धर्म संस्कृति : हर क्षेत्र में धर्म होना चाहिए, धर्म से ही मनुष्य जीवन में संभव है संस्कृति, संस्कार, सद्भावना, भाईचारा

1700 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पू. प्रभावक प्रवचनकार आचार्य श्री विजय कुलबोधिसूरीश्वरजी म.सा. का हुआ आगमन मालवा की धरती पर

⚫ 5 माह के भव्य चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश 25 जून को

⚫ “माय 5 पावर” विषय पर प्रवचन मोहन टॉकिज सैलाना वालों की हवेली में 25 जून को

⚫ 15 से 50 वर्ष के युवक-युवतियों के लिए प्रति रविवार विशेष शिविर का आयोजन

हरमुद्दा
रतलाम, 23 जून। धर्म राजनीति में ही नहीं अपितु हर क्षेत्र में होना चाहिए। धर्म से ही मनुष्य जीवन में संस्कृति, संस्कार, सद्भावना, भाईचारा विकसित होता है। कोई भी कार्य धर्म के बिना सफल नहीं होता। धर्म और कर्म जिंदगी की जरूरत है। समग्र समाज में एकजुटता लाना है, क्योंकि संगठित समाज की ही महत्ता होती है। बिखरा हुआ समाज कभी ताकतवर नहीं रहता। समाज में सकारात्मकता का प्रचार-प्रसार होना जरूरी है, नकारात्मकता को नगण्य करना है। मनुष्य में मोशन, इमोशन और डिवोशन का होना बेहद जरूरी है।

यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधिसूरीश्वरजी म.सा. ने कही। आचार्य श्री सेठ जी का बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। महाराष्ट्र मुंबई बोरीवली से 1700 किलोमीटर की पदयात्रा कर मालवा की धरती रतलाम में आचार्य श्री का आगमन 5 माह के चातुर्मास के लिए हुआ है। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेतांबर पेढी, रतलाम के तत्वावधान में पूज्य प्रभावक प्रवचनकार आचार्य श्री विजय कुलबोधिसूरीश्वरजी म.सा. का भव्य चातुर्मास मंगल प्रवेश 25 जून को होगा।

समाज के हर एक व्यक्ति में जरूरी है मोशन, इमोशन और डिवोशन

पत्रकारों से चर्चा करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि एक समाज का कोई भी व्यक्ति हो उन सभी व्यक्ति में मोशन, इमोशन और डिवोशन होना जरूरी है। मोशन से आशय है व्यक्ति गतिशील बने। क्रियाशील बने। धर्म के प्रति, समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति सक्रिय रहे। धर्म और धर्म को मानने वाले कभी भी किसी को भी तोड़ने का कार्य नहीं करते हैं। इनका उद्देश्य केवल और केवल जोड़ना ही होता है।

इमोशन : सोशल मीडिया व्यक्ति के जीवन पर इस कदर हावी हो गया है कि उसका (इमोशन) भावनात्मक रिश्ता खत्म सा हो गया है। व्यक्ति को भावनात्मक होना जरूरी है। अपनों के दुख दर्द समझें। आज तो स्थिति यह हो गई है कि जब व्यक्ति किसी को मुक्तिधाम में छोड़ने भी जाता है तो उसकी आंखें सजल नहीं होती। वहां पर चर्चा का विषय मोबाइल ही रहता है। जाने वाले व्यक्ति के बारे में कोई चर्चा नहीं होती। यह ठीक नहीं है। व्यक्ति को भावनात्मक होना जरूरी है। समाज को इसके लिए जागरूक करना बेहद जरूरी हो गया है। समाज में रहने के लिए सामाजिक बने रहें।

डिवोशन : समाज में रहने वाले हर एक व्यक्ति में (डिवोशन) भक्ति शीलता होनी चाहिए। भक्ति के लिए आजकल श्रद्धा कम हो गई है। युवा पीढ़ी में तर्क वितर्क ज्यादा शुरू हो गए हैं। इसलिए उन्हें उस तरीके से समझाएं और भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित करें। भक्ति की शक्ति से ही सफलता प्राप्त होती है। जीवन अनुकरणीय बनता है।

