मुद्दे की बात : जिलों में ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी की हो नियुक्ति, औचित्य सिद्ध होने पर ही ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी द्वारा उसके उपयोग की दी जाए अनुमति, आमजन को मिले शांति
⚫ लाउड स्पीकर को लेकर होने वाले विवादों का एकमात्र हल
⚫ अधिकारी करेगा तय क्या बजना है और क्या नहीं
⚫ ध्वनि प्रदूषण, शोर और कोलाहल से सम्बंधित सभी समस्याओं का होगा समाधान
⚫ भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने उठाया मुद्दा
हरमुद्दा
रतलाम, 29 जनवरी। देश में बढता ध्वनि प्रदूषण नागरिकों के शांति से जीने के अधिकार का हनन कर रहा है। अभी हाल के दिनों में मस्जिदों के लाउड स्पीकर हटाने के लिए न्यायालय में याचिकाएं भी दायर की गई है। उच्चतम न्यायालय भी ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर चुका है। लेकिन फिर भी ध्वनि प्रदूषण कम होने की बजाय बढता ही जा रहा है। इस मुद्दे के समाधान के लिए भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी द्वारा दिए गए ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति का सुझाव कारगर साबित हो सकता है। जिले का ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी तय करेगा कि किस आयोजन पर कौन सा ध्वनि विस्तारक यंत्र बजेगा, उसकी उपयोगिता और कितने लोगों तक उसकी आवाज पंहुचाने की आवश्यकता है और कितने समय तक है,आदि बातों का औचित्य सिद्ध होने पर ही ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी द्वारा उसके उपयोग की अनुमति देगा। ध्वनि प्रदूषण, शोर और कोलाहल से सम्बंधित सभी समस्याओं का समाधान होगा।
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने करीब पांच वर्ष पूर्व ही इस समस्या का हल सामने रख दिया था। श्री झालानी ने 5 जुलाई 2017 को देश के प्रधानमंत्री को इस समस्या के हल का विस्तृत सुझाव दिया था कि ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में एक ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी (एम्प्लीफायर कंट्रोलर) की नियुक्ति की जाना चाहिए। साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के निर्माता से लगाकर क्रेता, विक्रेता और उपयोगकर्ताओं तक का रजिस्टर रखा जाना चाहिए।
उन्हें रखा जाए बाहर
श्री झालानी ने अपने विस्तृत सुझावों में बताया था कि सबसे पहले ध्वनि विस्तारकों का वर्गीकरण किया जाना चाहिए जिससे कि ढोल नगाडों जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों को इस व्यवस्था से बाहर रखा जा सके। इसके पश्चात मान्य डेसीबल से अधिक क्षमता वाले ध्वनि विस्तारकों का निर्माण करने वाली इकाईयों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मान्य डेसीबल से अधिक क्षमता के ध्वनिविस्तारक यंत्रों का भी पंजीकरण किया जाना चाहिए।
उत्पादन के समय ही जरूरी नंबर
श्री झालानी ने अपने सुझाव पत्र में लिखा है कि प्रत्येक ध्वनि विस्तारक यंत्र का उत्पादन के समय ही एक नम्बर रखा जाना चाहिए। ठीक उसी प्रकार जैसे मोटर कार में इंजिन का नम्बर होता है। पंजीकृत ध्वनि विस्तारक यंत्र का वही नम्बर उत्पादन कर्ता से लगाकर विक्रेता, क्रेता, सेवा प्रदाता और अंतिम उपयोगकर्ता तक मान्य रखा जाए। वर्तमान में जैसी व्यवस्था शस्त्र लायसेंस के लिए बनाई गई है,कमोबेश उसी तरह की व्यवस्था बनाई जाए।
जिले का ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी तय करेगा कि किस आयोजन पर कौन सा ध्वनि विस्तारक यंत्र बजेगा, उसकी उपयोगिता और कितने लोगों तक उसकी आवाज पंहुचाने की आवश्यकता है और कितने समय तक है,आदि बातों का औचित्य सिद्ध होने पर ही ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी द्वारा उसके उपयोग की अनुमति देगा।
श्री झालानी ने इस व्यवस्था के लिए प्रक्रिया का भी सुझाव दिया है। उन्होने अपने पत्र में लिखा है कि ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने के लिए एक संक्षिप्त प्रारुप वाला आवेदन पत्र तैयार करवाया जाए। ध्वनि विस्तारक का संचालन करने वाला या सेवा प्रदाता एजंसी इस प्रारुप आवेदन में समस्त विवरण भरकर ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेगा। आवेदन प्रस्तुत कर सूचना देने को ही अनुमति स्वीकार माना जाए।
श्री झालानी ने अपने सुझाव में कहा है कि नियंत्रण अधिकारी ऐसे प्रत्येक आवेदन पर ध्यान दें और जहां उसे प्रतीत हो कि इस आयोजन में इतने डेसीबल के उपयोग की आवश्यकता नहीं है या अधिक समय उपयोग किया जा रहा है,तो वह लिखित आदेश जारी कर ध्वनि विस्तारक के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा सकेगा,जप्त कर सकेगा, और/या उपयोगकर्ता के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करेगा।
शांति से जीने का मिले अधिकार
श्री झालानी ने अपने सुझाव पत्र में इस प्रकार का एक कानून बनाने का सुझाव केन्द्र शासन को दिया है,जिससे कि देश में बढते ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सके और नागरिकों के शांति से जीवन जीने के अधिकार का संरक्षण हो सके।
सभी को प्रेषित किया है पुनः स्मरण पत्र
श्री झालानी ने पुनः स्मरण पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद, अध्यक्ष विधि आयोग और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे को 7 मार्च 2019 को भेजा था। इस पत्र की प्रतिलिपि तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डा हर्षवर्धन,राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण NGT के अध्यक्ष और केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को भी भेजी गई है।
उन्हे उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों पर अमल करते हुए जल्दी से जल्दी कानून बनाकर ध्वनि विस्तारक यंत्र नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति करेगी। जिससे कि न सिर्फ ध्वनि प्रदुषण के मामलो में शासन को सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल जायेगा बल्कि ध्वनि प्रदूषण, शोर और कोलाहल से सम्बंधित सभी समस्याओं का समाधान इस एक उपाय से हो सकेगा और राष्ट्रिय हरित प्राधिकरण (NGT ) को भी राहत मिल सकेगी।