एक चिंतन : सांप्रदायिक सौहार्द्र के सुझाव को तत्कालीन सरकार गंभीरता से लेती तो ना कांग्रेस के हाथ से सत्ता जाती और नहीं भाजपा के हाथ में आती
⚫ सरकार सभी धर्मों को सम्मान देती है और सांप्रदायिक सौहार्द्र कायम रखने के लिए इस बहुधर्मी देश मे इसके गठन की नितांत आवश्यकता है। गृह मंत्रालय में एक धर्म एव सौहार्द्रता का पृथक से उपमंत्रालय स्थापित किया जाए। इसमें इस विषय से जुडे अन्य मंत्रालयों में कार्यरत विभागों को भी संयोजित किया जाना चाहिए। देश के वर्तमान हालातों के मद्देनजर यह नया प्रस्तावित विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।⚫
⚫ अनिल झालानी, (भारत गौरव अभियान के संयोजक है लेखक)
कांग्रेस पार्टी की मुस्लिम परस्त छबि और भाजपा की हिन्दुत्ववादी छबि के चलते देश में हुए ध्रुवीकरण ने भाजपा को सफलता के शीर्ष पर पंहुचा दिया है। लेकिन यदि बरसों पहले दिए गए सुझाव पर अमल कर लिया होता तो आज कांग्रेस का इतना पतन ना हुआ होता और ना ही भाजपा इतनी तेजी से आगे बढ पाती।देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बढाने के लिए भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने सबसे पहले वर्ष 2009 में तत्कालीन गृहमंत्री को यह सुझाव दिया था कि विभिन्न स्थानों पर होने वाले सांप्रदायिक घटनाओं के पीछे के कारणों का अध्ययन किया जाए, जिससे भविष्य में होने वाले दंगों को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
वर्ष 2009 में टाइम्स आफ इण्डिया अखबार में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि तत्कालीन केन्द्र सरकार ने देश की समस्त राज्य सरकारों को सांप्रदायिक दंगों के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी किए थे। इन दिशा निर्देशों के मुताबिक राज्यों में होने वाले सांप्रदायिक विवादों या दंगों की समस्त जानकारियां एक निश्चित प्रारुप में केन्द्र सरकार को भेजने के निर्देश राज्यों को दिए गए थे।
किया जा सकता था दंगों पर प्रभावी नियंत्रण
भारत गौरव अभियान के संयोजक श्री झालानी ने इस रिपोर्ट को देखने के बाद वर्ष 2009 में ही तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदम्बरम को एक पत्र लिख कर सुझाव दिया था कि राज्यों को प्रेषित दंगों की जानकारी वाले प्रारुप में दंगे के पीछे का मुख्य कारण का भी एक कालम जोडा जाए। यदि प्रत्येक दंगे के पीछे के कारणों का गहराई से अध्ययन किया जाता,तो भविष्य में इसकी सहायता से दंगों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता था।
अलग से विभाग गठित करने का दिया था सुझाव
इसके बाद श्री झालानी ने 02 दिसम्बर 2013 को तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय के अधीन एक सांप्रदायिक सौहार्द्र एवं धार्मिक मामले विभाग का पृथक से गठन करने का सुझाव दिया था। अपने पत्र में श्री झालानी ने कहा था कि देश में धर्म एक सर्वकालिक विषय है। देश में विभिन्न धर्मों के नागरिक निवास करते है। इन धर्मों के मतावलंबियों के मध्य सांप्रदायिक घटनाएं होती रहती है। दूसरी ओर सरकार सभी धर्मों को सम्मान देती है और सांप्रदायिक सौहाद्र कायम रखने के लिये इस बहुधर्मी देश मे इसके गठन की नितांत आवश्यकता है।
