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19 वा गीता जयंती महोत्सव : जीवन की समस्याओं का समाधान मिलता है श्रीमद भगवत गीता, विनम्रता के बिना सफलता बेकार

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⚫ विभिन्न आयोजनों के साथ मनाया उत्सव

⚫ आरती के पश्चात भोजन प्रसादी ग्रहण की भक्तों ने

हरमुद्दा
रतलाम, 6 दिसंबर। श्री राधाकृष्ण संस्कार परिषद एवं गीता जयंती महोत्सव समिति के बैनर तले 19वां गीता जयंती महोत्सव धार्मिक भक्ति भावनाओं के साथ मनाया गया। विद्वान वक्ताओं ने कहा कि धार्मिक ग्रंथ जीवन का प्रदर्शित करते हैं। जीवन की अनेक दुविधाओं का समाधान श्रीमद भगवत गीता में निहित है। किसी व्यक्ति में विनम्रता का भाव नहीं है तो उसका सफल होना बेकार है। सफलता के साथ व्यक्ति का विनम्र होना आवश्यक है। आरती के पश्चात भक्तों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की।

श्री राधा कृष्ण संस्कार परिषद एवं गीता जयंती महोत्सव के संस्थापक संयोजक पुष्पोद्भव शास्त्री ने बताया कि हनुमान बाग अमृत सागर तालाब पर आयोजित हुए गीता जयंती महोत्सव में सुबह से ही धार्मिक उत्सव का सिलसिला शुरू हो गया। आयोजन की शुरुआत में श्रीमद भगवत गीता का पूजन धर्मनिष्ट सतीश राठौर, पुत्रवधू किरण एवं पुत्री शिवानी ने किया। इसके पश्चात धर्मालुजन आते रहे और श्रीमद भगवत गीता का पूजन अर्चन करते रहे। तत्पश्चात गीता पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मनोज शर्मा, सतीश राठौर, सुनील शर्मा, राजवर्धन सिंह, शैलेश वैस, भुवनेश पंडित, मोहन गोधा, बाबूलाल शर्मा, मोहन मुंशी, ईश्वर पाटीदार, जसपाल सलूजा, महेंद्र टाक, पार्षद चौहान आदि मौजूद थे। संचालन शरद वर्मा ने किया।

कर्तव्य का निर्वहन करते हुए धर्म के पथ पर रहे सदैव अग्रसर

आचार्य महिधर शास्त्री

कामनाओं का न्यास करना है ही सन्यास है। जो अपने आश्रम धर्म का पालन करता है वही व्यक्ति धन्यवाद का पात्र है। मनुष्य को अपने सभी कर्तव्य का निर्वहन करते हुए धर्म के पथ पर सदैव अग्रसर रहना चाहिए। श्रीमद भगवत गीता को सबसे पूजनीय वेद-ग्रंथों में गिना जाता है। इसके साथ गीता का पाठन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें जीवन में उत्पन्न होने वाली सभी दुविधाओं के विषय में श्री कृष्ण ने श्लोक के माध्यम से समाधान बताया है।

⚫ आचार्य महिधर शास्त्री

मानव को जीने का ढंग सिखाती श्रीमद भगवत गीता

सनातन धर्म में धार्मिक वेद-पुराणों का विशेष महत्व है। इन सबमें भी श्रीमद भगवत गीता को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश के रूप में पढ़ा और सुना जाता है। जिस वजह से इस धर्मग्रन्थ का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। जिसने अपने मन के मोह को समाप्त कर दिया है। आसक्ति को जीत लिया है, जो नित्य ही अध्यात्मरत है। ईश्वर चिंतन में युक्त है। जो कामनाओं से निवृत्त हो चुका है। समस्त द्वंदों में सम हैं। ऐसे व्यक्ति अव्यय पद को प्राप्त होते हैं। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो मानव को जीने का ढंग सिखाता है। गीता जीवन में धर्म, कर्म और प्रेम का पाठ पढ़ाती है। श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान मानव जीवन और जीवन के बाद के जीवन दोनों के लिए उपयोगी माना गया है। गीता संपूर्ण जीवन दर्शन है और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ होता है। गीता में श्रीकृष्ण ने दुख को सर्वश्रेष्ठ मित्र बताया है।

⚫ आचार्य सत्यव्रत शास्त्री

साधना तभी सफल होती है, जब समय का हो पालन

हर कार्य को करने का एक नियम होना चाहिए। किसी भी कार्य को ठीक एक ही समय पर नियम के साथ करते रहने से उसकी आदत बन जाती है। कोई भी साधना तभी सफल होती है, जब समय का पालन किया जाए। आसक्ति से ऊपर उठकर ही व्यक्ति को शांति की प्राप्ति हो सकती है। अनुकरणीय जीवन जीने की शिक्षा गीता से ही मिलती है।

⚫ नंदकिशोर व्यास

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