वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे रोशनी घर में भी आज क्यों अंधेरा है ? -

रोशनी घर में भी आज क्यों अंधेरा है ?

⚫ मुद्दा प्रदेश में 23 नवंबर को बिजली कर्मचारी, पेंशनर सब काम बंद होने को मजबूर होने का

⚫ बेअसर सो रही है डबल इंजन की सरकार

⚫ मुख्यमंत्री जी संवेदनशील बनिए

⚫ पंजाब और ओडिसा के बाद अब राजस्थान में भी संविदा कर्मी नियमित

⚫ विवेक रंजन श्रीवास्तव

मंगलवार, 22 नवंबर। एक देश, एक टैक्स, एक संचार नेटवर्क, एकता की बड़ी बड़ी यात्राएं और ढेर से भाषण , पर राज्यों में चुनाव जीतने के लिए बार बार बिजली बिलों पर घटिया राजनीति । सरकारे कभी बिल माफी, कभी छूट, कभी कोयले की खरीद में धांधली, कभी बिजली इंफ्रा स्ट्रक्चर की खरीद, सस्ते में बिक्री, निजीकरण, या अन्य तरह तरह के तुगलकी कार्य कर रही हैं। यह सारा कुछ जानता के हित के नाम पर आकर्षक योजनाएं दिखाकर वोट बटोरे जा रहे हैं । लकड़ी की बिजली वाली हांडी फिर फिर नए नारे के साथ चढ़ रही हैं। क्या कारण है की मध्य प्रदेश में 23 नवंबर को बिजली कर्मचारी, पेंशनर सब काम बंद होने को मजबूर हो रहे हैं?

मध्यप्रदेश शासन की श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में यूनाइटेड फोरम की रैली  विभिन्न मागों के समर्थन में आयोजित है जिनमें प्रमुख रूप से विद्युत कंपनियों का निजीकरण रोकने , संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण, आउटसोर्स कर्मचारियों का कंपनियों में संविलियन एवं वेतन में बढ़ोतरी, पेंशन फंड की गारंटी शासन स्तर पर वेतन विसंगति दूर करने, कैशलेस बीमा योजना, सभी नियमित कंपनी कैडर पेंशनर्स संविदा एवं आउट सोर्स के लिए लागू करना , विद्युत में छूट प्रदान करने सहित अन्य कई मांगों के समर्थन में 23 नवंबर 2022 को यूनाइटेड फोरम के आह्वान पर प्रदेश के संयोजक श्री बी के एस परिहार के नेतृत्व में भोपाल में विशाल रैली का आयोजन किया गया है । उस रैली में प्रदेशभर के अधिकारी कर्मचारियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने की अपील की गई है । निश्चित ही उपभोक्ता इससे प्रभावित होंगे , पर डबल इंजन की सरकार बेअसर सो रही है।

पंजाब और ओडिसा के बाद अब राजस्थान में भी संविदा कर्मी नियमित

पंजाब और ओडिसा के बाद अब राजस्थान में भी संविदा कर्मी नियमित होने जा रहे हैं । इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आदेश कर दिए हैं जिसके फलस्वरूप  5 साल से अधिक समय तक सरकारी सेवा कर चुके 1 लाख 10 हजार संविदा कर्मी नियमित होंगे । छत्तीसगढ़ समेत अनेक राज्यो में पहले से ही संविदा कर्मी  नियमित हो चुके हैं । पर मध्य प्रदेश में तो 15 साल से भी अधिक समय तक सेवा कर चुके संविदा कर्मी अभी भी नियमित नहीं हुए हैं। पार्टी पालटिक्स देश को डूबा रही है । म प्र चुनाव 2023  में है। और चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। पेंशनर्स को तो जैसे सरकार मतदाता मानते ही नहीं है ,इसलिए आईएएस  एमडी महानुभाव को उनकी जरा परवाह नहीं है , सरकार गुमराह की जा रही है । छत्तीस गढ़ के विभाजन का बहाना लेकर पेंशनधारियो  को मंहगाई नहीं दी जा रही जबकि छत्तीस गढ़ में केंद्र के बराबर भत्ते दिए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में एमपी से अधिक मिल रहा पेंशन में डी ए

देश और राज्यों में कई बार मेहनत कश कर्मियों और पेंशनर्स ने ही सत्ता परिवर्तित की है, यह समझना आवश्यक है । मुख्यमंत्री जी संवेदनशील बनिए और कर्मियो, संविदा कर्मी, आउटसोर्स कर्मियों व पेंशनर्स की मांगों को पूरा कीजिए। इन कर्मियों की  ये मांगे जनता , बिजली सेक्टर , और बिजली उपभोक्ता सबके व्यापक दूरदर्शी हित में हैं । जितने राज्य उतनी बिजली दरें उपभोक्ता हित में नहीं है। पेंशन में डी ए,  छत्तीसगढ़ में एमपी से अधिक मिल रहा है। जब सब कुछ सरकारी कर्मचारियों सा है तो पेंशन भी एमपी ट्रेजरी से दी जानी की व्यवस्था हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *