दोषी अधिकारियों को जेल भेजे जाने की मांग की

हरमुद्दा
रतलाम,20 सितम्बर । फर्जी रजिस्ट्रीयां कराने से लेकर कई तरह के भ्रष्टाचार को लेकर चर्चित रहे गृह निर्माण मण्डल के अधिकारी अब खुद को न्यायालय से भी उपर समझने लगे है। हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी, न्यायालय का आदेश भी मानने को तैयार नहीं है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित एक आदेश को हाउसिंग बोर्ड रतलाम के अधिकारियों ने न सिर्फ मानने से साफ इंकार कर दिया, बल्कि न्यायालय के आदेश के विपरित उपभोक्ता से लिखित रूप में लाखों रु. की मांग भी कर डाली। मामले के परिवादी ने न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर दोषी अधिकारियों को जेल भेजे जाने की मांग की है।

मामला अलकापुरी के एक भूखण्ड का है। पत्रकार तुषार कोठारी ने हाउसिंग बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से बढाए गए भूखण्ड के दाम के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया था। जिला उपभोक्ता फोरम ने श्री कोठारी के पक्ष में आंशिक रुप से फैसला देते हुए हाउसिंग बोर्ड को आदेश दिया था,कि वे परिवादी द्वारा जमा कराई गई राशि पर परिवादी को ब्याज अदा करें साथ ही परिवादी की बकाया राशि पर भी ब्याज देने के आदेश दिए गए थे। जिला उपभोक्ता फोरम के इस आदेश से श्री कोठारी को लगभग 42 हजार रु. का लाभ हो रहा था।

राज्य उपभोक्ता फोरम ने भी जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को माना सही

जिला फोरम के इस आदेश को दोनो ही पक्षों ने राज्य उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी थी। लम्बी कानूनी लडाई के बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने दोनो ही पक्षों की अपीलें खारिज करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित मूल आदेश को यथावत रखा था।

फैसला होने के बावजूद हाउसिंग बोर्ड ने की पौने चार लाख की मांग

राज्य उपभोक्ता आयोग के इस फैसले के बाद जब श्री कोठारी ने हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों से सम्पर्क कर भूखण्ड की रजिस्ट्री करवाने का आग्रह  किया तो हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने जिला फोरम के आदेश को नजर अंदाज करते हुए श्री कोठारी की जमा राशि पर आज दिनांक तक वर्ष 2022 तक का ब्याज जोड कर उनसे करीब पौने चार लाख रु. की मांग की। श्री कोठारी का कहना था कि जिला फोरम के आदेश के मुताबिक बकाया राशि पर मूल आदेश के समय अर्थात वर्ष 2014 तक का ही ब्याज लिया जा सकता है।

फोरम के फैसले के बावजूद हाउसिंग बोर्ड की मनमानी

हाउसिंग बोर्ड द्वारा मनमानी राशि की मांग किए जाने पर श्री कोठारी ने फिर से जिला फोरम में आदेश के प्रवर्तन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। श्री कोठारी के प्रवर्तन प्रकरण में सुनवाई के पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष रमेश मावी ने हाउसिंग बोर्ड को सुस्पष्ट आदेश दिया कि हाउसिंग बोर्ड, परिवादी तुषार कोठारी से वर्ष 2014 तक की अवधि का ही ब्याज ले सकता है। हाउसिंग बोर्ड को आदेश दिया गया कि वह वर्ष 2014 तक के ब्याज राशि की गणना कर परिवादी को सूचित करें जिससे कि परिवादी राशि जमा करवा कर अपने भूखण्ड की रजिस्ट्री करवा सके।

परिवादी को देना है केवल ₹28000 और हाउसिंग बोर्ड मांग रहा है दो लाख से ज्यादा

लेकिन हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की हठधर्मिता देखिए कि न्यायालय के आदेश के बाद परिवादी तुषार कोठारी को फिर से एक मांग पत्र दिया गया और इस मांग पत्र में फिर से वर्ष 2022 तक के ब्याज की राशि की मांग की गई। जबकि न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि ब्याज की गणना केवल 2014 तक ही की जा सकती है। परिवादी श्री कोठारी के अनुसार न्यायालय  के आदेश के मुताबिक उन्हें अब केवल करीब 28 हजार रु हाउसिंग बोर्ड को अदा करना है जबकि हाउसिंग बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से उनसे 2 लाख 11 हजार रु  की मांग की जा रही है।

न्यायालय से ऊपर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी

हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियो की हठधर्मिता के विरुद्ध परिवादी श्री कोठारी ने फिर से उपभोक्ता फोरम में आवेदन प्रस्तुत किया है। अपने आवेदन में श्री कोठारी ने न्यायालय से मांग की है कि न्यायालय के आदेश की अवमानना करने वाले हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री और संपदा प्रबन्धक को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 27 के प्रावधानों के तहत जेल भेजा जाए। न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर की तिथी तय की है। 17 अक्टूबर को न्यायालय इस सम्बन्ध में निर्णय लेगा कि खद को न्यायालय से उपर समझने वाले हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को कैसे दण्डित किया जाए।

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