प्रो. अजहर हाशमी का गीतकार जितना वजनदार, उनका गद्य लेखन उतना ही दमदार : चतुर्वेदी
⚫ प्रो हाशमी की पुस्तक ” … तो बसंत लौट आएगा” पुस्तक का विमोचन किया लेखक व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने
⚫ नवीन शिक्षा नीति के मानक पर खरा उतरता निबंध संग्रह
⚫ पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए निबंध संग्रह को
हरमुद्दा
रतलाम, 1 अक्टूबर। प्रसिद्ध साहित्यकार और चितंक प्रो, अजहर हाशमी द्वारा “… तो बसंत लौट आएगा” शीर्षक से लिखी गई पुस्तक का लेखक व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने वर्चुअल विमोचन किया। डॉक्टर चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो. हाशमी का गीतकार जितना वजनदार है, उनका गद्य का लेखन उतना ही दमदार है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि निबंध हिंदी साहित्य वह विधा है, जिसे विशिष्ट श्रेणी में रखा जाता है। किसी विषय पर आलेख लिखना सरल है किंतु निबंध लेखन करना कठिन। प्रो. हाशमी ने “… तो बसंत लौट आएगा” जैसी पुस्तक की रचना करके निबंध-लेखन की मार्गदर्शिका प्रस्तुत कर दी है।
पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए निबंध संग्रह
प्रो. हाशमी का यह निबंध-संग्रह चेतना और चितंन के नए द्वार खोलता है। प्रो. हाशमी का यह निबंध-संग्रह पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यह नवीन शिक्षा नीति (2020) के मानक पर खरा उतरता है। यह पुस्तक (“… तो बसंत लौट आएगा” ) हर लायब्रेरी में होना चाहिए।
राष्ट्र, शिक्षा और भारतीय संस्कृति के पक्ष गौरवान्वित
उल्लेखनीय है कि संदर्भ प्रकाशन भोपाल द्वारा 112 पृष्ठ की इस पुस्तक में 41 निबंध हैं- जैसे नववर्ष: संतुलन की साधना-लय की आराधना, उगता सूरज, … तो बसंत लौट आएगा, इन सात रंगों से खेेले होली, नवरात्र नकारात्मकता पर विजय का पर्व, मैनेजमेंट गुरु गणेशजी, शिव यानी कल्याण, शस्त्र और शास्त्र के समन्वयक का नाम है परशुराम, धर्म का अर्थ स्वरूप और औचित्य, श्रीराम केवट और संविधान, सूफीवाद-ख्वाजा और भारतीय संस्कृति, मानवता के मसीहा महावीर स्वामी, गुरु नानकजी ने दिया संगत और लंगर का संदेश, महानायक बिरसा मुंडा, सौहार्द के संरक्षक महाराणा प्रताप, डा. भीमराव आंबेडकर का आर्थिक चिंतन, विज्ञान की वीणा पर स्वावलंबन का संगीत थे कलाम, नारी: सहन शक्ति से समर्थ शक्ति तक, ज्योति बा फुले, गायब है गौरैया आदि। उक्त निबंध संग्रह की भूमिका प्रसिद्ध विचारक, कवि व लेखक डॉ. प्रेम भारती ने लिखी है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि प्रो. हाशमी के लेखन में राष्ट्र, शिक्षा और भारतीय संस्कृति के पक्ष को गौरवान्वित करने का सामर्थ्य है। सारांश यह है कि प्रो. अजहर हाशमी का गीतकार जितना वजनदार है, उनका गद्य का लेखन उतना ही दमदार है।