साहित्य सरोकार : दसवें सोपान पर दस रचनाकार अपनी प्रिय रचना सुनाएंगे
⚫ ‘सुनें सुनाएं’ का आयोजन 2 जुलाई को
हरमुद्दा
रतलाम, 1 जुलाई। शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने और आपसी संवाद की परंपरा को जीवंत करने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए आयोजन सुनें सुनाएं का दसवां सोपान 2 जुलाई, रविवार को होगा।
जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल (एनैक्सी प्रथम तल), रतलाम पर 2 जुलाई को प्रातः 11 बजे से आयोजन होगा। दसवें सोपान पर दस साथी अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ करेंगे।रचना पाठ करेंगे। आयोजन में सिद्दीक़ रतलामी द्वारा साहिर लुधियानवी की नज़्म ‘वो सुबह कभी तो आएगी’, विभा राठौर द्वारा मणिशंकर आचार्य की रचना ‘हम सभी यात्री हैं’ , सुभाष यादव द्वारा श्री हुल्लड़ मुरादाबादी की रचना ‘ज्योतिष का चमत्कार’, सुशीला भाटी द्वारा माया गोविंद की रचना ‘ चांद साबुन से मल-मलकर नहाऊंगी’, ओमप्रकाश ओझा द्वारा दुष्यंत कुमार रचना ‘ कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं’, दीपक राजपुरोहित द्वारा लक्ष्मण पाठक की रचना “बूंद बूंद पानी है मोती”, डा. दीप व्यास द्वारा गोपाल दास ‘नीरज’ की रचना “ अब तो मज़हब कोई ऐसा चलाया जाए “ , कीर्ति शर्मा द्वारा प्राणवल्लभ गुप्त की रचना ‘ चलो, फिर आ गई बलिदान की बेला ‘ ,लगन शर्मा द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना ‘ उल्टी यात्रा’ राकेश पोरवाल द्वारा कुमार विश्वास की रचना ‘है तुम्हें नमन’ का पाठ किया जाएगा।
दसवें सोपान पर 10 नए साथी करेंगे रचना पाठ
इस बार ख़ास यह है कि दसवें सोपान पर दस नए साथी रचना पाठ करेंगे साथ ही अब तक रचना पाठ कर चुके सभी साथी इनका अभिनन्दन करने के लिए मौजूद रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम की अवधि एक घंटा प्रातः 11 से 12 तक तय है। इसमें 11 से 11.45 बजे तक रचनाओं का पाठ और 15 मिनट रचनाओं पर सार्थक विमर्श होता है। इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ बगैर किसी भूमिका के करता है। ‘सुनें सुनाएं’ ने शहर के रचनात्मक रुचि के साथियों से आग्रह किया है कि आयोजन में उपस्थित रहकर शहर को जीवन्त बनाने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।