समरसता के लिए शस्त्र, शास्त्र और और सामाजिक एकता की जरूरत

⚫ चाणक्य स्मृति दिवस पर गंगा आश्रम में हुई संगोष्ठी

हरमुद्दा
रतलाम, 11 जनवरी। सामाजिक समरसता और अखंड भारत की संकल्पना के लिए पहला कदम उठाने की आवश्यकता है। तो फिर करोड़ों हिंदुस्तानियों के कदम हमारे साथ चल निकलेंगे। समरसता के लिए शस्त्र, शास्त्र और और सामाजिक एकता की जरूरत है।

यह विचार नरेंद्र त्रिवेदी ने व्यक्त किए।  श्री त्रिवेदी चाणक्य स्मृति दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। संयोजक पुष्पेंद्र जोशी ने बताया कि श्री त्रिवेदी मेवाड़ा ब्राह्मण समाज के श्री एकलिंग नाथ महादेव मंदिर गंगा आश्रम पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री त्रिवेदी मेवाडा ब्राहमण समाज के संरक्षक जितेंद्र प्रकाश भट्ट ने की। विशेष अतिथि के रूप में शरद शुक्ला मौजूद थे। प्रारंभ में अतिथियों ने आचार्य चाणक्य के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया।

अखंड भारत के लिए एक कदम उठाने की आवश्यकता

कर्मचारी नेता सुरेश जोशी ने कहा कि सामाजिक समरसता और अखंड भारत के लिए एक कदम उठाने की आवश्यकता है। आनंद गांधी ने कहा कि सामाजिक समरसता में संतों की  भूमिका इतिहास में भी और वर्तमान में भी महत्वपूर्ण रही है। सुभाष शर्मा ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए समाज को खण्ड, खण्ड करने वालो को हमे रेखांकित कर समाज के सामने लाना होगा, और बताना होगा कि यह लोग समाज को जोड़ने के वजाय तोड़ने का कार्य कर रहे है। बालकृष्ण तिवारी ने वर्तमान परिपेक्ष में कहा कि हमको एक संगठित हिंदुस्तान बनाने की जरूरत है। इसके लिए समस्त समाज जनों को एक मंच पर लाने का जतन करें।

यह थे मौजूद

सेन समाज के श्यामसुंदर भाटी, जैन समाज के सुनील भंडारी, राजपूत समाज के शैलेंद्र सिंह राठौर, विक्रम भाग के सद्भाव प्रमुख राजेश जैन, आनंद गांधी, त्रिवेदी मेवाडा ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अनिल कुमार भट्ट, पूर्व पार्षद सत्यदीप भट्ट, जसवंत जोशी, महेश जोशी, प्रवीण रावल, अजय शर्मा आदि ने संगोष्ठी में विचार व्यक्त किए। संचालन बृजेंद्रनंदन मेहता ने किया। आभार महेश जोशी ने माना।

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