दशकों बाद जागे जिम्मेदार : मल मूत्र के पानी में वस्त्रहीन बैठी थी मनोरोगी महिला, उपचार की अभिलाषा में जंजीरों में थे जकड़े, हुसैन टेकरी शरीफ की हकीकत

⚫ मनोरोगियों के साथ ऐसा व्यवहार अपराध की श्रेणी में

⚫ अमानवीय और नारकीय जीवन जीने को मजबूर मनोरोगियों की अब ली जाएगी सुध

⚫ हुसैन टेकरी शरीफ पर दुआ के साथ मिलेगी उनको दवा भी

⚫ प्रशासन के जिम्मेदार करेंगे विशेष देखभाल

⚫ पत्रकारों ने भी दिए सुझाव

⚫ हुसैन टेकरी शरीफ के जिम्मेदारों और प्रशासन के तालमेल से होगी शुरुआत

हरमुद्दा
रतलाम, 13 जनवरी। जिले के जावरा में हुसैन टेकरी शरीफ पर मनोरोगी महिला मल मूत्र के पानी में वस्त्रहीन बैठी हुई थी, वही कुछ जंजीर में जकड़े हुए थे। मनोरोगियों के साथ हो रहे अमानवीय और नारकीय अत्याचार से स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी की डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर विजया सकपाल विचलित हो गई। उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा कि उपचार के लिए दवाई न लेते हुए सिर्फ दुआ के भरोसे ही बैठे हुए हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। हुसैन टेकरी शरीफ के जिम्मेदारों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों की एक बैठक शुक्रवार को हुई जिसमें आपसी समन्वय के साथ दुआ और दवा दोनों के साथ मनोरोगियों को ठीक करने का सुझाव मान्य हुआ। बैठक में पत्रकारों ने भी सुझाव दिए जिन पर अमल करने का आश्वासन दिया गया।

बैठक में मौजूद कलेक्टर एसपी सहित अन्य

सामाजिक सरोकार के महत्वपूर्ण मुद्दे पर शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बात हुई। बैठक में भोपाल से आई स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी की डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर विजया सकपाल ने कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी, पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर जितेंद्र गुप्ता, सीईओ जिला पंचायत जमुना भिड़े, सामाजिक न्याय की डिप्टी डायरेक्टर संध्या शर्मा, स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के सलाहकार रवि गौतम, हुसैन टेकरी शरीफ के जिम्मेदारों के समक्ष हकीकत बयां की।

स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी की डिप्टी डायरेक्टर विजया सकपाल

मानवीय दृष्टि से कतई उचित नहीं ऐसा कृत्य

बैठक में बताया गया कि अब तक मनोरोगियों के उपचार के लिए जो किया जा रहा है, वह मानवीय दृष्टि से उचित नहीं है। इसलिए जहां उनकी आस्था है, वहां से दुआ तो मिले ही मगर उनका समुचित उपचार किया जाए। दवा दी जाए। दवाई से मनोरोगी ठीक होते हैं। जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में इसकी व्यवस्था है। मनोरोगियों के साथ अमानवीय व्यवहार अपराध की श्रेणी में आता है। कार्रवाई का भी प्रावधान है।

मेहनत और उपचार से सैकड़ों मनोरोगी हुए हैं स्वास्थ्य, पहुंचे घर

डॉक्टर निर्मल जैन

जिला चिकित्सालय में मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर निर्मल जैन ने बताया कि 2 से ढाई दशक पूर्व तमिलनाडु में मनोरोगियों को ऐसे ही जंजीरों में जकड़ा गया था और आग लगने के कारण वे अपनी जान नहीं बचा पाए। करीब 100 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। यदि उनको जंजीरों में नहीं जकड़ा गया होता तो वे हादसे का शिकार नहीं होते। इसलिए ऐसे स्थानों पर ऐसे अमानवीय व्यवहार मनोरोगी के साथ नहीं होने चाहिए। इसके लिए एक्ट बना हुआ है, उसको अमल में लाना जरूरी है। डॉक्टर जैन ने बताया कि सड़क पर घूमने वाले सैकड़ों मनोरोगियों का जिला चिकित्सालय में उपचार किया गया है और वह ठीक होकर परिजनों के पास भी पहुंचे हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में काफी मेहनत और समय भी लगा, लेकिन सफल हुए।

मेडिकल कॉलेज में 15 बेड की सुविधा मनोरोगियों के लिए

मेडिकल कॉलेज की डीन डॉक्टर जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में मनोरोगियों की चिकित्सा के लिए 15 बेड आरक्षित किए गए हैं, वहां पर उनका उपचार किया जाएगा। दवाई उपलब्ध रहेगी।

अंधविश्वास फैलाने वालों पर भी रखी जाए नजर

सामाजिक सरोकार के मुद्दे को लेकर हुई बैठक में पत्रकार नरेंद्र जोशी, सुधीर जैन, राकेश पोरवाल, गोविंद उपाध्याय, सुल्तान किरमानी सहित अन्य ने कहा कि वहां पर जितने भी मनोरोगी और उनके परिजन आते हैं, उनका पंजीयन किया जाए। नाम, पता, फोन नंबर सब दर्ज हो। हुसैन टेकरी शरीफ स्थल के आसपास ऐसे लोगों पर भी नजर रखी जाए जो अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। कुरीतियों को फैलाते हैं। ऐसे लोगों की भी काउंसलिंग की जाए। हाजिरी वाले दिन वहां पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि सुधार हो सके। उन्हें समझाया जाए कि केवल दुआ और आस्था के बल पर ही रोगी ठीक नहीं होंगे। उपचार की भी जरूरत है। उन्हें ठीक करने के लिए दवा भी कारगर है। दोनों के ही समन्वित प्रयास से व्यक्ति ठीक होगा।

यह थे मौजूद

बैठक में मौजूद जिलाधिकारी

बैठक में जिला चिकित्सालय से डॉक्टर वर्षा कुरील, डीपीएम डॉक्टर अजहर अली, स्वास्थ्य विभाग के पीआरओ आशीष चौरसिया, डीपीओ डॉ. डीपी घटिया, जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक रत्नेश विजयवर्गीय, जावरा एसडीएम हिमांशु प्रजापति, बीएमओ डॉक्टर रौनक कोचट्टा, एसडीओपी जावरा रविंद्र बिलवाल, हुसैन टेकरी शरीफ के सदस्य सैयद नासिर अली, इकबाल खान, अली इसरार, मोहम्मद शहजाद, नसीर अहमद, बाले खान सहित अन्य मौजूद थे।

संवेदनशील मुद्दा

यह बात सच है कि यह संवेदनशील मुद्दा है। सभी के प्रयास से ही पीड़ित ठीक होगा। जहां दुआ है तो दवा भी जरूरत है। दोनों के समन्वित से कार्य व्यक्ति और समाज को ठीक रखेंगे। बैठक में मिले सुझाव उद्देश्य को लेकर बेहतर है। उन पर क्रियान्वयन होगा।

अभिषेक तिवारी, पुलिस अधीक्षक, रतलाम

अटेंडर को मोटिवेट करना जरूरी

माना कि मनोरोगियों के मामले में लोगों जहां अंधविश्वास होता है, मगर उनके परिजनों को अटेंडर को मोटिवेट करने की भी जरूरत होती है। उन्हें विश्वास में लेना होगा कि केवल हाजिरी भरने से अथवा दुआ प्रार्थना से ही मनोरोगी समय पर ठीक नहीं होगा। यदि दवाई भी चलती रही तो व्यक्ति शीघ्र स्वस्थ होगा। परिवार के साथ होगा।

नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, कलेक्टर, रतलाम

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