कुछ खरी खरी : कलेक्टर साहब बाजार में आमजन की जगह के कब्जाधारियों पर कार्रवाई करेंगे क्या? पूरे शहरवासियों का है यह यक्ष प्रश्न, भाजपा की बढ़ रही हिटलरशाही

⚫ हेमंत भट्ट

कलेक्टर साहब ने अच्छी पहल करते हुए जहां कब्जाधारियों के चंगुल से भूमि और प्लाट मुक्त कराने का जो जतन शुरू किया है, वह सराहनीय है मगर बाजार में जो दुकानदारों ने आम जनता की जमीनों को, सुविधाओं को अपने कब्जे में कर रखा है, क्या उन्हें भी हटाने की कार्यवाही करेंगे? यह पूरे रतलाम के लोगों का यक्ष प्रश्न है। भाजपा के शासन में सब की मनमानी का ग्राफ बढ़ रहा है। कार्यकर्ता, व्यापारी, अपराधी, किसी पर भी पार्टी और प्रशासन का अंकुश नहीं है। सब के सब हिटलर शाही पर उतारू हो गए हैं।

ऐसे नजारे मिल जाएंगे चारों ओर

बाजारों में दुकानदारों की मनमानी चरम पर है। जहां नजूल की जगह पर अतिक्रमण कर रखा है, वही सड़कों पर सामग्री और वाहनों से यातायात अवरुद्ध किया जा रहा है। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बचा ही नहीं है। वे सड़क पर चलने को मजबूर है और वाहन चालक रेंगने को। न तो यातायात विभाग ध्यान दे रहा है ना ही जिला प्रशासन। न ही नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी और इंजीनियर।

इनके कारण ही आई है अतिक्रमण की बाढ़

चांदनी चौक की फोरलेन कहनेभर की

नगर निगम के जिम्मेदारों के कारण ही शहरभर में अतिक्रमण की बाढ़ आई हुई है। बड़े-बड़े मार्केट बना दिए गए लेकिन पार्किंग की व्यवस्था जिम्मेदारों ने नहीं की है। उस पर नगर निगम कार्रवाई की बजाय उनका आशीर्वाद दाता बना हुआ है। सड़कों पर पार्किंग हो रही है। ठेला गाड़ी वाले सामग्री बेचने वाले बीच सड़क पर खड़े रहते हैं उन्हें कोई बोलने वाला नहीं, टोकने वाला नहीं। वह अपनी मनमानी करते ही रहते हैं। कुछ भी कहो तो कहते हैं, पार्टी के हैं। पार्टी के नाम पर तानाशाही चल रही है। लोग परेशान हैं। हैरान हैं। मगर जिम्मेदार इन सब अव्यवस्थाओं से अनजान है।

आम जनता की फुटपाथ और सड़क पार्किंग दिलवाने का भी जतन करेंगे कलेक्टर साहब

शहर की आम जनता का कलेक्टर से एक ही यक्ष प्रश्न है कि क्या वे आम जनता की फुटपाथ, सड़क और पार्किंग दिलवाने कभी जतन करेंगे ताकि आमजन शहर में आसानी से खरीदारी कर सकें। फुटपाथ पर चल सके। व्यवस्थित पार्किंग कर सके। मगर यह कब होगा? कलेक्टर साहब की मर्जी के ऊपर निर्भर है। या यह भी कह सकते हैं कि यह सब भाजपा के ऊपर निर्भर है क्योंकि भाजपा की तानाशाही के चलते ही सभी निरंकुश होते जा रहे हैं कार्यकर्ता, व्यापारी, अपराधी सब के सब मनमानी पर उतारू हैं।