नशाखोरी से युवा पीढ़ी को बचाना आवश्यक

वर्तमान दौर में युवा पीढ़ी नशे की ओर बढ़ रही है। ड्रग एडिक्ट हो रहे हैं। अल्कोहल लेने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। भारत की युवा पीढ़ी को नशे की ओर ले जाने में विदेशी उत्पादकों का ही हाथ है। युवाओं को समझना चाहिए कि जो जिंदगी मिली है, उसे बेहतर तरीके से जिएं। जन्म को समाज के लिए सार्थक करें। पार्टी, पाश्चात्य संस्कृति, पहनावा वेशभूषा पर ध्यान देना जरूरी है।

सोशल मीडिया पर सकारात्मकता का हो अधिक प्रसार

आचार्य श्री ने कहा कि मीडिया वर्तमान समय में अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। वह जैसा संदेश पहुंचाता है, वैसा ही माहौल बनता है। इसलिए सभी सकारात्मक संदेशों का अधिक से अधिक प्रसार करें।

“परिवर्तन का शंखनाद” शिविर प्रति रविवार को 3 घंटे तक

आचार्य श्री ने बताया कि चातुर्मास के दौरान 15 से 50 वर्ष के युवक-युवतियों के लिए रविवार को परिवर्तन का शंखनाद शिविर आयोजित होगा। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, वेब सीरीज से हमारी युवा पीढ़ी भटक रही है। मोबाइल द्विधारी तलवार है। आपको क्या सीखना है, यह स्वयं तय करना होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारा मकसद युवाओं को बचाना है। शिविर में हर समाज के युवक युवतियां शामिल हो सकते हैं कोई प्रतिबंध नहीं है। बस हिंदू होना चाहिए।

मोबाइल के लिए भी होना चाहिए लाइसेंस

पन्यास प्रवर मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा.

पत्रकारवार्ता में पन्यास प्रवर मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने कहा कि जिस तरह से वाहन चलाने के लिए तय उम्र पर लाइसेंस दिया जाता है। बच्चों को उनके पाचन तंत्र के हिसाब से आहार दिया जाता है। मतदान के लिए भी एक उम्र तय है तो फिर मोबाइल चलाने के लिए भी एक उम्र तय होना चाहिए। इसके लिए भी लाइसेंस देना चाहिए। उसके बाद ही मोबाइल देना चाहिए।

9 वर्ष की अल्पायु में किया सन्यास ग्रहण

आचार्य श्री 1700 किमी का विहार कर रतलाम आए है। उन्होने 9 वर्ष की अल्पायु में संयम धारण कर लिया था और 46 वर्षों का साधु जीवन पूर्ण कर चुके है। चातुर्मास के दौरान आचार्य श्री की निश्रा में रतलाम एवं मालवा क्षेत्र को धर्म से जोड़ने के विभिन्न कार्यक्रम होंगे। इनमें सर्व समाज शामिल होगा। आरंभ में गणतंत्र मेहता ने स्वागत किया। आभार प्रदर्शन श्री संघ अध्यक्ष अभय लुनिया ने माना। पूर्व अध्यक्ष सुनील ललवानी एवं सचिव राजेश सुराणा उपस्थित रहे।

आचार्य श्री के साथ गणतंत्र मेहता और अभय लूनिया

नौलाईपुरा से निकलेगा मंगल प्रवेश जुलूस

आचार्य श्री का चातुर्मास हेतु 25 जून को नगर में भव्य मंगल प्रवेश होगा। प्रवेश जुलूस 8.30 बजे श्री डाड़मचदजी विनोद मेहता परिवार के नौलाईपुरा स्थित निवास से निकलेगा, विभिन्न मार्गो से होता हुआ सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकिज में पहुंचेगा, जहां धर्मसभा होगी। यहां आचार्य श्री “माय 5 पावर” विषय पर प्रवचन देंगे। इसके बाद स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया जाएगा। मोहन टाॅकिज में 26 जून से प्रतिदिन प्रातः 9.15 से 10.15 बजे तक प्रवचन आयोजित किए गए है।

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