धर्म संस्कृति : सिर्फ धर्म करने से ही नहीं, धर्म की परंपरा चलाने से मिलेगा मोक्ष, धर्म में निरंतरता कठिन है, पाप में नहीं

⚫ आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने कहा

⚫ सैलाना वालों की हवेली, मोहन टॉकीज में प्रवचन

हरमुद्दा
रतलाम, 26 जून। साधना तब-तक सफल नहीं होगी जब-तक आप सतत, सख्त और सरस रूप से उसे नहीं करोगे। साधना को सतत करने से एक दिन अवश्य सिद्धि प्राप्त होगी। जिस तरह पानी की धार लगातार पत्थर पर गिरने से उसे तोड़ देती है, साधना भी ठीक उसी तरह है। सिर्फ धर्म करने से ही मोक्ष नहीं मिलेगा, धर्म की परंपरा चलाने से मोक्ष मिलता है। मनुष्य जीवन में जब भी अवसर मिले, धर्म जरूर करना चाहिए। जीवन में पाप नेवर और धर्म एवर होना चाहिए। धर्म में निरंतरता कठिन है, पाप में नहीं।

यह विचार आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा ने व्यक्त किए। आचार्यश्री सैलाना वालों की हवेली, मोहन टॉकीज पर श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मास प्रवचन के प्रथम दिवस संबोधित कर रहे थे।

जो चाहते हैं उसके लिए तब और परिश्रम जरूरी

आचार्य श्री ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थिति में भी साधना सख्त होनी चाहिए। कठोर तप और परिश्रम करने से ही हम जो चाहते हैं, उसे हासिल कर सकते हैं। साधना के को सरस होना बताते हुए कहा कि धर्म को रस पूर्वक भी किया जाना चाहिए। विज्ञान में एकाग्रता का महत्व होता है, लेकिन धर्म में अहोभाव का महत्व है।

धर्म सभा में मौजूद धर्मालु

नवकार महामंत्र का जाप करें हर दिन

आचार्य श्री ने उपस्थित जनों से कहा कि आप ज्यादा नहीं कम से कम एक नवकार महामंत्र का जाप प्रतिदिन अवश्य कीजिए। श्री संघ के पारस भंडारी ने बताया कि आचार्य श्री के प्रवचन प्रतिदिन 9.15 से 10.15 बजे तक सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में होंगे।

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