70 मिनट की झमाझम बारिश और हर कोई हालाकान, मेला परिसर हुआ पानी पानी, परेशान हुई जिंदगानी, शहर में अनेक स्थानों पर जल जमाव की स्थिति

⚫ सीवरेज भी ऊगल रहे पानी

⚫ बाजारों में बिजली गुल, सड़कों पर पसरा अंधेरा

⚫ वाहनों की लाइट से रोशन हुई सड़कें

हरमुद्दा
रतलाम, 7अक्टूबर। शुक्रवार की रात 8:06 से झमाझम बारिश का दौर शुरू हुआ एक जैसी बारिश 9: 16 तक हुई। 70 मिनट की बारिश ने एक बार फिर जिम्मेदारों की पोल खोल दी। मेला परिसर पानी पानी हो गया। इस दौरान नगर निगम आयुक्त मेले की एक दुकान में घिर गए थे। जिस दुकान में हुए बैठे थे वहां पर भी जलभराव की स्थिति निर्मित हुई। उनसे निकटता बनाने वाले कुछ अधिकारियों ने कुछ आव भगत की। जब दुकान में पानी बढ़ने लगा दो गाड़ी बुलवा ली। गाड़ी को आता देख दूसरी दुकान वाले ने फटाफट टेबल और कुर्सी हटाई ताकि गाड़ी निकल सके और जैसे तैसे आयुक्त को गाड़ी में बिठाया और रवाना किया। उसके बाद निकटता रखने वालों ने व्यंजनों का लुत्फ लिया।

मेला परिसर और झमाझम बारिश

बारिश से बचने के लिए दुकानों में आते लोग
बारिश रुकने का इंतजार करते हुए
तेज बारिश के चलते बिजली भी हुई गुल
दुकानों के सामने टेबल ऊपर औंधी पड़ी कुर्सियां
पानी रुकने के बाद दुकान से पानी उलते हुए कर्मचारी

मेले में लोग परेशान होते रहे। भीगते रहे। बच्चों को बचाते रहे। मेले में दुकानों की अधिकांश कुर्सियां टेबल पर औंधे मुंह रखी हुई थी। वैसे भी मेले में आने का समय शाम 7:00 बजे बाद का ही रहता है लोग मेले में पहुंचे थे। माता रानी के दर्शन किए थे ही और झमाझम बारिश ने सारा मजा किरकिरा कर दिया।

बाजारों में लाइट बंद चारों ओर पानी ही पानी

9 बजकर 16 मिनट पर जैसे ही बारिश रुकी। जैसे तैसे घर पहुंचने का लोग जतन करने लगे। बाजार में देखा तो बिजली गुल थी। चौमुखी पुल चौराहा जल मग्न। कॉलेज रोड, नाहरपुरा, धानमंडी बाजार, घास बाजार, नोलाई पुरा, मोतिपुज्य जी मंदिर, भरावा की कुई, कसारा बाजार, लक्कड़पीठा, बाजना बस स्टैंड सड़कों पर जलजमाव था। वाहन चालकों को काफी दिक्कतें हो रही थी।

रानी जी मंदिर से गणेश देवरी सड़क पर घुप अंधेरा

मोती पूजा जी मंदिर से चौमुखी पुल पर जलजमाव

भरावा की कुई की ओर

चौमुखी की पुल पर चारों ओर जलजमाव

लक्कड़पीठा रोड पर जलभराव और सीवरेज से निकलता पानी

बाजना बस स्टैंड मुख्य मार्ग

कोई बाजार में नहीं थे मौजूद

शहर के जिम्मेदारों से इससे कोई सरोकार नहीं था। वह तो अपने अपने घरों में आराम फरमा रहे थे। उनको लोगों की दिक्कत से कोई लेना-देना नहीं था। ना कोई पुलिस प्रशासन सड़कों पर मौजूद था न ही नगर निगम का अमला।

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