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पंत ने हिंदी कविता को विश्व कविता से परिचित करवाया: श्री जैन

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हरमुद्दा
रतलाम, 1 जुलाई। प्रकृति के अदभुत चितेरे है पंत। अल्मोडा की प्राकृतिक सुष्मा पंत की सहचरी व आराध्या रही। पंत ने हिंदी कविता को विश्व कविता से परिचित करवाया। पंत के काव्यों में नाद सौंदर्य का मनोरम समावेश हुआ।
यह बात मुख्य अतिथि शांतिलाल जैन “प्रणयेश” ने कही। श्री जैन प्रोफिसर कॉलोनी स्थित डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में उपस्थित थे। यहां छायावाद शताब्दी वर्ष के संदर्भ में “सुमित्रानंदन पंत और प्रकृति” विषय पर आयोजित व्याख्यान में श्री जैन ने कहा वडर्सवर्थ कीट्स, रूसो से लेकर कालिदास का गहरा प्रभाव पंत पर पड़ा। नौका विहार कविता पर दृष्टि डालते हुए उन्होंने कहा पंत के काव्यों में नाद सौंदर्य का मनोरम समावेश हुआ है।
पंतजी पर अरविंद का था गहरा प्रभाव
अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा पंत को याद करना हिंदी की समृद्ध काव्य परंपरा को याद करना है। पंतजी पर अरविंद का गहरा प्रभाव था। पंत ने सावित्री महाकाव्य को जीया है। डॉ. चांदनीवाला ने कोसानी के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए पंत के व्यक्तित्व-कृतित्व पर प्रकाश डाला। ताजमहल के सौंदर्य ने सभी प्रभावित किया पर पंत की बेजोड़ कविता ताज ने ताजमहल का यथार्थ चित्र खींचा है। हाय मृत्यु का कैसा अपार्थिव पूजन।
छायावाद ने हिंदी की शब्द संपदा को किया समृद्ध
डॉ. चांदनीवाला ने कहा छायावाद ने हिंदी की शब्द संपदा को समृद्ध किया है। सुमनजी पर छायावाद का गहरा प्रभाव था। छायावाद शताब्दी वर्ष का प्रथम दीप डॉ. सुमन स्मृति संस्थान के सभा मंडप में प्रज्वलित हुआ हैं।
पंत की रचनाओं का हुआ सस्वर पाठ
कार्यक्रम में पंत की रचनाओं का सस्वर पाठ किया गया। रश्मि उपाध्याय ने यह धरती कितनी देती है, लक्ष्मण पाठक ने प्रथम रश्मि का आना रंगिणि व अखिल स्नेही ने स्पप्न देही हो प्रिये कविता का सस्वर पाठ किया। डॉ. शोभना तिवारी ने पंत के कृतित्व पर अपना आलेख पाठ कर पर्वत प्रदेश में पावस कविता पढ़ी।
यह थे मौजूद
आयोजन में सिद्दिक रतलामी, मोहन शर्मा स्नेही, आजाद भारती, सीमा राठौर, आशीष दशोत्तर, डॉ. गीता दीक्षित, प्रज्ञा रोयडे, प्रतिभा चांदनीवाला, कीर्ति पंचोली, राजेश कोठारी, दिनेश तिवारी सहित अन्य मौजूद थे। आभार लक्ष्मण पाठक ने माना।

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