जान लेने वाले आमादा, पर कार्रवाई नहीं

बाइकर्स द्वारा तेज गति से वाहन चलाना, लहरा के चलाना, कट मारना यह आम बात हो गई है। इन लोगों को ठीक करने की कार्रवाई यातायात विभाग को करना होती है, मगर उसे तो बिना हेलमेट वालों की चालानी कार्रवाई करके सरकार का खजाना भरना है। आम जनता की परेशानी खत्म करने की बात पर यातायात विभाग का अमला न जाने कहां दड़बे में छुप जाता है। जब एक बुजुर्ग बाइकर्स की ऐसी हरकत से परेशान हो गए उन्होंने नसीहत दी, तो वह उनके गले की हड्डी बन गई। उनकी जान पर बन आई। पुलिस और प्रशासन भी उस बाइकर्स भाजपा कार्यकर्ता के इशारे की कठपुतली बन गया। विरोध में जब पुलिस और प्रशासन को ज्ञापन भी दिया गया लेकिन भाजपा की हिटलरशाही के आगे किसी की एक न चली बिना वजह बुजुर्ग पर ही प्रकरण दर्ज कर दिया। यह तानाशाही नहीं तो और क्या है? यदि ऐसा ही चलता रहा तो बदतर तरीके से भाजपा को डुबाने में खुद भाजपाई ही जिम्मेदार रहेंगे। भले ही भाजपा मोदी जी के नाम पर चल रही है लेकिन ऐसा ही है रहा तो प्रदेश से निपटना तय है। भ्रष्टाचार, तानाशाही, मनमानी इन सब से आमजन परेशान हो गए हैं। जिम्मेदारों की कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। जिला और नगर निगम प्रशासन के जिम्मेदार अफसर चैन की बंसी बजा रहे हैं, जबकि शहर के लोग परेशान हैं।

2 मिलीमीटर बारिश में नालियों की गंदगी सड़कों पर

सफाई के मामले में तो शहर का भगवान ही मालिक है। न तो नालियों की सफाई हो रही है और न ही सड़कों की। सफाई कर्मचारी तो सीना ठोक कर कहते हैं। महीने में 8 से 9 दिन काम करो। दरोगा को ₹500 दो। महीने भर की तनखा पाओ। इन्हीं लोगों के चलते शहर की सफाई कर ढर्रा बिगड़ा हुआ है। 4 दिन पहले दोपहर में 2 मिलीमीटर बारिश क्या हुई लक्कड़पीठा, चांदनी चौक, चौमुखी पुल क्षेत्र की नालियां गंदगी उगलने लगी।

चाकूबाजी आमबात

पुलिस प्रशासन के आला अफसर भी कुछ आरोपियों को पकड़ पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन जब शनिवार की शाम को पुलिस के आला अफसर सड़कों पर झांकी बाजी कर रहे थे, उसी दौरान ग्राम में लाठियों और चाकू की बरसात हो रही थी। नौजवान को मौत की नींद सुलाने वाले फरार हो गए। आए दिन ऐसी घटनाएं शहर में और जिले में बढ़ती जा रही है। बात-बात पर चाकू छुर्रे निकालना तो आम बात हो गई है। अपराधियों पर कोई अंकुश नहीं रहा है। पुलिस नाम का डर तो है ही नहीं। चाहे आधी रात को चौराहों पर, कालोनियों में जन्मदिन मनाने की बात हो। ढोल बजाना, पटाखे फोड़ना या फिर फर्राटे मारकर बुलेट और बाइक दौड़ने की बात हो। सब के सब जायज है। क्योंकि उनके ऊपर भाजपाइयों का वरद हस्त है।

बंद सीसीटीवी कैमरो से अपराधियों पर नजर रखने का अनूठा प्रयोग

शहर में अपराधियों पर नजर रखने के लिए चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं ताकि घटना के बाद वे उसकी गिरफ्त में आ जाए। मगर हैरत की बात तो यह है कि पुलिस थाने का सीसीटीवी कैमरे ही महीनों से बंद है। उसको ठीक करवाने नींद भी जिम्मेदारों की नहीं खुल रही है। जबकि 24 घंटे के भीतर कानून व्यवस्था के सीसीटीवी कैमरे दुरस्त होने चाहिए। ऐसा लगता है कि पुलिस प्रशासन बंद सीसीटीवी कैमरे से अपराधियों पर नजर रखने का अनूठा प्रयोग कर रहा है।

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