मुख्यमंत्री जी सुनो : पब्लिक सब जानती है, भ्रष्टाचार की गंदगी का रैला बन गया है दरिया, जिस का जरिया उसका काम बढ़िया, बाकी सब गड़ बढ़िया, … और उनको मिले आपका स्नेह अपार, जन सुविधा से नहीं है सरोकार
⚫ हेमंत भट्ट
⚫ सुनो मुख्यमंत्री जी सुनो। पब्लिक सब जानती है क्या घोषणाएं होती है, कितना अमल होता है। कितनी जन सुविधाएं मिलती है। करोड़ों की विकास कार्य की घोषणाएं होती है भूमि पूजन होते हैं लेकिन उनका आधा भी खर्च नहीं होता। निर्माण कार्य में पारदर्शिता का तो कहीं कोई नामोनिशान तक नहीं है। भ्रष्टाचार की गंदगी का रेला दरिया बन चुका है जिनका है जरिया, उनका काम होता है बढ़िया। बाकी तो है सब गड़ बढ़िया। और उनको मिलता आपका स्नेह अपार। जन सुविधाओं का नहीं कोई सरोकार। जन सुविधाओं का पलीता लगाने वाले जिम्मेदार आ जाते हैं राष्ट्रीय पर्व पर पुरस्कार। ⚫
मुख्यमंत्री जी आज भी आप 1350 सौ करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य का लोकार्पण और भूमि पूजन करेंगे मगर यह बात भी सच है कि 600 करोड़ भी खर्च नहीं होंगे। क्योंकि ना कोई पारदर्शिता है ना ही विकास कार्य शुरू होने वाले स्थल पर कोई संकेत बोर्ड। जबकि पहले यह सब हुआ करते थे क्योंकि भ्रष्टाचार नहीं था। आप कहते हैं राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति है। जहां गड़बड़ी होगी, दोषियों को सजा दी जाएगी। मगर सब बातें हैं बातों का क्या? वादे हैं वादों का क्या? जो जन सरोकार से खिलवाड़ करें, दर्जनों लोगों की जान ले ले उन्हें आप पूरे जिले की जिम्मेदारी का उपहार देते हैं तो फिर इस दौड़ में आपके अन्य मातहत भी रेस लगा रहे हैं। रतलाम में भी घोड़े दौड़ रहे हैं जिन्होंने करोड़ों के भ्रष्टाचार किए हैं और पिछले ही दिनों आपने उनको शाबाशी दी है।
समस्या एक नहीं अनेक है क्या-क्या गिनाएं
बात रतलाम शहर की ले लीजिए अव्यवस्थित यातायात है। पार्किंग की सुविधाएं नहीं हैं। ना तो कचरा हर दिन संग्रहित होता है ना ही नलों में पानी समय पर आता है। महीने में 10 दिन सफाई। 10 से 11 दिन पानी। 10 से 11 दिन कचरा संग्रहण। यही जन सरोकार रह गया है। बात भले स्वच्छता की करें। आमजन के भले की करें, लेकिन ऐसा कुछ भी अमल नहीं होता है। कानून व्यवस्था का पालन करवाने वाले आमजन की सुविधाओं को दरकिनार कर रहे हैं। भले ही पूरा दिन पूरी रात ध्वनि विस्तारक यंत्र बजते रहे, उनको बंद करवाने की ताकत ना पुलिस प्रशासन में है और नहीं जिला प्रशासन में। सब शिकायत के इंतजार में रहते हैं। शिकायत करेंगे तो कार्रवाई होगी लेकिन यहां पर शिकायत करने वालों को आरोपी की नजर से देखा जाता है। शिकायत करने वाले का नाम जाहिर कर देते हैं उसी के घर पर जो ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग कर रहा है।
मनमानी, मनमानी और केवल मनमानी
जितनी मनमानी शहर में व्यापारियों की हो रही है उतनी अन्य कहीं पर भी नहीं होती होगी। सड़कों पर वाहन चलाने के लिए जगह नहीं है और फोरलेन चांदनी चौक में अभी अभी बनी फोरलेन पार्किंग बन गई है क्योंकि विधायक जी ने ही कहा कि अतिक्रमण नहीं हटाना। बड़े-बड़े मार्केट बना लिए गए हैं मगर पार्किंग का कोई नामोनिशान नहीं है और नहीं जिम्मेदार अधिकारी पार्किंग व्यवस्था करवाने में सफल हो रहे हैं। कई सारे बैंक बाजारों में संचालित हो रहे हैं जिनके पास पार्किंग व्यवस्था नहीं है लेकिन बैंक भवन वाले मोटा किराया वसूल कर रहे हैं। सुविधा देने के नाम पर कुछ नहीं है। नतीजतन आमजन परेशान, हैरान।
20 साल की गारंटी वाली सड़क 4 महीने भी नहीं चली
गत वर्ष आपके जन्मदिन पर ही चौमुखी पुल से गणेश देवरी तक सीसी रोड बनाने के लिए भूमि पूजन हुआ। कार्य शुरू हुआ। काफी मशक्कत के बाद पूरा हुआ लेकिन कुछ महीने बाद ही वह उखड़ने लगा। मगर ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं। सड़क उबड़ खाबड़ हो गई। इतना ही नहीं इसके बाद चौमुखी पुल से घास बाजार तक की सड़क बनी। सड़क पूरी हो गई, शुरू हो गई लेकिन नालियों का निर्माण नहीं हुआ। अब निर्माण हो रहा है। 2 महीने पहले जिम्मेदारों को याद आया कि पाइप लाइन डालना भूल गए हैं तो सीसी रोड को फिर खोद दिया गया फिर पाइप डाले गए लेकिन पुनः उसे नहीं बनाया गया। केवल मोरम डाल दिया गया। जन सुविधाओं को पलीता लगाने वाले जिम्मेदार 26 जनवरी और 15 अगस्त पर आखिर पा जाते हैं पुरस्कार क्योंकि वह है धनबल में दमदार।
आखिर कब तक गिनाते रहेंगे, कब तक लोग परेशान होते रहेंगे
आखिर यह सभी बातें कब तक गिनाते रहेंगे। कब तक लोग परेशान होते रहेंगे क्योंकि आप जो वादा करके जाते हैं, जो कहते हैं। उस पर अमल नहीं होता। अमल होता है तो बस उन बातों पर जिसमें अर्थ सिद्धि होती है। कई बार घोषणाएं कर गई कि शहर के लोगों को हर दिन पेयजल मिलेगा मगर यह सिर्फ घोषणा साबित हुई। हकीकत की जमीन पर कुछ भी खरा नहीं उतरा। ना आपकी बात, ना आपका अमला।
रतलाम को संभाग बनाने की घोषणा आखिर कब?
द मालवा रेल फैन क्लब के सदस्य प्रमोद भंडारी का कहना है कि जनप्रतिनिधियों की सुस्ती का आलम तो यह है कि कई दशकों से संभाग बनाने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। आप भी इस मामले में कुछ नहीं कर रहे हैं। चुनाव के पहले रतलाम को संभाग बनाने की घोषणा कर सेंव, सोना, साड़ी सद्भावना के लिए प्रसिद्ध रतलाम को संभाग का तमगा दिलाएंगे। रतलाम स्टेशन पर आधा दर्जन से अधिक गाड़ियों का स्टॉपेज नहीं है, वह भी जनप्रतिनिधि शुरू नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसा लगता है कि इसके लिए आपको ही प्रयास करना होगा।