साहित्य सरोकार : प्रभावी प्रस्तुति और शैली हमारे रचनात्मक जुड़ाव के प्रतीक
⚫ ‘सुने सुनाएं’ के सातवें सोपान पर हुआ अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ
हरमुद्दा
रतलाम, 2 अप्रैल। ‘सुनें सुनाएं ‘ का सिलसिला आधा वर्ष बीतने के बाद इस मुकाम तक आ पहुंचा है कि इसके प्रत्येक आयोजन में नए लोग अपनी नई प्रस्तुति के साथ उपस्थित हो रहे हैं। यह शहर के उस रचनात्मक वातावरण को बता रहा है जिसमें कि बहुत से लोग साहित्य और संस्कृति के प्रति अपना रुझान रखते हैं लेकिन अवसर के अभाव में वे रचनात्मकता से विमुख हो जाते हैं । ‘सुनें सुनाएं’ उसी रचनात्मकता को सहेजने का एक प्रयास है। ‘सुनें सुनाएं’ के सातवें सोपान पर प्रस्तुत रचनाओं में नवीनता, नई शैली, नए विचार और नए संदर्भ सामने आए जो आशा जगाते हैं। ऐसा विचार ‘सुनें सुनाएं’ के सातवें आयोजन में उभर कर सामने आया।
जीडी अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित इस आयोजन में रचनाधर्मियों ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया और उन पर विमर्श भी किया।
प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया इन्होंने
आयोजन में प्रकाश हेमावत द्वारा राजेंद्र श्रोत्रिय की रचना ‘हक परिंदों का’, दिनेश कटारिया द्वारा श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ‘ हार नहीं मानूंगा’, श्याम सुन्दर भाटी द्वारा सुरेन्द्र शर्मा की कविता ‘ठिगणा की पुकार’, प्रतिभा चांदनीवाला द्वारा निर्मला पुतुल की कविता ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा!’, डॉ. प्रकाश उपाध्याय द्वारा डॉ. केदारनाथ सिंह की गीत रचना “आँचल में तुम्हारे” , डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला द्वारा महाकवि कालिदास की रचना ‘बेटी की विदा’, श्रीमती स्मिता- नीरज शुक्ला द्वारा काका हाथरसी की कविता ‘सवाल हमारे, जवाब चमेली के’ का पाठ किया गया। पहली बार दंपत्ति द्वारा एक साथ रचना पाठ किया गया। आयोजन में प्रस्तुत रचनाओं का प्रभाव और संप्रेषण महत्व भी उपस्थितजनों ने महसूस किया।
यह थे मौजूद
इस अवसर पर राधेश्याम शर्मा, अलक्षेंद्र व्यास, राम प्रताप सिंह राठौर, कैलाश व्यास, विनोद झालानी, नरेंद्र सिंह डोडिया, आई. एल. पुरोहित, पद्माकर पागे, कविता व्यास, रीता दीक्षित, दुष्यंत व्यास, हेमंत भट्ट, सुशीला कोठारी, माणिक व्यास, मयूर व्यास, ललित चौरड़िया, सुरेश चौधरी, सुरेश बरमेचा, ग़ुलाम ग़ौस शिरानी, अनुराग चौरसिया, प्रकाश मिश्रा, ओमप्रकाश मिश्र, देवीलाल अवस्थी, आशा श्रीवास्तव, महावीर वर्मा, विष्णु बैरागी, आशीष दशोत्तर सहित ‘सुनें सुनाएं’ के शुभेच्छु मौजूद थे।