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व्याख्यान में मुद्दा : संविधान में राष्ट्रीय पक्षी और पेड़ को स्थान, लेकिन हिंदी भाषा को नहीं, विडंबना नहीं तो और क्या?

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⚫ सूट, बूट, टाई और गौरे-गौरे मुखड़े वाले मुट्ठी भर लोगों ने देश में खड़ा किया भाषायी विवाद

⚫ युवा साहित्यकार, हिंदी भाषा प्रचारक धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार ने कहा

⚫ “एकता के सूत्र में हिंदी भाषा का समन्वय” विषय पर हुआ व्याख्यान

हरमुद्दा
हैदराबाद, 17 जनवरी। सूट, बूट, टाई और गौरे-गौरे मुखड़े वाले मुट्ठी भर लोगों ने देश में भाषायी विवाद खड़ा किया। इसलिए अंग्रेजों की कलुषित मानसिकता और गुलामी से मुक्त होने के लिए आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ी। भारतीय संविधान का नया निर्माण किया गया। विडम्बना यह भी है कि देश के संविधान में राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय पेड़, राष्ट्रीय प्रतीक होने के बावजूद भी ‘राष्ट्रीय भाषा’ के रूप में हिंदी को स्थान नहीं दिया गया। किंतु हमने दिल छोटा नहीं करते हुए वैश्विक स्तर पर हिंदी का परचम लहराया है। आज हिंदी केवल साहित्यिक भाषा ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाणिज्य और व्यापार की भाषा बन चुकी है।

यह विचार युवा साहित्यकार, हिंदी भाषा प्रचारक, अखिल भारतीय हिंदी महासभा के दक्षिण के महामंत्री धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार ने व्यक्त किए। श्री बिराजदार ख्वाजा बंदा नवाज़ विश्वविद्यालय, गुलबर्गा, कर्नाटक के हिंदी विभाग द्वारा “एकता के सूत्र में हिंदी भाषा का समन्वय” विषय पर आयोजित व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। विभागाध्यक्ष डॉ. देशमुख अफशाँ और सहायक आचार्य मिलन बिश्नोई द्वारा आयोजित व्याख्यान में अखिल भारतीय हिंदी महासभा के संगठन महामंत्री अमित रजक ने अध्यक्षता की।

आर्थिक सहयोग का दिया आश्वासन

श्री बिराजदार ने विद्यार्थियों को आधुनिक हिंदी फिल्म जगत, पटकथा लेखन, फीचर लेखन, अनुवादक, स्क्रीप्ट लेखन, संक्षेपण इत्यादि लेखन में आगे बढ़ने की तकनीकी को समझाते हुए हिंदी को रोजगारोन्मुखी बताया। केंद्रीय संस्थान, आगरा से इस दक्खिन क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी के कारण 1 लाख रुपए तक आर्थिक सहयोग संगोष्ठी, वर्कशॉप के लिए दिलवाने का भरोसा दिलवाया।

अपनी भाषा के साथ हिंदी को भी लाएं व्यवहार में तो मिलेगा रोजगार

अखिल भारतीय महासभा के संगठन महामंत्री ने अमित रजक ने कहा कि हिंदी राष्ट्र की संकल्पना में एकता और अखंडता का काम करती है। हिंदी केवल आदान-प्रदान की भाषा नहीं बल्कि हिंदी रोजगार व पेट की भाषा है। हिंदी के माध्यम से ही विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त करने के लिए अनेकानेक अवसर उपलब्ध है, किंतु उन्हें अपनी मातृभाषा के साथ हिंदी भाषा में प्रशिक्षण लेने से मंत्रालय, भारतीय दूतावासों, अनुवाद, पर्यटन, वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में सुनहरे अवसर उपलब्ध है।

कहानी संग्रह को पढ़ाया जाता है पाठ्यक्रम में

डॉक्टर मिलन बिश्नोई ने बताया कि श्री बिराजदर द्वारा रचित ‘लॉकडाउन’ कहानी संग्रह में शिक्षा, रोजगार, समाज, निम्नवर्ग पर पड़ने वाले प्रभाव को बताया। यह कहानी संग्रह मूलतः डॉक्टर्स, नर्स, सफाईकर्मी, शिक्षकगणों को समर्पित हैं। उनके ‘लॉकडाउन’ कहानी संग्रह को इस विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी पढ़ाया जाता है।

यह भी थे मौजूद

आयोजन में उपस्थित विद्यार्थी एवं अन्य

अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. देशमुख अफशाँ, समन्वयक खुदसिया परवीन ने किया। व्याख्यान में हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों के साथ-साथ समाजशास्त्र, वाणिज्य और विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी और प्राध्यापक उपस्थित रहे। संचालन हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ. मिलन बिश्नोई ने किया।

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