श्री झालानी ने अपने पत्र में सुझाव दिया था कि गृह मंत्रालय में एक धर्म एव सौहार्द्रता का पृथक से उपमंत्रालय स्थापित किया जाए। इसमें इस विषय से जुडे अन्य मंत्रालयों में कार्यरत विभागों को भी संयोजित किया जाना चाहिए। देश के वर्तमान हालातों के मद्देनजर यह नया प्रस्तावित विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। श्री झालानी के इस सुझाव पत्र पर गृह मंत्रालय के अवर सचिव जसवीर सिंह ने 03 अप्रैल 2014 को श्री झालानी को पत्र लिखकर बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) एक स्वायत्त संस्था के रुप में राष्ट्रीय सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के संवर्धन के लिए कार्यरत है।
नहीं होता देश में ऐसा ध्रुवीकरण
यदि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने इन सुझावों पर अमल कर लिया होता तो बहुसंख्यक समाज का विश्वास टूटते हुए देश में ऐसा ध्रुवीकरण नहीं हो पाता। कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का एक बड़ा कारण यही ध्रुवीकरण रहा।
तब दिया था उप मंत्रालय गठित करने का सुझाव
श्री झालानी द्वारा दिये गए सुझाव की तर्ज पर हाल ही के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत और मौलाना अरशद मदनी के मध्य हुई सांप्रदायिक सौहाद्र के विषय पर हुई चर्चा के परिप्रेक्ष्य में श्री झालानी ने प्रधानमंत्री जी को 05 सितम्बर 2019 को पुनःपत्र लिखकर गृहमंत्रालय के अधीन सांप्रदायिक सौहाद्र एवं धार्मिक मामले का उप मंत्रालय गठित कर विभिन्न धर्मों के बीच जनसंख्या अनुपात,धर्मान्तरण, अंतर्धार्मिक विवाह, धर्मिक कार्यों हेतु ध्वनि विस्तारकों का उपयोग,धर्मिक चल समारोह के मार्गो,गौ हत्या आदि विवाद के विषयों के कारणों पर निरंतर विचार कर उसके स्थाई समाधान के लिए कार्यवाही करने का सुझाव दिया। अपने इस सुझाव पत्र में श्री झालानी ने कहा कि गृह मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय विशेष सेल गठित किया जाए जो कि एक उपमंत्रालय के रुप में हो। जो देश में सांप्रदायिक हिंसा के कारणों का सूक्ष्मता से तह में जाकर वास्तविक कारणों की खोज और विश्लेषण करें। इसके बाद बुद्धिजीवियों, धार्मिक नेताओं और ख्यातनाम हस्तियों को बैठाकर इन निष्कर्षों के उपर बहस व विचार विमर्श कराकर उन ज्ञात हो चुके कारणों पर सर्वसम्मत उपायों के लिए कार्ययोजना बनाकर इस पर राजनीतिक दलों की सहमति बनाए तथा उचित कानूनी संशोधन और आवश्यक हो तो संविधान संशोधन का प्रावधान करें।
सभी धर्म के अनुयाईयों का मिलता देश की प्रगति में सार्थक सहयोग
श्री झालानी ने अपने पत्र में लिखा कि इस प्रकार सम्वाद के निरन्तर प्रयासों से शनै:शनै: विवादित विषयों का समाधान होता रहेगा और आपसी मतभेद, घृणा और दूरियां कम होती जाएगी। मुख्य रूप से राजनीति और वोट बैंक से परे हटकर आपसी सौहाद्र की दिशा में परस्पर सहमति से ठोस और सार्थक प्रयास होते रहेंगे तो इसका सुखद परिणाम यह होगा कि देश की प्रगति में सभी धर्मों के अनुयाईयों का सार्थक योगदान मिलेगा। श्री झालानी ने अपने पत्र में लिखा है कि इस प्रकार का विशेष सेल गठित करने का यही सही समय है। इस पत्र की प्रतिलिपि गृहमंत्री अमित शाह, संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत और मौलाना अरशद मदनी को भी प्रेषित की थी।