मुद्दे की बात हेलमेट की अनिवार्यता पर : ना कोई प्रचार प्रसार और ना ही कोई समझाइश, शुरू हो गया दबंगई के साथ सिर्फ वसूली अभियान, हाईकोर्ट की हूल दे रहे हैं वसूली वाले, ऐसे होगी अनिवार्यता सिद्ध
हेमंत भट्ट
हाई कोर्ट जबलपुर के फैसले के पश्चात 6 अक्टूबर से प्रदेश भर में दो पहिया वाहन चालकों और पीछे बैठने वालों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर आदेश जारी हो गए हैं। और आदेश का पालन वसूली करके शुरू हो गया है। जिनके हेलमेट नहीं है। पुलिस वाले ढाई ढाई सौ रुपए की वसूली कर रहे हैं। जब उनसे बहस की जाती है तो वह हाईकोर्ट की हूल देते हैं, जबकि फैसले में कहा गया है कि जन जागरूकता अभियान चलाया जाए। जागरूकता के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, सोशल मीडिया सहित अन्य प्रचार माध्यमों से प्रचार प्रसार करें। प्रसार के पश्चात भी यदि कोई व्यक्ति मानता नहीं है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन रतलाम में तो बिना प्रचार प्रसार, जन जागरूकता के वसूली अभियान शुरू कर दिया है। जब पुलिस वाले से बहस की जाती है तो वह हाईकोर्ट की हूल दे रहे हैं। यहां तक की अपशब्द कहने और शासकीय कार्य में बाधा डालने तक का धौंस देते हैं। उसके बावजूद भी चौराहों पर वसूली करने वालों के व्यवहार सामाजिक नहीं है।
माना कि वाहन चालकों को हेलमेट की अनिवार्यता होनी चाहिए, जो भी लोग दुर्घटना में मारे गए हैं, वह शहर से बाहर जाने वाले हैं। एक शहर से दूसरे शहर या गांव। गांव से शहर आने वाले लोगों पर हेलमेट की अनिवार्यता हो तो और भी बात बनती है। वे फोरलेन पर चलते हैं। वह 4, 6, 8 पहिया वाहनों के बीच से गुजरते हैं। वह देखते नहीं है कि सड़क पर और भी कोई चल रहे हैं। इसी कारण वे अंधाधुन गति से चलते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं लेकिन शहर में तो 20 से 30 की गति से बढ़कर कोई वाहन चल नहीं पाता। और तो और सड़कों की यातायात व्यवस्था और सड़कों की माली हालत भी इतनी अच्छी नहीं है कि एक वाहन 20 की गति से भी चल पाए। मुद्दे की बात तो यह है कि शहर में अनिवार्यता बिलकुल भी बेमानी है। हाई कोर्ट ने जरूर यह फैसला दे दिया लेकिन वह शहरवासियों पर थोपना समझदारी नहीं है।
बस शुरू हो गई कार्रवाई
बहस करते हुए व्यक्ति ने कहा कि आप को तो मात्र वसूली करने के लिए ही आदेश दिए हैं, बाकी अन्य आदेश जो मिले हैं उसका क्या? सभी जागरूक और हाई कोर्ट का फैसला भी पता है कि कोर्ट ने क्या कहा है, लेकिन आपने सिर्फ सख्त कार्रवाई करना शुरू कर दी यह न्याय संगत नहीं है।
ढाई सौ की रसीद कटवाने से क्या नहीं फटेगा सर
ढाई सौ की रसीद कटवाने से क्या सिर नहीं फटेगा। दुर्घटना रुक जाएगी। ट्रक नहीं कुचलेगा। जबकि होना यह चाहिए कि जहां पर भी यातायात पुलिस कार्रवाई कर रही है, वह ढाई सौ की बजाय ₹500 ले, लेकिन हेलमेट दें ताकि वह पहने। हेलमेट की अनिवार्यता ऐसे सिद्ध होगी। केवल सरकारी खजाना भरने से नहीं। इस अभियान को ग्रामीण क्षेत्र में चलाना चाहिए जो शहरी क्षेत्र में सब्जियां, फल, फूल लेकर आते हैं। बेचने के लिए आते हैं। मजदूरी के लिए आते हैं। इससे तमाम लोगों को हेलमेट की अनिवार्यता सबक सिखाना जरूरी है। वसूली करने से ही हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो जाएगा।
उस समय होने लगी थी ज्यादा दुर्घटना
और वैसे भी शहरों में हेलमेट पहन कर दो पहिया वाहन चलाना काफी परेशानी भरा है। हेलमेट के बजन से आदमी गर्दन घुमा कर इधर उधर देख नहीं पाता है। दुर्घटना और ज्यादा होने लगती है। इसका प्रमाण सामने भी आया है। इंदौर में हेलमेट के कारण दोपहिया वाहन के टकराने की संख्या काफी बढ़ गई थी, तभी वहां पर इस प्रकार की छूट दी गई थी कि हेलमेट अनिवार्य नहीं है। फिर से आदेश प्रसारित कर दिया 20 अक्टूबर तक के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए, मगर जागरूकता अभियान केवल वसूली अभियान बनकर ही शुरू हुआ है। जागरूकता लाने के लिए पुलिस प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाए हैं।
वसूली होगी तो बड़े साहब से पीठ थपथपाई
मुद्दे की बात तो यही है कि यातायात व्यवस्था को सुधारने में नाकारा साबित हो रहा पुलिस प्रशासन वसूली में वरिष्ठ अधिकारियों से पीठ थपथपाने के लिए कमर कस के मैदान में उतर गया हैं। चौराहों पर यातायात को व्यवस्थित करने के लिए पुलिस के पास जवान नहीं है लेकिन वसूली करने के लिए दर्जनों उपलब्ध हो जाते हैं।
एडीजी ने दिए हैं यह निर्देश, और हो रहा है वह
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पुलिस एवं शोध प्रशिक्षण संस्थान जी.जनार्दन ने जीवन-सुरक्षा के लिए आवश्यक हेलमेट लगाने को आम व्यक्ति को प्रेरित करने के लिए जन-जागरूकता के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करने के निर्देश गए हैं। निर्देशित किया गया है कि प्रचार-प्रसार के लिए ऑटो, मोबाईल शॉप, समस्त होटल, ढाबा, रेस्टोरेन्ट, मॉल में फ्लेक्स बैनर लगाकर प्रचार-प्रसार किया जाए। डायल 100 एवं शहर में लगे पी.ए.सिस्टम, वी.एम.एस. सिस्टम से हेलमेट धारण करने के संबंध में लगातार उद्घोषणा की जाए। प्रत्येक दो थानों के बीच पी.ए. सिस्टम से आवश्यक रूप से हेलमेट धारण करने के संबंध में, लगातार व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। जिला आबकारी विभाग द्वारा संचालित लाइसेंसी शराब की दुकानों एवं हाट बाजार के पार्किंग स्थलों पर भी हेलमेट धारण करने के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। स्थानीय टी.वी.चैनल, इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिन्ट मीडिया, सोशल मिडिया और प्रिंट मीडिया से भी अनिवार्यत: हेलमेट लगाने के संदेश को प्रसारित-प्रकाशित किया जाए।
मगर हकीकत यही
हकीकत यही है कि आदेश के इन बिंदुओं का कहीं से कहीं तक कोई पालन नहीं किया गया है। बस वसूली शुरू कर दी गई और हो जाएगा अभियान। हेलमेट लगे या ना लगे। वसूली कर लें ताकि दिवाली मना सकें। या फिर हेलमेट के व्यवसाय में उछाल आ सके।